Shimla Mirch Ki Kheti | Capsicum Farming 2024.

हमारे देश मे चाहे खरीफ ,रबी या गर्मी का सीजन हो,उगाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की सब्जियों मे टमाटर एवं शिमला मिर्च एक महत्वपूर्ण स्थान रखते है। वैसे शिमला मिर्च को सामान्यता बेल पेपर भी कहा जाता है। इसमे विटामिन-सी एवं विटामिन -ए तथा खनिज लवण जैसे आयरन, पोटेशियम, ज़िंक, कैल्शियम आदि पोषक तत्व प्रचुर मात्रा मे पाये जाते है।

शिमला मिर्च में पोषक तत्व के कारण हमें ये कई बीमारियो से बचा जा सकते है।साथ ही बदलती खाद्य शैली के कारण शिमला मिर्च (Capsicum) की मांग भी दिन प्रतिदिन बढती जा रही है। अनुमानतः Shimla Mirch Ki Kheti भारत मे लगभग 4780 हैक्टयर में की जाती है तथा लगभग 42230 टन प्रति वर्ष वार्षिक उत्पादन होता है।

वैसे हमारे भारत में शिमला मिर्च का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश है, क्योकि आंध्र प्रदेश शिमला मिर्च की खेती के लिए अनुकूल जलवायु परिस्थितियों और उपयुक्त कृषि पद्धतियों के लिए जाना जाता है, जो शिमला मिर्च की खेती में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। इस राज्य की अनुकूल जलवायु और सिंचाई सुविधाओं की उपलब्धता शिमला मिर्च के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए उपयुक्त है, जिसके कारण आंध्र प्रदेश देश में शिमला मिर्च के अग्रणी उत्पादक बन गया है।

Shimla Mirch Ki Kheti :-

तो किसान भाइयों ,शिमला मिर्च की खेती के लिए अभी सीजन स्टार्ट हो गया है तो किस प्रकार हमको फार्म की प्रिपरेशन कराना चाहिए, कौन सी वैरायटी का चुनाव करना चाहिए। इस ब्लॉग के माध्यम से सम्पूर्ण जानकारी शेयर करेंगे। इस ब्लॉग पोस्ट कैप्सिकम फार्म का पूरा विश्लेषण करने वाले हैं वो भी डिटेल के साथ |

Shimla mirch ki kheti
Shimla mirch ki kheti

क्योंकि किस्म यानि सीट्स का चुनाव करते समय या किस्म का चुनाव करते समय काफी समस्या का सामना करना पडता है और जो किसान भाई साधारण तरीके से भी खेती करने की सोच रहे हैं या फिर करना चाहते हैं, कम लागत पर शिमला मिर्च का एक अच्छा मुनाफा निकालना चाहते हैं तो इस ब्लॉग पोस्ट से आपको काफी मदद होगी क्योंकि रोग बीमारी का इलाज, उपाय,स्प्रे एरिगेशन, फर्टिगेशन के साथ साथ नेट प्रॉफिट कितनी लागत लगेगी इत्यादि के बारे विस्तार से जानकारी मिलेगी ।

शिमला मिर्च की खेती के लिए अनुकूल समय :-

सबसे पहले जानते है, Shimla Mirch Ki Kheti के लिए अनुकूल समय यानी टाइमिंग तो हर एक फसल के लिए टाइमिंग बहुत ज्यादा जरूरी रहती है। तो दोस्तों ,शिमला मिर्च के लिए पौध रोपण के लिए सही समय बरसात के लिए अगस्त महीना काफी अनुकूल माना जाता है .

अगस्त से लेकर सितंबर के मध्य आपको पौध रोपण कर देना चाहिए और वहीं यदि आप गर्मियों के दिनों पर खेती करने की सोच रहे हैं तो नवंबर और दिसंबर काफी ज्यादा अनुकूल समय माना जाता है। लेकिन बरसात के दिनों पर कर रहे हैं तो बरसात आने से पहले मल्चिंग और ड्रिप बिछवा दीजिए। वेयर तैयार करा लीजिए और इस समय आपको पौध रोपण कर देना चाहिए ।

जलवायु और तापमान :-

दोस्तों, Shimla Mirch Ki Kheti के लिए जलवायु और तापमान बहुत महत्त्वपूर्ण करक है। दोस्तों, ठंडे नम आद्र जलवायु की शिमला मिर्च फसल को आवश्यकता पड़ती है और इसके लिए टेम्परेचर कम से कम 10 से 12 डिग्री और अधिकतम 35 से 36 डिग्री सेल्सियस उपयुक्त रहता है और फूल की अवस्था पर 25 से लेकर 30 डिग्री सेल्सियस का टेम्परेचर काफी अच्छे रहता है, क्योकि तापमान पर फ्लावरिंग और रूटिंग सेट हो पाते हैं।

