सूरजमुखी की उन्नत खेती | Advanced Cultivation Of Sunflower |

दोस्तों, आप सभी का हिंदी कृषि ज्ञान में स्वागत है |आज इस लेख हम सूरजमुखी की उन्नत खेती से कमाएँ दोगुना लाभ (Earn profit from Advanced cultivation of sunflower) के बारे में चर्चा करेंगे| हम सभी जानते है कि सूरजमुखी एक प्रमुख तिलहनी फसल है| सूरजमुखी की उन्नत खेती से दोगुना लाभ कमाने (Earn profit from Advanced cultivation of sunflower) के लिए खरीफ,रबी एवं जायद तीनो मौसम में उगाया जाता है| सूरजमुखी को मुख्यतः तेल उत्पादन के लिए उगाया जाता है| इसका तेल वानस्पतिक तेल का एक प्रकार है| जो सूरजमुखी के बीज से प्राप्त होता है |

सूरजमुखी दुनिया भर में उगाई जाने वाली सबसे बहुमुखी और लाभदायक फसलों में से एक है। अपनी चमकीली पीली पंखुड़ियों और स्वादिष्ट बीजों के साथ, यह पौधा सिर्फ एक सुंदर फूलों से कहीं अधिक है। सूरजमुखी की तेल स्वास्थ्य लाभ से भी भरपूर हैं और मनुष्यों और पशुओं के लिए समान रूप से भोजन का एक उत्कृष्ट स्रोत हैं। हालांकि, नए किसानों के लिए सूरजमुखी की फसल उगाना और काटना एक कठिन काम हो सकता है। हम सूरजमुखी की उन्नत खेती से कमाएँ दोगुना लाभ (Earn profit from Advanced cultivation of sunflower) में मिट्टी की तैयारी से लेकर रोपण, देखभाल और कटाई तक, साथ ही सामान्य कीटों और बीमारियों के प्रबंधन के लिए युक्तियों को शामिल करेंगे।

Earn profit from Advanced cultivation of sunflower -krishigyan

दोस्तों, विश्व में प्रति वर्ष लगभग 47,347,175 टन सूरजमुखी का उत्पादन होता है| क्या आप जानते है,युक्रेन दुनिया का सबसे बड़ा सूरजमुखी उत्पादक है| यहाँ प्रति वर्ष लगभग 13,626,890 टन उत्पादन होता है| दुसरे स्थान पर रुसी संघ है, जहाँ प्रति वर्ष लगभग 11,010,197, टन उत्पादन होता है| आपको यह जानकर हैरान होगी कि विश्व में भारत सूरजमुखी के उत्पादन में चौदहवें स्थान पर है |

किसान भाइयों,इस लेख में सूरजमुखी की उन्नत खेती के बारे में विस्तार से जानकारी दिया है| आप भी सूरजमुखी की उन्नत खेती (Earn profit from Advanced cultivation of sunflower) कर अच्छी आमदनी कम सकते है | इसके लिए आपको इस लेख को पूरा पढना होगा | आईये सूरजमुखी की उन्नत खेती कमाएँ दोगुना लाभ (Earn profit from Advanced cultivation of sunflower) के बारे में जानते है –

भूमि की तैयारी-

वैसे तो सूरजमुखी की उन्नत खेती से दोगुना लाभ कमाने (Earn profit from Advanced cultivation of sunflower) के लिए हर प्रकार की मीट्टी का उपयोग किया जाता है| लेकिन अच्छी जल निकास वाली भारी भूमि भी उपयुक्त होती है | ये फसलें प्रायः सभी प्रकार की मृदा में उत्पादन की जा सकती है। ये फसलें पड़ती भूमि या जिसमें कोई अन्य धान्य फसल उगाना संभव नही होता ऐसे भूमि में भी सफलता पूर्वक उगाई जा सकती हैं। ढलान वाली व कम जल धारण क्षमता वाली जमीन में भी उगाई जा सकती है। हल्की भूमि में जिसमें पानी का निकास अच्छा हो इनकी खेती के लिये उपयुक्त होती है।

