फसल अवशेषों का सही प्रबंधन कैसे करें ?

फसल अवशेषों को जलाने के नुकसान और उनके सही प्रबंधन के तरीके जानें। इस लेख में हम बताएंगे कि कैसे फसल अवशेषों का उपयोग कर खेती की लागत कम की जा सकती है और पर्यावरण को बचाया जा सकता है।

फसल अवशेषों का सही प्रबंधन (Management) खेती की लागत कम करने और पर्यावरण बचाने का आसान तरीका है।

फसल अवशेषों का महत्व और समस्या

प्रिय किसान भाइयों और बहनों,
खेती-किसानी हमारे देश की रीढ़ है। हम अन्नदाता हैं, लेकिन कई बार हम अनजाने में ही गलतियां कर बैठते हैं। इन्हीं गलतियों में से एक है फसल अवशेषों को जलाना। कटाई के बाद खेत में बचे ठूंठ, पराली, या अन्य अवशेषों को जलाना आम बात हो गई है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह आदत न सिर्फ आपके खेत की उर्वरता को कम करती है, बल्कि पर्यावरण और आपकी सेहत के लिए भी हानिकारक है?

Proper management of crop residues
Proper management of crop residues

फसल अवशेष जलाने से मिट्टी के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, मित्र कीट मर जाते हैं, और मिट्टी की गुणवत्ता खराब होती है। इसके अलावा, यह प्रदूषण फैलाता है, जिससे हमारी सेहत पर बुरा असर पड़ता है। लेकिन अगर हम इन अवशेषों का सही प्रबंधन करें, तो न सिर्फ इन नुकसानों से बच सकते हैं, बल्कि खेती की लागत भी कम कर सकते हैं।

फसल अवशेष (crop residues) जलाने के नुकसान

2. मिट्टी के पोषक तत्वों का नुकसान*

फसल अवशेष जलाने से मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, 1 टन धान की पराली जलाने से लगभग 5-6 किलोग्राम नाइट्रोजन, 2.5-3 किलोग्राम फॉस्फोरस, 20-25 किलोग्राम पोटाश और 1-2 किलोग्राम सल्फर नष्ट हो जाती है। ये पोषक तत्व फसलों के लिए बहुत जरूरी होते हैं। इनकी कमी से मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है और अगली फसल की पैदावार पर बुरा असर पड़ता है।

    2. मित्र कीटों का नुकसान

    फसल अवशेष जलाने से मित्र कीट (जो फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को खाते हैं) मर जाते हैं। इससे फसलों को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए ज्यादा कीटनाशकों का इस्तेमाल करना पड़ता है। यह न सिर्फ महंगा होता है, बल्कि पर्यावरण और हमारी सेहत के लिए भी हानिकारक है।

    3. मिट्टी की संरचना खराब होना

    फसल अवशेष जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ जाता है, जिससे मिट्टी की संरचना खराब होती है। मिट्टी में मौजूद केंचुए और अन्य लाभदायक जीव मर जाते हैं। ये जीव मिट्टी को हवादार और उपजाऊ बनाने में मदद करते हैं। इनके नष्ट होने से मिट्टी बंजर होने लगती है।

    4. पर्यावरण प्रदूषण

    फसल अवशेष जलाने से वायु प्रदूषण होता है। इससे सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। यह प्रदूषण न सिर्फ इंसानों के लिए, बल्कि पशुओं के लिए भी हानिकारक है।

    फसल अवशेष प्रबंधन के फायदे

    फसल अवशेषों का सही प्रबंधन करने से न सिर्फ इन नुकसानों से बचा जा सकता है, बल्कि इससे खेती की लागत भी कम की जा सकती है। आइए जानते हैं कि फसल अवशेष प्रबंधन के क्या फायदे हैं:

    1. मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है: फसल अवशेषों को खेत में मिलाने से मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ बढ़ते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है।
    2. पोषक तत्वों की बचत: फसल अवशेषों को खेत में मिलाने से पोषक तत्व मिट्टी में वापस मिल जाते हैं, जिससे खाद की लागत कम होती है।
    3. नमी संरक्षण: फसल अवशेषों को मल्चिंग के रूप में इस्तेमाल करने से मिट्टी में नमी बनी रहती है, जिससे सिंचाई की लागत कम होती है।
    4. खरपतवार नियंत्रण: फसल अवशेषों से मल्चिंग करने से खरपतवार कम उगते हैं, जिससे खरपतवार नियंत्रण की लागत कम होती है।
    5. कीटनाशकों की बचत: मित्र कीटों को बचाने से कीटनाशकों की जरूरत कम होती है।

    फसल अवशेष प्रबंधन के तरीके

    फसल अवशेषों का सही प्रबंधन करने के कई तरीके हैं। आइए इन्हें विस्तार से जानते हैं:

    1. फसल अवशेषों को खेत में मिलाना

    फसल अवशेषों को खेत में मिलाना सबसे आसान और प्रभावी तरीका है। इसके लिए आप निम्नलिखित तरीके अपना सकते हैं:

    • गहरी जुताई: फसल कटाई के बाद खेत की गहरी जुताई करें और फसल अवशेषों को मिट्टी में मिला दें। इसके बाद खेत में पानी भर दें। इससे अवशेष कम्पोस्ट में बदल जाएंगे और अगली फसल को पोषक तत्व मिलेंगे।
    • यूरिया का उपयोग: फसल अवशेषों को जल्दी सड़ाने के लिए 50 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में छिड़कें और कल्टीवेटर या रोटावेटर से मिट्टी में मिला दें।
    • इससे अवशेष जल्दी विघटित होकर ह्यूमस में बदल जाएंगे।

    2. कम्पोस्ट बनाना

    फसल अवशेषों को इकट्ठा करके कम्पोस्ट या वर्मी कम्पोस्ट बनाया जा सकता है। इसके लिए निम्नलिखित तरीके अपनाएं:

    • नाडेप खाद: फसल अवशेषों को नाडेप खाद के टांके में डालकर कम्पोस्ट बनाएं।
    • वर्मी कम्पोस्ट: फसल अवशेषों को केंचुआ खाद बनाने के लिए इस्तेमाल करें। यह खाद मिट्टी के लिए बहुत फायदेमंद होती है।

    3. मल्चिंग का उपयोग

    फसल अवशेषों को खेत में पलवार (मल्चिंग) के रूप में इस्तेमाल करें। इससे मिट्टी में नमी बनी रहती है, खरपतवार कम उगते हैं, और मिट्टी का तापमान नियंत्रित रहता है।

    4. जैविक अपघटक का उपयोग

    फसल अवशेषों को जल्दी सड़ाने के लिए जैविक अपघटक (जैसे ट्राईकोडर्मा या वेस्ट डिकम्पोजर) का उपयोग करें। 100 लीटर घोल प्रति एकड़ की दर से खेत में छिड़कें। इससे अवशेष 21 दिन में सड़ जाएंगे।

    5. यंत्रों का उपयोग

    फसल अवशेषों को खेत में पड़े रहने दें और मल्चर, जीरो सीड ड्रिल, या हैप्पी सीडर जैसे यंत्रों का उपयोग करें। इससे बीज की बोवनी आसानी से हो जाएगी और अवशेष मल्चिंग का काम करेंगे।

    फसल अवशेषों का सही प्रबंधन करना न सिर्फ पर्यावरण के लिए अच्छा है, बल्कि यह खेती की लागत कम करने का भी एक बेहतरीन तरीका है। फसल अवशेषों को जलाने के बजाय उन्हें खेत में मिलाएं, कम्पोस्ट बनाएं, या मल्चिंग के रूप में इस्तेमाल करें। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी, खाद और कीटनाशकों की लागत कम होगी, और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।

    किसान भाइयों, आइए फसल अवशेषों का सही प्रबंधन करके खेती को और भी लाभदायक बनाएं और पर्यावरण को बचाएं।

    याद रखें:
    “फसल अवशेष हैं अनमोल, इन्हें जलाएं नहीं, इनका सही प्रबंधन करें।”

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