दोस्तों आप समझ सकते हैं जहां पर आप टमाटर की खेती कर सकते हैं और भिंडी, बरबटी, पत्ता गोभी, फूल गोभी खेती कर सकते हैं। वहां पर आप शिमला मिर्च की खेती भी कर सकते हैं।

Shimla Mirch ki Kheti के लिए भूमि और खेत की तैयारी :-

भूमि और खेत की तैयारी के ऊपर बात करते हैं तो Shimla Mirch Ki Kheti के लिए वैसे तो काली मिट्टी , काली दोमट, चिकनी दोमट भूमि और बलुई दोमट भूमि काफी ज्यादा उपयुक्त रहती है। प्रायः प्रायः सभी प्रकार की भूमि पर आप शिमला मिर्च की खेती कर सकते हैं।

shimla mirch ki kheti
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वैसे Shimla Mirch Ki Kheti के लिए मृदा की पीएच मान साढ़े पांच से साढ़े सात तक चल जाती है और खेत की तैयारी में 1 से 2 बार आपको कल्टीवेटर 10 फीट या फिर तोता हल से आपको पहली और दूसरी फ्लोरिंग कराना चाहिए या फिर गर्मियों के दिनों से पहले ही कम से कम एक महीने पहले ही गहराई में प्लाऊ कर दे, उससे प्लॉटिंग कराइए और कम से कम 30 दिन की तेज धूप लगाना है। फिर उसके बाद कल्टीवेटर से आपको मिट्टी को ठीक तरीके से समतल करा लेना है।

डिस्क हैरो या फिर रोटावेटर से आपको मिट्टी को भुरभुरी करा लेना है। यदि मिट्टी भुरभुरी रहेगी, तो फिर वेट बनाने में आसान होगा । इसके लिए बेड राइजर से बैड तैयार करेंगे। जिससे मल्चिंग बिछाने पर समस्या नहीं जाएगी तो मिट्टी भुरभुरी होना बहुत ज्यादा जरूरी है तो इस प्रकार खेत की तैयारी कराना है।

शिमला मिर्च की किस्में :-

शिमला मिर्च (Capsicum) की किस्में की बात करें,तो भारत भर में सैकड़ों वैरायटी हैं। लेकिन आप ऐसे शिमला मिर्च की किस्म का चयन करें ,जो सभी भूमि पर, जलवायु पर, टेम्परेचर पर जो वैरायटी ग्रो हो जाए। ग्रो के साथ साथ फल का साइज अच्छा हो और जिसका काफी अच्छा प्रोडक्शन हो । जब हम अपनी उपज को बाजार में ले जाएं तो जो वैरायटी जल्दी जल्दी बिक जाए। ऐसे किस्म का चयन करें।

काफी अच्छा उत्पादन देने वाली किस्मों में से आशा वन और इंदिरा वन है। इसके अतिरिक्त शिमला मिर्च (Capsicum) की प्रमुख किस्में – काबेरी 254, इंडस 1201, कैलिफोर्निया वंडर, रायल वंडर, येलो वंडर, ग्रीन गोल्ड, भारत , अरका बसन्त, अरका गौरव , अरका मोहिनी, सिंजेटा इंडिया की इन्द्रा, बॉम्बी, लारियो एवं ओरोबेल, क्लॉज़ इंटरनेशनल सीडस की आशा, सेमिनीश की 1865, हीरा आदि किस्मे प्रचलित है।

simla mirch ki kheti
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यह वैरायटी काफी अच्छी है, लेकिन अब तो और भी ज्यादा इम्प्रूव वैरायटी हाइब्रिड वैरायटी मार्केट में आ गई हैं, तो उनको भी आप चुनाव और सलेक्शन कर सकते हैं। क्या इससे पहले भी इन वैरायटी के अलावा आपने कोई नई वैरायटी ट्राई किया है।

बीजोपचार :-

बीजोपचार के ऊपर बात करते हैं तो देखिए हाइब्रिड बीजों को उपचार करने की आवश्यकता नहीं हैं लेकिन फिर भी फफूंदी जनित रोग जड़ संबंधी रोग आती हैं। तो वो ना आएं उसकी रोकथाम के लिए एक किलोग्राम बीज में पाँच ग्राम ट्राइकोडर्मा से बीज उपचार करने के बाद यदि आप नर्सरी तैयार करेंगे तो बेहतरीन तरीके से नर्सरी तैयार हो जाएगी।

