“घर में Mushroom Ugaye और अपने जुनून को मुनाफे में बदलें! मशरूम उगाने की प्रारम्भिक प्रक्रिया से उत्पादन तकनीक जाने, घर पर खेती कैसे करें, और अपनी फसल से पैसे कैसे कमाए । अपना काम आज ही शुरू करें और घर में मशरूम उगाये (grow mushrooms at home), धन कमाये
भारत जैसे देश में जहाँ की अधिकांशतः आबादी शाकाहारी है,तो ऐसे में मशरूम अथवा खुम्बी का महत्व पोषण की दृष्टि से बहुत अधिक हो जाता है। वैसे भारत में मशरूम का प्रयोग सब्जी के रूप में अधिक किया जाता है। वैसे भारत में मशरूम उत्पादकों के दो समूह है, एक जो उचित मौसम में ही खेती करते हैं तथा दूसरे जो पूरे वर्ष भर मशरूम उगाते हैं।
भारत देश में मौसमी खेती मुख्यतः हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश की पहाड़ियों,उत्तर-पश्चिमी पहाड़ी क्षेत्रों, तमिलनाडु के पहाड़ी भागों में 2 से 3 फसलों के लिए तथा उत्तर-पश्चिमी समतल क्षेत्रों में केवल जाड़े की फसल के रूप में मशरूम खेती की जाती है।
वैसे मशरूम खेती पूरे देश में वर्ष भर की जाती है। चंडीगढ़, देहरादून, गुड़गांव, ऊटी, पूना, चेन्नई तथा गोवा के आस-पास 200 से 5000 टन प्रति वर्ष मशरूम उगाने वाली निर्यात की दृष्टि से इकाईयाँ लगी हुई हैं।
Mushroom की प्रजाति :-
विश्व भर में लगभग 12 तरह के मशरूम होते हैं, जिसमें से हिन्दुस्तान में हमारे लगभग चार तरह के जो मशरूम हैं वह हम लोग उपयोग में लाते हैं। एक है हमारा पैट्रियस मशरूम, दूसरा है ओएस्टर मशरूम, मिल्की मशरूम और बटन मशरूम।व्यावसायिक दृष्टि से तीन प्रकार की मशरूम उगाई जाती है- बटन मशरूम , ढिंगरी मशरूम तथा धान पुआल या पैडी स्ट्रा मशरूम। इनमें बटन मशरूम सबसे अधिक लोकप्रिय है। तीनों प्रकार की मशरूम को किसी हवादार कमरे या शेड में आसानी से उगाया जा सकता है।
मशरूम हमारे देश में व्यावसायिक स्तर पर उगाया जा रहा है। हमारे देश में श्वेत बटन मशरूम का प्रचलन अधिक है। जैसे-जैसे इसके उत्पादन में वृद्धि हुई है उसी के साथ अनुसंधान से यह भी पता चला है कि मशरूम की अन्य प्रजातियों को भी सफलता पूर्वक उगाया जा सकता है।
वैसे Mushroom की निम्नलिखित प्रजातियों को कृषि अपशिष्ट सामग्रियों पर विशेष प्रकार के वातावरण में उगाया जा सकता हैं –
क्र. | प्रजाति | उगाने का माध्यम |
1 | अगेरिकस बाइटोरक्यूस | गेहूँ का भूसा |
2 | ढिंगरी मशरूम | गेहूँ का भूसा/धान का पुआल |
3 | वाल्वेरियोल्ला मशरूम | धान का पुआल |
4 | शिटाके मशरूम | लकड़ी का बुरादा |
5 | कैलोसाईबी मशरूम | धान का पुआल |
6 | कोप्राइनस मशरूम | गेहूँ का भूसा/धान का पुआल |
भारत में उगाई जाने वाली मशरूम :-
हमारे देश में केवल अगेरिकस बाइटोरक्यूस, डिंगरी तथा वाल्वेरियोल्ला मशरूम ही बडे पैमाने पर कृत्रित रूप से उगाया जाने लगा है तथा अन्य प्रजातियों को कृत्रिम रूप से उगाने की तकनीक अभी प्रयोगशाला स्तर तक ही सिमित है। भारत में डिंगरी मशरूम का उत्पादन सब्जी के रूप में अधिकता से किया जाता है।
मशरूम की कई प्रजातियाँ भारत में जगाई जाती है।वैसे अन्य मशरूम की तुलना में सरलता से आई जाने वाली डिंगरी मशरूम खाने में स्वादिष्ट, मुलायम तथा पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसमें वसा तथा शर्करा कम होने के कारण यह मोटापे, मधुमेह तथा रक्तचाप से पीड़ित व्यक्तियों के लिए आदर्श आहार है।