बुवाई प्रबंधन –

सूरजमुखी की उन्नत खेती से दोगुना लाभ कमाने (Earn profit from Advanced cultivation of sunflower) के लिए सिंचित खरीफ फसल की कटाई के बाद मध्य अक्टूबर से नवम्बर माह के अंत तक बोनी करना चाहिए। वैसे अक्टूबर माह में बोनी करने से जल्दी और अच्छा अंकुर होता है। वही देर से बोनी करने में अंकुरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

वर्षा पर आधारित क्षेत्रों में सूरजमुखी की उन्नत खेती के लिए सितंबर माह के शुरुआत से अंतिम सप्ताह तक बोनी कर देना चाहिए। ग्रीष्मकालीन (जायद) फसल जनवरी माह के तीसरे सप्ताह से फरवरी माह के अंत तक बोनी का समय उपयुक्त रहता है । ग्रीष्मकालीन मौसम में सूरजमुखी की उन्नत खेती इस तरह से निश्चित करना चाहिए ताकि फसल वर्षा प्रारंभ होने पूर्व काटकर गहाई की जा सके।

सूरजमुखी की उन्नत एवं संकर किस्में –

सूरजमुखी की उन्नत खेती से दोगुना लाभ कमाने (Earn profit from Advanced cultivation of sunflower) के लिए कुछ उन्नतशील और संकर किस्में के बारे में जानकारी दी गई है –

क्रमांक

किस्म का नाम

अवधि

उपज /हे.

विशेषताएँ

1

मॉडर्न

80-85

8-15



यह बौनी किस्म है |पकने के समय इसके फुल झुक जाते है | इसमें 34-35 प्रतिशत तेल होती है |

2

ज्वालामुखी

90-100

20-25



यह संकर किस्म है |इसके बीज काले  और बड़े आकार के होते हैं |फुल मध्यम से बड़े आकार के होते है | इसमें तेलांश  40-45 प्रतिशत होती है |

3

सूर्या

90-95

12-15


इसके  छिलके पर सफ़ेद धारी  एवं बीज काले रंग की होती है 

4

बी.एस.एच.-1

90-95

9-10


इसके बीज पूरा काला और पौधे लम्बे होते है | यह पुरे भारत के लिए उपयुक्त होती है |इसमें तेलांश 42-45 % होती है |

5

डी.आर.एस.एच.-1

95-105

13-16


यह पुरे भारत के लिए उपयुक्त किस्म है | पकने के समय इसके फुल झुक जाते है |यह सुखा सहनशील है | इसमें तेलाश 42-43% है |

6

डी.आर.एस.एफ. -108

95-100

9-10


इसमें तेलाश 36-39 प्रतिशत होती है |

7

डी.आर.एस.एफ. -133

95-98

10-15


इसमें तेलाश 36-39 प्रतिशत होती है |

बीज की मात्रा-

सूरजमुखी बीज की मात्रा,खेत की तैयारी और बीज के अंकुरण प्रतिशत पर निर्भर करती है | सामान्य दशा में उन्नत किस्मों के बीज की मात्रा – 10 किग्रा/हे.की दर से बोवाई करें |संकर किस्मों के बीज की मात्रा – 6 से 7 किग्रा/हे. की दर से बोवाई करने से उत्तम पौध संख्या देता है |

बोवाई का तरीका –

सूरजमुखी की बोनी कतारों में सीडड्रिल की सहायता से अथवा नारी हल /तिफन/दुफन से कतारों में करना चाहिए। रबी सिंचित और ग्रीष्म सिंचित सूरजमुखी के लिए कतार से कतार की दुरी 60 सेमी एवम पौधे से पौधे की दुरी 30 सेमी रखना चाहिए | बीज की बोनी 2 से 3 सेमी की गहराई में करना चाहिए |

खरीफ असिचित सूरजमुखी की उन्नत खेती से दोगुना लाभ कमाने (Earn profit from Advanced cultivation of sunflower) के लिए कतार से कतार की दुरी 45 सेमी एवं पौधे से पौधे की दूरी दूरी 25 से 30 सेमी रखना चाहिए।