पौध तैयार करना :-

नर्सरी तैयार की ऊपर दोस्तो बात करते हैं तो घर पर ही आप कैसे शिमला मिर्च की नर्सरी सस्ते पर एकदम आसान तरीके से नर्सरी तैयार कर सकते हैं। वैसे शिमला मिर्च के बीज मंहगे होने के कारण इसकी पौध प्रो-ट्रेज मे तैयार करनी चाहिए। इसके लिए अच्छे से उपचारित ट्रेज का उपयोग किया जाना चाहिए।

simla mirch ki kheti
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तो आईये जानते है नर्सरी किस प्रकार घर में तैयार करनी है। ट्रेज मे मीडिया का मिश्रण जैसे वर्मीकुलाइट, परलाइट एवं कॉकोपीट 1:1:2 की दर से तैयार करना चाहिए। तो इसके लिए प्लास्टिक ट्रे में नर्सरी तैयार करने के लिए जो आवश्यक सामग्री है वो नारियल की खाद 20 किलोग्राम, वर्मी कंपोस्ट 10 किलोग्राम और फंगी यूपीएल की साफ ले सकते है।

कार्बेंडाजिम मैंकोजेब 100 ग्राम ले लीजिए और प्लास्टिक प्रो ट्रे 150 फीट की आवश्यकता पड़ने वाली है तो इनको सबको मिक्स करना है। झारे से हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। यदि आवश्यक हो तो मल्च का उपयोग भी किया जा सकता है।

उसके बाद मल्चिंग पेपर में इस प्रकार कवर करके रखना है कि गर्माहट हो। हीट जनरेट होने से अंकुरण काफी अच्छा होता है। तो इस प्रकार यदि आप चार, पांच, छह दिन के आसपास यदि आप कवर करके रखते हैं तो फिर अंकुरण काफी अच्छा हो जाता है। सुबह शाम सिंचाई करेगी और बेहतरीन तरीके से 25 से 27 दिनों पर नर्सरी तैयार हो जाएगी। तो इस विधि से यदि आप प्लास्टिक प्रो ट्रे विधि से आप नर्सरी तैयार करते हैं तो आसानी तरीके से नर्सरी तैयार हो जाएगी।

एक हेक्टयर क्षेत्रफल मे 200-250 ग्राम संकर एवं 750-800 ग्राम सामान्य किस्म के बीज की आवश्यकता होती है।

शिमला मिर्च की रोपाई :-

जब 25 दिनों पर आपकी स्वस्थ नर्सरी तैयार हो जाए। इसके बाद जब आप नर्सरी को पौध रोपण प्लांटेशन करें। खेत तैयार है। आप नर्सरी पर इंसेक्टिसाइड का एक स्प्रे कर लीजिए।इसके लिए थामस एग्जॉम हो या फिर इमिडाक्लोप्रिड का स्प्रे ले लीजिए।

shimla mirch ki kheti
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फिर उसके बाद पौध रोपण करना चाहिए। इससे फायदा यह होगा कि जो फंगस लगते हैं, जो रोग, डिजीज, बीमारी आती हैं। उसका प्रकोप कम हो जायेगा। और फिर उसके बाद प्लांटेशन करना चाहिए। पौधो की रोपाई अच्छी तरह से उठी हुई तैयार क्यारियाँ मे करनी चाहिए। क्यारियो की चौड़ाई सामान्यतः 90 सेमी रखनी चाहिए। पौधो की रोपाई ड्रिप लाईन बिछाने के बाद 45 सेमी की दूरी पर करनी चाहिए। एक क्यारी पर पौधों की सामान्यतः दो कतार लगाते है।

उर्वरक उपयोग :-

दोस्तों ,Shimla Mirch ki Kheti के लिए खाद की बात करें ,तो गोबर खाद 25 टन प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग कर सकते है। वही रासायनिक उर्वरक की बात की जाए तो एनः पीः के: 250:150: एवं 150 किग्रा. प्रति हेक्टेयर उपयोग कर सकते है।

पौधों की ड्रीचिंग करना :-

जब शिमला मिर्च की प्लांटेशन हो जाए। फसल की ड्रीचिंग करें। ड्रीचिंग से फसल की जड़ें अच्छे तरीके से रूट पकड़ लेती है। पौधा अच्छे तरीके से बढ़वार होता है।

तो आपको पहला ड्रीचिंग रोपाई से दूसरे दिन करना है। इसके लिए एनपीके घुलनशील खाद 19:19:19 एक किलोग्राम साथ फंगईसीडस साफ़ 300 ग्राम ले। इसे 500 लीटर पानी पानी में घोल बना लें। घोल को 50 से 100 मिली के हिसाब से आपको जड़ों के पास प्रति एकड़ की दर से जड़ों के पास मिला देना है।