डिंगरी मशरूम समशीतोष्ण कालीन मशरूम उगाने के लिए उपयुक्त है, जिसे वर्षपर्यन्त उगाया जा सकता है। इसकी अच्छी उपज के लिए उचित तापमान 20 से 30 डिग्री सेन्टीग्रेटड आवश्यक होता है। प्रदेश में इसका उत्पादन लगभग 150 मैट्रिक टन होता है।
मशरूम में पाए जाने वाले पोषक तत्व :
आज हमारे देश में वृहत रूप में मशरूम उगाकर अच्छी मुनाफ़ा भी कमा रहे है ,क्योकि इसका कारण है मशरूम खाने में स्वादिष्ट, मुलायम और साथ ही साथ पोषक तत्वों से भरपूर होती है।तो आईये जानते है 100 ग्राम ताजा ढिंगरी मशरूम में पोषक तत्व कितने कितने प्रतिशत में पाए जाते है :-
क्रमाँक | पोषक तत्व | मात्रा ( प्रतिशत में) |
1 | काबोहाइड्रेट | 52 |
2 | प्रोटीन | 25 |
3 | वसा | 02 |
4 | रेशे | 13 |
5 | राख | 06 |
6 | नमी | 9 |
ढिंगरी मशरूम का कैलोरी मान 34-35 किलो कैलोरीज प्रति 100 ग्राम है। यह कैलोरी जागरूक उपभ०क्ताअ० के लिए भी उत्तम आहार सिद्ध होता है।
How to Grow Mushrooms:-
मुख्य रूप से जो हमारे उद्योग के लिए फायदेमंद है, वह है ओएस्टर मशरूम। तो आइए देखते हैं कि हम वेस्टर्न मशरूम कैसा होता है और इसको कैसे तैयार करते हैं। हम बात कर रहे हैं वेस्टर्न मशरूम की।आइए अब जानते हैं मशरूम कैसे उगाएं (how to grow mushrooms) और समझते है इसकी सरल प्रक्रिया को ।
वेस्टर्न मशरूम के लिए कम्पोस्ट बनाने की विधि –
वेस्टर्न मशरूम बनाने के लिए पहले कम्पोस्ट तैयार करें। इसके लिए आपके पास 10 किलो के आसपास भूसा है, पानी है, फर्म लीन है और बीज स्पॉन है। हमने इस भूसे को पानी में भिगो करके 24 घंटे के लिए छोड़ दिया था। इसमें फार्मेलिन भी हमने मिलाया था, लगभग पांच एमएल 24 घंटे के बाद में। अब इसको हम 30 मिनट के लिए 60 से 65 सेंटीग्रेड पर गरम कर रहे हैं। गरम होने के बाद में आप देख रहे हैं कि इसमें बुलबुला अच्छी तरह से उठ गया है।
अब इसको हम छान लेते हैं। इसको छलनी की सहायता से हम ऐसे थोड़े थोड़े छान करके अलग इसमें डालेंगे। इसको छानने के बाद अच्छी तरह छानने के बाद में पानी पूरी निकल जाने चाहिए। इसका फिर इसको हम ठंडा होने के लिए थोड़ा देर छोड़ देंगे। ठंडा होने के बाद में हम एक पॉलिथीन लेंगे।
इस पॉलिथीन को फार्मेलिन से अच्छी तरह से साफ कर लेंगे। और जिसमें भूसा को हमको भरना है। इस सारे पॉलिथीन को फार्मेलिन से हम साफ कर लेंगे। साफ करने के बाद यह भूसा जो हमारा है आप देख रहे हैं। मैं जब इसको ठंडा हो चुका है। थोड़ा देर छोड़ने के बाद में अब इसको जब हम हाथ में उठाकर देखते हैं तो इसमें से पानी नहीं निकल रहा है इसको निचोड़ने पर। लेकिन भूसा रख देने पर इसमें अपने हाथ में नमी महसूस हो रहा है। मतलब अभी तैयार है।
मशरूम की बिजाई (स्पॉनिंग) :-
कम्पोस्ट तैयार होने के बाद अभी हम इसमें बीज को डाल सकते हैं, तो सबसे पहले हम मशरूम उगाने (grow mushrooms)के लिए क्या कर रहे हैं? हमारे पास एक किलो का स्पॉट है। इस बीज को इसमें से हम लगभग आधे से ज्यादा 60 % कर सकते हैं। हम पहले इसको पूरे भूसे में मिला देंगे। इसको समान रूप से छिड़क करके मिला देंगे और इसको अच्छी तरह से मिलाएंगे।
प्लास्टिक कैसे बाँधे ?