सूरजमुखी की खुली परागण वाली किस्मों के लिए एक लाख पौधे प्रति हेक्टेयर और संकर किस्मों में 80 हजार पौधे प्रति हेक्टेयर उपयुक्त है |

सूरजमुखी की उन्नत खेती से दोगुना लाभ कमाने (Earn profit from Advanced cultivation of sunflower) के लिए अंकुरण के 10-15 दिन पश्चात,जहाँ एक से अधिक पौधा एक ही जगह हो ,उखाड़ कर उनकी संख्या एक कर देनी चाहिए | इसके साथ साथ पौधे से पौधे की दुरी भी नियत कर लेना चाहिए | क्योकि सूरजमुखी में प्रति इकाई पौध संख्या एवं एक ही स्थान पर एक से अधिक पौधों की संख्या का उपज पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है |

बीजोपचार –

सूरजमुखी की उन्नत खेती से दोगुना लाभ कमाने (Earn profit from Advanced cultivation of sunflower) के लिए सबसे महत्तवपूर्ण कारक बीजोपचार है | बीजजनित एवं भूमि जनित रोगों की रोकथाम के लिए फंफूंदनाशक दवा से बीजोपचार करना जरुरी है | इसके लिए बीज को दो ग्राम थायरम एवं एक ग्राम कार्बनडाजिम के मिश्रण से प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें |

सूरजमुखी फसल पर डाउनी मिल्डयू बीमारी का प्रकोप के नियंत्रण के लिए रेडोमिल 6 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से बीज उपचारित करें। दवा का सही तरीका से उपयोग करने के लिए बीज को पहले चिपचिपे पदार्थ से भिगोयें एवं फिर दवा मिला दें और छाया में सुखाकर 2 घंटे बाद बोनी करें।

बीजोपचार का लाभ – बीजों की अंकुरण क्षमता बढ़ जाती है एवं फंफूंदजन्य बीमारियों से सुरक्षा होती है।

असिंचित अवस्था में अच्छे और तुरंत अंकुरण प्राप्त करने के लिए बीज को स्वच्छ पानी में कम से कम 14 घंटे तक भिगोने के पश्चात निकालकर छांव में सुखाएं | इसके साथ साथ बीज जनित रोग को रोकने के लिए फफूंदनाशक दवा से उपचारित करें |

जैव उर्वरक (कल्चर) उपयोग –

सूरजमुखी की उन्नत खेती से दोगुना लाभ कमाने (Earn profit from Advanced cultivation of sunflower) के लिए बीज को फफूंदनाशक दवा से बीजोपचार करने के बाद एजोक्टोवेक्टर जैव उर्वरक (कल्चर ) का एक पैकेट को प्रति हेक्टेयर बीज की दर से प्रयोग करें |

इसी प्रकार पी.एस.बी.जैव उर्वरक के 15 पैकेट को 50 किलोग्राम अच्छी सड़ी हुई गोबर खाद या कम्पोस्ट खाद के साथ अच्छे से मिलायें एवं अंतिम जुताई के समय खेत में डाले | ध्यान रहे मिश्रण को डालते समय खेत में अच्छी नमी होना जरुरी है |

पोषक तत्व प्रबंधन –

सूरजमुखी की उन्नत खेती से अच्छे उत्पादन एवं दोगुना लाभ कमाने (Earn profit from Advanced cultivation of sunflower) के लिए अच्छी सड़ी हुई गोबर खाद या वर्मी कम्पोस्ट खाद 5 से 10 टन प्रति हेक्टेयर की दर से बोनी के पूर्व खेत में अच्छी तरह से मिलाएं | मिट्टी परीक्षण के आधार पर संतुलित रासायनिक उर्वरक का उपयोग करें |

सामान्यतः बोनी के समय 30-40 किलोग्राम नत्रजन, 50-60 किलोग्राम स्फुर एवं 30 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें | रासायनिक उर्वरक में स्फुर की पूरी मात्रा एवं नत्रजन और पोटाश की आधी मात्रा बोवाई के समय देनी चाहिए | शेष बची हुई नत्रजन की आधी मात्रा और शेष बचे पोटाश की मात्रा खड़ी फसल में एक माह बाद निंदाई-गुड़ाई के समय दें | शेष नत्रजन 15 दिन बाद सिंचाई के बाद पौधों के कतारों के बगल में दें | सूरजमुखी फसल में अनावश्यक रूप से अधिक खाद के उपयोग से बचें |

