DAP खाद के जगह NPK और 20:20:0:13 उर्वरक बेहतर विकल्प!

देश भर में DAP (डाई-अमोनियम फॉस्फेट) उर्वरक की कमी की खबरें किसानों के लिए चिंता का विषय बन गई हैं। लेकिन चिंता की कोई बात नहीं!

NPK and 2020013 fertilizers are better options instead of DAP fertilizer!
NPK and 2020013 fertilizers are better options instead of DAP fertilizer!

कृषि वैज्ञानिकों ने इस कमी को दूर करने के लिए कुछ शानदार विकल्प सुझाए हैं, जैसे एनपीके 12:32:16 और 20:20:00:13 उर्वरक। ये विकल्प न सिर्फ DAP की जगह ले सकते हैं, बल्कि कई मामलों में बेहतर परिणाम भी दे सकते हैं। आइए, इस ब्लॉग पोस्ट में हम डीएपी की कमी के कारणों, एनपीके उर्वरकों के फायदों और इनके इस्तेमाल के तरीकों को समझते हैं।

DAP की कमी का कारण

डीएपी उर्वरक की कमी का मुख्य कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में रुकावटें और कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी हैं। भारत में डीएपी का आयात मुख्य रूप से चीन, रूस और कुछ अन्य देशों से होता है। हाल के वर्षों में, भू-राजनीतिक तनाव, परिवहन लागत में वृद्धि और कच्चे माल की कमी ने डीएपी की उपलब्धता को प्रभावित किया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 में डीएपी की मांग और आपूर्ति के बीच बड़ा अंतर देखा गया है। इस कमी ने किसानों को मजबूर किया है कि वे वैकल्पिक उर्वरकों की तलाश करें।

लेकिन अच्छी खबर यह है कि वैज्ञानिकों ने कई विकल्प सुझाए हैं, जो न सिर्फ डीएपी की जगह ले सकते हैं, बल्कि मिट्टी की उर्वरता और फसल की पैदावार को भी बढ़ा सकते हैं।

एनपीके 12:32:16 और 20:20:00:13 क्यों हैं बेहतर?

एनपीके फ़र्टिलाइज़र, जैसे 12:32:16 और 20:20:00:13, डीएपी की तुलना में कई फायदे प्रदान करते हैं। डीएपी में मुख्य रूप से नाइट्रोजन (18%) और फॉस्फोरस (46%) होता है, लेकिन इसमें पोटाश की मात्रा नहीं होती। दूसरी ओर, एनपीके उर्वरकों में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का संतुलित मिश्रण होता है, जो फसलों की समग्र वृद्धि के लिए जरूरी है। आइए, इनके फायदों को समझते हैं:

  • संतुलित पोषण: एनपीके उर्वरक फसलों को तीनों प्रमुख पोषक तत्व (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश) प्रदान करते हैं, जो डीएपी में सीमित हैं। इससे फसल की जड़ें मजबूत होती हैं, फूल और फल बेहतर बनते हैं, और पैदावार बढ़ती है।
  • मिट्टी की सेहत: एनपीके में पोटाश की मौजूदगी मिट्टी की संरचना को बेहतर बनाती है और पौधों को बीमारियों से लड़ने में मदद करती है।
  • लचीलापन: एनपीके उर्वरकों को अन्य उर्वरकों जैसे यूरिया और सुपर फॉस्फेट के साथ आसानी से मिलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे किसानों को ज्यादा विकल्प मिलते हैं।
  • लागत प्रभावी: डीएपी की तुलना में एनपीके और अन्य मिश्रित उर्वरक कई बार सस्ते और आसानी से उपलब्ध हो सकते हैं।

धान की खेती के लिए विकल्प

कृषि वैज्ञानिकों ने धान की विभिन्न किस्मों के लिए डीएपी के विकल्प सुझाए हैं। ये विकल्प फसल की अवधि के आधार पर अलग-अलग हैं:

जल्दी पकने वाली धान (120 दिन से कम)

  • विकल्प 1: 52 किलो यूरिया, 100 किलो सुपर फॉस्फेट, और 13 किलो पोटाश को मिलाकर 1 एकड़ में इस्तेमाल करें।
  • विकल्प 2: 50 किलो एनपीके 12:32:16 और 39 किलो यूरिया को मिलाकर उपयोग करें।
  • विकल्प 3: 80 किलो एनपीके 20:20:00:13, 18 किलो यूरिया, और 13 किलो पोटाश को मिलाएं।