मशरूम स्पॉन मिलाने के बाद में अब हम प्लास्टिक को लेते हैं और इसके नीचे गांठ मारेंगे। तो आईये जानिये कैसे करते हैं। इसको पहले हम एक जगह करके गांठ लगा दिए नीचे से ताकि जब हम इसमें भूसा को डालेंगे तो यह नीचे से गोल हो जाएगा। अब इसमें हम लगभग डेढ़ से ढाई इंच तक भूसा डालेंगे।
इसको अच्छी तरह से दबा दबाकर के चारों तरफ से भर देंगे। फिर इसमें हम थोड़ा थोड़ा स्पंदन जो हमारे पास बचा हुआ है, उसमें से थोड़ा थोड़ा किनारे किनारे डालेंगे। इसमें ऐसे फैलाकर डाल दिया। फिर इसके ऊपर हम भूसा को और डालेंगे और इसको थोड़ा थोड़ा इसको दबाते जाएंगे। अच्छी तरह से। ताकि प्लास्टिक में चारों तरफ से अच्छी तरह से बैठ जाए।
फिर इसमें एक लेयर हम और बीज को डालेंगे। हम 3 से 4 लेयर तक इसमें डाल सकते हैं। बीज को डालने के बाद में। अब इसको अच्छी तरह से हम दबा लेंगे ऊपर से सबको। यह दबाना बहुत जरूरी है। यह जितना अच्छा दबा रहेगा, हमारा उत्पादन उतना अच्छा आएगा। तो इसे अच्छी तरह से दबाना जरूरी है। अब इसको हम पैक करते हैं।
पैक करने का तरीका :-
कम्पोस्ट या भूसा डाले हुए प्लास्टिक को पहले एक तरफ से थोड़ा सा दबाएं। फिर चारों तरफ से इसको दबाते हुए इसको हम एक जगह कर ले,ताकि एयर इसका निकल जाए। पोलीथीन जो है वो इसमें चिपक जाए। ऐसे ले करके अब इसको हम गोल गोल बनाएंगे । यह सुनिश्चित करें कि इसमें से सारा एयर सब पहले ही निकल गया है और ये अच्छी तरह से अभी चिपक गया। । अब इसको हम गोल गोल करके इसको अच्छी तरह से गांठ मारेंगे और इसे रेडी कर ले । अब स्टोर में ले रखेंगे और इसमें किनारे किनारे छेद छेद करेंगे।
मशरूम में कीट एवं बीमारी :-
ढिंगरी मशरूम में कीट एवं बीमारियों का प्रकोप बहुत कम होता है, परन्तु यदि बैग्स भरने के समय सफाई नही रखी जाय तो इस पर कई प्रकार के प्रतिस्पर्धी कवकों का प्रकोप हो जाता है। इनमें मुख्यतः हरे मोल्ड, काले मोल्ड, स्कलेरोशियम रोल्फसाई, म्यूकर एवं राइजोपस प्रजातियां होती हैं। ये कवक मशरूम को सीधे प्रभावित नहीं करते है, बल्कि मशरूम के साथ माध्यम पर उगकर भोजन के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं तथा मशरूम की वृद्धि को रोक देते हैं।
दोस्तों जब मशरूम की स्पॉनिंग बैग की निर्धारित जगह में स्थापित कर लेते है और आवश्यकता अनुसार पानी सिंचाई करते है ,साथ नियमित निरीक्षण कर कीट-व्याधि से सुरक्षित रखते है। तो 25 दिन बाद पीस निकलना प्रारम्भ हो जाता है। जिसे मशरूम का छोटे से पीन कहते हैं।
यह छोटे छोटे पौधे टाइप के हैं मशरूम का। यह तीन दिन में बड़े हो जाएंगे। तीन दिन में बड़े होकर आपका हार्वेस्ट करने लायक हो जाएंगे। मशरूम का यह पहला मशरूम जिसे फ्लूड कहते हैं । तीन दिन बाद हम इसको आसानी से हार्वेस्ट करके इसको यूज कर सकते हैं और इसे मार्किट में बेच सकते हैं।