सिंचाई प्रबंधन –

सूरजमुखी की उन्नत खेती से दोगुना कमाई (Earn profit from Advanced cultivation of sunflower) के लिए 4-5 सिंचाई करनी चाहिए | यदि भारी भूमि में खेती की गई है ,तो 3-4 सिचाई की आवश्यकता होती है | पहली सिंचाई बोनी के 20-25 दिन बाद करें | ध्यान रहे, फुल आने के समय एवं दाना भरते समय खेत में पर्याप्त नमी होना चाहिए | खड़ी फसल में सावधानी पूर्वक सिंचाई करनी चाहिए ,ताकि फसल गिरे नहीं | फसल गिरने से उत्पादन प्रभावित होता है इसलिए सिंचाई सावधानी पूर्वक करना चाहिए |

खरपतवार नियंत्रण –

सूरजमुखी की उन्नत खेती से दोगुना कमाई (Earn profit from Advanced cultivation of sunflower) के लिए बोवाई के बाद 45 दिनों तक फसल को खरपतवार से मुक्त रखना चाहिए | क्योकि इससे पौधे पोषक तत्वों का और भूमि के नमी का भरपूर उपयोग करते है जिससे पौधों की अच्छी बढ़वार होती है | सूरजमुखी के पौधों को खरपतवारों से मुक्त रखने के लिए कतारों के बीच 15 दिनों के अन्तराल में वीडर या देशी हल चलाना चाहिए |

सूरजमुखी की फसल के साथ अधिक खरपतवार उगने की स्थिति में रासायनिक खरपतवार नाशक दवा का उपयोग कर सकते है |

  1. बोनी के 0-3 दिन के अन्दर सकरी और चौड़ी खरपतवार नियंत्रण के लिए एलाक्लोर 2.5-3 लीटर /हेक्टेयर की दर से 800-1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें |
  2. बोनी के 0-3 दिन के अन्दर सकरी और चौड़ी खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडीमेथालिन 30 ई.सी.दवा का 2.5 -3 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 800-1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें |

बोरेक्स का छिडकाव-

सूरजमुखी की उन्नत खेती से अच्छी कमाई (Earn profit from Advanced cultivation of sunflower) के लिए बोरेक्स 0.2 प्रतिशत या 2 ग्राम /लीटर पानी में घोल बनाकर सूरजमुखी के फुलों खिलते समय छिडकाव करने से दाने अच्छी तरह से भरते है | इससे उपज तथा दानें में तेल का प्रतिशत भी बढ़ता है |

ध्यान देने योग्य बातें , बोरेक्स का छिडकाव करने के लिए घोल बनाने हेतु चाही गई बोरेक्स की मात्रा को थोड़े से गर्म पानी में घोल लेना चाहिए ,फिर उसे आवश्यकता अनुसार चाही गई पानी की मात्रा में घोल बनाना चाहिए | एक हेक्टेयर में उपयोग हेतु 1 किलोग्राम बोरेक्स का 500 लीटर घोल बनाकर छिडकाव करना उपयुक्त होता है |

कृत्रिम परागण –

सूरजमुखी की उन्नत खेती से अच्छी कमाई (Earn profit from Advanced cultivation of sunflower) के लिए मधुमक्खी और अन्य मित्र कीट फूलों पर बैठकर परागण क्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है ,लेकिन अब बदलते पर्यावरण के कारण मधुमक्खी और अन्य मित्र कीटों की संख्या कम होने से फूलों में भरे हुए बीजों की संख्या कम रहती है |सूरजमुखी की फूलों में बीजों की संख्या कम न हो इसके लिए कृत्रिम परागण की आवश्यकता होती है |कृत्रिम परागण के लिए फूलों को हाथ द्वारा मलमल के कपडे या रुई से हल्का फेर कर परागण किया जाता है | यह क्रिया फुल खिलने के बाद हर दुसरे दिन सुबह 8 से 11 बजे के बीच में लगातार 15 से 20 दिनों तक सभी फूलों में करने पर फूलों में बीजों का भराव अच्छा होता है |