मध्यम अवधि की धान (125-140 दिन)

  • विकल्प 1: 87 किलो यूरिया, 150 किलो सुपर फॉस्फेट, और 27 किलो पोटाश को मिलाएं।
  • विकल्प 2: 75 किलो एनपीके 12:32:16, 67 किलो यूरिया, और 7 किलो पोटाश का मिश्रण।
  • विकल्प 3: 120 किलो एनपीके 20:20:00:13, 35 किलो यूरिया, और 27 किलो पोटाश।

लंबी अवधि की धान (140 दिन से अधिक)

  • विकल्प 1: 70 किलो यूरिया, 125 किलो सुपर फॉस्फेट, और 20 किलो पोटाश।
  • विकल्प 2: 62 किलो एनपीके 12:32:16, 54 किलो यूरिया, और 4 किलो पोटाश।
  • विकल्प 3: 100 किलो एनपीके 20:20:00:13, 26 किलो यूरिया, और 20 किलो पोटाश।

हाइब्रिड धान

  • विकल्प 1: 113 किलो यूरिया, 200 किलो सुपर फॉस्फेट, और 40 किलो पोटाश।
  • विकल्प 2: 100 किलो एनपीके 12:32:16, 86 किलो यूरिया, और 13 किलो पोटाश।
  • विकल्प 3: 160 किलो एनपीके 20:20:00:13, 44 किलो यूरिया, और 40 किलो पोटाश।

मक्का की खेती के लिए विकल्प

मक्का की फसल के लिए भी डीएपी के शानदार विकल्प उपलब्ध हैं:

  • विकल्प 1: 70 किलो यूरिया, 100 किलो सुपर फॉस्फेट, और 20 किलो पोटाश।
  • विकल्प 2: 50 किलो एनपीके 12:32:16, 56 किलो यूरिया, और 7 किलो पोटाश।
  • विकल्प 3: 80 किलो एनपीके 20:20:00:13, 35 किलो यूरिया, और 20 किलो पोटाश।

तुलनात्मक विश्लेषण: डीएपी बनाम एनपीके

पिछले कुछ वर्षों में, डीएपी की कमी की समस्या समय-समय पर सामने आई है, जैसे 2021 और 2023 में। लेकिन एनपीके उर्वरकों ने बार-बार अपनी उपयोगिता साबित की है। उदाहरण के लिए, पंजाब और हरियाणा में कई किसानों ने एनपीके 12:32:16 का उपयोग करके धान और मक्का की फसलों में बेहतर परिणाम देखे हैं।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की एक स्टडी के अनुसार, एनपीके उर्वरकों का संतुलित उपयोग मिट्टी की उर्वरता को लंबे समय तक बनाए रखता है, जो डीएपी के लगातार उपयोग से संभव नहीं है।

उपयोग टिप्स

  • मिट्टी की जांच: उर्वरक डालने से पहले मिट्टी की जांच करवाएं ताकि सही मात्रा का उपयोग हो।
  • सही समय: उर्वरक को बुआई के समय या फसल की शुरुआती अवस्था में डालें।
  • मिश्रण: उर्वरकों को अच्छी तरह मिलाएं और एकसमान रूप से खेत में फैलाएं।
  • पानी का प्रबंधन: धान की खेती में उर्वरक डालने के बाद पर्याप्त पानी का उपयोग करें।

डीएपी की कमी कोई नई बात नहीं है, लेकिन एनपीके 12:32:16 और 20:20:00:13 जैसे उर्वरकों ने किसानों के लिए नई उम्मीद जगाई है। ये विकल्प न सिर्फ आसानी से उपलब्ध हैं, बल्कि फसलों और मिट्टी के लिए भी बेहतर हैं। सरकारी नीतियां, जैसे उर्वरक सब्सिडी और किसान जागरूकता कार्यक्रम, इन विकल्पों को अपनाने में मदद कर रही हैं।

अधिक जानकारी के लिए, आप कृषि मंत्रालय की वेबसाइट पर जा सकते हैं।

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