सूरजमुखी की उन्नत खेती से कमाएँ दोगुना लाभ|Earn Profit From Advanced Cultivation Of Sunflower |

तोता व अन्य पक्षियों से सुरक्षा –

सूरजमुखी की फसल को पक्षियों से खासकर तोते से अधिक नुकसान होती है ,जब फसल अकेले या छोटे खेत में लगाईं गई हो तो तोते फसल को अत्यधिक नुक्सान पहुँचातें है | इस नुक्सान को कम करने के लिए फसल में बीज भरने की अवस्था में सुबह और शाम के समय चिड़ियों से बचाव के आवाज लगाना चाहिए |जिससे पक्षी डर कर भाग जाते है | इसके अतिरिक्त खेत के ऊपर चमकीले फीते या अग्नि पकावर्तक फीते चारो तरफ लगा देना चाहिए | यह लाल चमकीला फीता सूर्य के प्रकाश में अत्यधिक चमक पैदा करता है ,जिससे अग्नि की लपटों का आभास होता है | जिससे पक्षियाँ भगा जाते है | यह फीता एक हेक्टेयर के 625 मीटर की आवश्यकता पड़ती है |

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कीट प्रबंधन –

सूरजमुखी की फसल में प्रायः पत्तियों,फूलों और फलों को कुतरकर व खाकर नुकसान पहुँचाने वाले कीटों में बिहारी इल्ली,लाल रोयेंदार इल्ली और तम्बाखू इल्ली नुकसान पहुंचा ती है | इन सब कीटों से लगभग एक जैसा नुकसान होता है | इन कीटों के छोटी छोटी इल्लियाँ समूह में रहकर पत्तियों को खुरच -खुरच कर खाती है और जिससे पत्तियां सफ़ेद-पीली जालीदार हो जाती है | इनके बड़ी इल्लियाँ पत्तियों को काटकर खाती है,जिससे पत्तियां पूरी तरह से समाप्त हो जाती है |

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सूरजमुखी की फसल पर पत्तियों ,फूलों और फलों को खाकर नुकसान पहुंचाने वाले कीटों के अतिरिक्त रस चूसने वाले कीटों के प्रकोप से पौधों की बढ़वार पर विपरीत असर पड़ता है | रस चूसने वाले कीटों में मैनी (एफिड), माहो (जेसिड्स),सफ़ेद मक्खी और थ्रिप्स के शिशु और प्रौढ़ दोनों ही पौधों की शाखाओं ,पत्तियों और फूलों से रस

चूसकर पुरे पौधों को कमजोर बना देते हैं | इन रस चूसने वाले कीटों के अधिक प्रकोप से पौधों की बढ़वार रुक जाती है तथा प्रकोपित पौधों की पत्तियां सुख जाते है ,जिससे उत्पादन में कमी आ जाती है |

नियंत्रण के उपाय – सूरजमुखी की उन्नत खेती से दोगुना लाभ कमाने (Earn profit from Advanced cultivation of sunflower) के लिए समय पर कीट नियंत्रण का उपाय करना आवश्यक है | इसके लिए निम्न नियंत्रण के उपाय अपनाए –

  1. कीटों को नष्ट करने के लिए प्रकाश प्रपंच का उपयोग करें |
  2. फसल की बोवाई समय पर करें |
  3. कीटों की इल्लियाँ छोटी अवस्था में पत्तियों की निचली सतह पर समूह में रहती है | अतः इन प्रकोपित पत्तियों को तोड़कर नष्ट कर देना चाहिए |
  4. फेरोमेन प्रपंच का उपयोग करें | पांच फेरोमेन ट्रैप प्रति हेक्टेयर उपयोग करें |
  5. न्यूक्लियर पाली हाइड्रोसीस विषाणु 250 एल.ई. प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव करें |
  6. कीट प्रकोप आर्थिक हानि स्तर से अधिक होने पर रासायनिक कीटनाशक फोसेलोन 35 ई.सी. या तो क्विनालफास 25 ई.सी.का एक लीटर दवा को 600-800 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव करें |
  7. रस चुसक कीट की नियंत्रण हेतु मिथाईल ऑक्सीडेमेटान 25 ई.सी.दवा की 750-1000 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव करें |
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रोग नियंत्रण –

(1) आल्टरनेरिया पर्ण दाग – यह रोग सूरजमुखी फसल की निचली पत्तियों पर गहरे भूरे और काले रंग के अंडाकार धब्बे के रूप में दिखाई देते है | isका प्रकोप फुल अवस्था में होने से प्रकोपित फुल सुखकर गिर जाते है और बीज नहीं भरते हैं |

नियंत्रण के उपाय – सूरजमुखी की उन्नत खेती से दोगुना लाभ कमाने (Earn profit from Advanced cultivation of sunflower) के लिए समय पर रोग नियंत्रण का उपाय करना आवश्यक है | इसके लिए निम्न नियंत्रण के उपाय अपनाए –

  1. हमेशा प्रमाणित बीज का उपयोग करें | या फिर ऐसे खेत का बीज उपयोग करें ,जहाँ इस रोग का प्रकोप कम हो |
  2. खेत में जल निकास की व्यवस्था अच्छा होना चाहिए |
  3. बीज को फफुन्द्नाशक दवा थायरम या केपटान 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें |
  4. फफुन्द्नाशक दवा डायथेम एम-45 या कॉपरऑक्सीक्लोराइड का 0.3 प्रतिशत के हिसाब से घोल बनाकर रोग की प्रारंभिक अवस्था में 7-10 के अंतर में 3-4 छिडकाव करें | यदि रोग प्रकोप की तीव्रता अधिक बढती है ,तो प्रोपिकोनाजोल 0.1 प्रतिशत का छिडकाव करें |

(2) मुण्डक सडन – यह रोग प्रारंभ में मुण्डक (फुल ) के पीछे हिस्से में तथा पुष्प डंठल पर अनियमित आकार के धब्बे दिखाई देते है | अनुकूल स्थिति में ये धब्बे बढ़ कर फुल के पीछे का ग्रसित भाग कोमल गूदेदार होकर सड़ जाता है तथा मुण्डक सुख कर गिर जाता है | जिससे उपज में कमी आ जाता है |

नियंत्रण के उपाय – सूरजमुखी की उन्नत खेती से दोगुना लाभ कमाने (Earn profit from Advanced cultivation of sunflower) के लिए समय पर रोग नियंत्रण का उपाय करना आवश्यक है | इसके लिए निम्न नियंत्रण के उपाय अपनाए –

  1. बीज को फफुन्द्नाशक दवा थायरम या केपटान 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें |
  2. सूरजमुमुखी मुण्डक सडन नियंत्रण हेतु रासायनिक कीटनाशक दवा क्विनालफास 25 ई.सी.का एक लीटर दवा को 600-800 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव करें |
  3. कॉपरयुक्त फफुन्द्नाशक दवा कॉपरऑक्सीक्लोराइड का 0.3 प्रतिशत के हिसाब से घोल बनाकर फुल अवस्था में 7-10 के अंतर में 2 से 3 बार छिडकाव करें|

(3) सूरजमुखी मोजेक वायरस- इस रोग के प्रकोप के कारण प्रारम्भिक अवस्था में पत्तियों पर गोल एवं हरिमाहीन धब्बे सबसे पहले दिखाई पड़ते है | ये धब्बे मिलकर बड़े हो जाते है | जिससे पौधे की बढवार रुक जाता है और पौधे छोटे रह जाते है | पौधे पर कमजोर बालियाँ आती हैं और बीज सिकुड़ें होते है |

नियंत्रण के उपाय – इसके लिए निम्न नियंत्रण के उपाय अपनाए –

  1. खेत और उसके आसपास के खरपतवार नष्ट करें |
  2. रोग ग्रसित पौधों और उनके भाग को को नष्ट करें |
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कटाई-गहाई :-

सूरजमुखी की कटाई महत्त्वपूर्ण क्रिया है | इसलिए जब फुल के पीछे का भाग पीला होने पर फसल की कटाई करें | सूरजमुखी फसल एक ऐसी फसल जिसे पहले काटने पर उपज और तेल की मात्रा दोनों कम हो जाती है और बाद में कटाई करने पर रखवाली का खर्च बढ़ जाता है | इसलिए सही अवस्था में फसल की कटाई करना आवश्यक है | कटी हुई फसल को अच्छी तरह से सुखाकर गहाई करें | गहाई करते समय सूखे फुल की आपस में रगड़कर या फूलों को डंडे से पीटकर या थ्रेसर से गहाई करें | बीज को साफकर धुप में अच्छी तरीका से सुखाकर भण्डारण करें |

हमने इस लेख के माध्यम से सूरजमुखी की उन्नत खेती दोगुना लाभ कमाने (Earn profit from Advanced cultivation of sunflower) के सम्बन्ध में पूरी जानकारी देने की कोशिश कियें है | यदि आपको और जानकारी चाहिए तो आप कमेंट बॉक्स में अपना टॉपिक लिख सकते है, जो कृषि से सम्बंधित हो | यदि आपको यह लेख अच्छा लगा तो कमेंट बॉक्स में अपना सवाल पूछ सकते है, दिए गए सवाल का जवाब देने का प्रयास किया जावेगा |

स्वास्थ्य सुविधाएं:-

सूरजमुखी की फसलें विटामिन ई, सेलेनियम और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं।सूरजमुखी की फसलें में उपस्थित पोषक तत्वों से हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर जैसी पुरानी बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद करता है। सूरजमुखी के बीज भी प्रोटीन, फाइबर और स्वस्थ वसा का एक उत्कृष्ट स्रोत हैं, जो उन्हें कई व्यंजनों में एक लोकप्रिय स्नैक और सामग्री बनाते हैं।इसलिए आप सूरजमुखी की उन्नत खेती से दोगुना लाभ (Earn profit from Advanced cultivation of sunflower)कमा सकते है।

बाजार में बहुमुखी प्रतिभा:-

सूरजमुखी की फसलों के बाजार में व्यापक अनुप्रयोग हैं। सूरजमुखी के बीजों का उपयोग खाना पकाने के तेल, मार्जरीन और अन्य खाद्य उत्पादों के उत्पादन के लिए किया जाता है। सूरजमुखी की पंखुड़ियों का उपयोग कॉस्मेटिक और स्किनकेयर उत्पादों में किया जाता है, और डंठल और पत्तियों का उपयोग पशु आहार के लिए किया जाता है। सूरजमुखी की फसलों का जैव ईंधन उद्योग में भी उपयोग होता है, जहां उनका उपयोग बायोडीजल और अन्य वैकल्पिक ईंधन के उत्पादन के लिए किया जाता है।

आर्थिक लाभ:-

उच्च उपज और बाजार में बहुमुखी प्रतिभा के कारण सूरजमुखी की फसलें किसानों के लिए लाभदायक हैं। सूरजमुखी की फसलें बड़े पैमाने पर उगाई जा सकती हैं, और बीजों की खाद्य और चारा उद्योगों में अत्यधिक मांग है। सूरजमुखी की फसलें भी अन्य फसलों की तुलना में अपेक्षाकृत कम रखरखाव वाली होती हैं, जिससे वे किसानों के लिए लागत प्रभावी विकल्प बन जाती हैं।इसलिए आप सूरजमुखी की उन्नत खेती से दोगुना लाभ (Earn profit from Advanced cultivation of sunflower)कमा सकते है।

तो दोस्तों यदि आपको सूरजमुखी की उन्नत खेती से दोगुना लाभ कमाए (Earn profit from Advanced cultivation of sunflower) लेख अच्छा लगा हो तो कमेंट करके जरूर बताये और यदि आपके कुछ सुझाव हो तो कमेंट में जरूर लिखे। इस लेख को पढ़ने के लिए आपको बहुत -बहुत धन्यवाद !!

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