इसके अलावा जैसे ही प्लांटेशन छठवें दिन का होती है यानी रोपाई के छठवें दिन सेकंड ड्रीचिंग करनी है, तो आपको सेकेंड ड्रीचिंग में एक किलोग्राम एनपीके घुलनशील12 :61 :0 लेना है और 500 एमएल लिक्विड ह्यूमिक एसिड लेना है। ध्यान रखना है सेकेंड ड्रीचिंग में एक किलोग्राम एनपीके घुलनशील खाद को लेना है और 500 एमएल आपको लिक्विड ह्यूमिक एसिड लेना है। इनको मिक्स करना है और 50 से 100 मिली के हिसाब से आपको पौधों की जड़ों के पास डाल देना है।

इसके अलावा तीसरा ड्रीचिंग रोपाई से आठ से दस दिन में करनी है। इसके लिए एक एकड़ के हिसाब से 17 :44 :0 एनपीके घुलनशील खाद तीन किलोग्राम लेनी है और फॉस्फोरस बैक्टीरिया दो किलोग्राम लेना है, इनको 500 लीटर पानी मिलाना है। अब एक एकड़ शिमला मिर्च के खेत में 50 से लेकर 100 मिली के हिसाब से पौधों जड़ों के पास मिला देना है। इससे आपके पौधों की बढ़वार बढ़िया होगी तथा फूल और फल अधिक लगेगा। जिसके आपके उत्पादन में वृद्धि होगी।

उर्वरक का महत्त्व :-

शिमला मिर्च की फसल को प्लांटेशन से लेकर 45 दिन तक अपेक्षाकृत हमारी पूरी फसल चक्र पर अधिक नाइट्रोजन की आवश्यकता पड़ती है। शुरुआती चरणों के मध्य बहुत अधिक मात्रा पर नाइट्रोजन की आवश्यकता पड़ती है। इसके अलावा फॉस्फोरस जड़ों को मजबूती एवं तने को मजबूत बनाती है । साथ ही जड़ों का विकास एवं फूलों की संख्या बढ़ाने के लिए फास्फोरस का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।

फास्फोरस खाद मिर्च की फसल पर तो फूल की अवस्था में ज्यादा लाभदायक है। जब फूल निकल रहे हों तो आप उस टाइम फास्फोरस बेस्ट खादों का आप इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा बात करते हैं पोटाश यानी पोटेशियम की, तो पोटेशियम का हमारी मिर्च की फसल पर फल की अवस्था पर सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है। यानी फल की अवस्था पर जब फल मैच्योर हो रहे हों। उस समय ठीक तरीके से स्ट्रॉ के साथ साथ पौधे की सेहत सुधारता है।

पोटाश पौधे की गतिविधियों को एवं अन्य एंजाइम्स व सेल डिवीजन को यह बढ़ाती है। साथ ही अधिक मिर्च पौधे पर लगती है पोटाश का सही इस्तेमाल तब होता है ,जब फ्रूट स्ट्रीट पर मिर्च का पौधा हो तब आप पोटाश इस्तेमाल करें। जब हमारी मिर्च की फसल फ्रूट स्टेज पर हो तो अधिक पोटाश की जरूरत पड़ती है। जब हमारी मिर्च की फसल फ्लावरिंग स्टेज पर हो तो फास्फोरस की अधिक आवश्यकता पड़ती है और जब हमारी मिर्च की फसल वानस्पतिक बढ़वार ले रही हो तो उस समय नाइट्रोजन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल की आवश्यकता पड़ती है।

सिंचाई :-

जब Shimla Mirch ki Kheti गर्म मौसम मे की जाती है, तब रोपाई के बाद 7 दिन के अंतराल में तथा ठण्डे मौसम मे 10-15 दिन के अन्तराल पर। ड्रिप इरीगेशन की सुविधा उपलब्ध होने पर उर्वरक एवं सिंचाई (फर्टीगेशन) ड्रिप द्वारा ही करना चाहिए।

सामान्यतः जब शिमला मिर्च की रोपाई 20 से 25 दिन के बाद की जाती है। तो पहली सिंचाई 10 से 15 दिन के अंतराल पर कर कर दें। शिमला मिर्च में दो या तीन बार निंदाई -गुड़ाई करें और फूल आने से पहले टाप ड्रेसिंग भी करें और टाप ड्रेसिंग करने के बाद तुरंत सिंचाई करें।

इस बात का ध्यान रखें कि जैसे जैसे तापक्रम बढ़ता चला जाए वैसे वैसे सिंचाई का अंतराल 10 से 12 दिन रखें है। उसके बाद फिर एक दो सिंचाईं के बाद हम 8 से 10 दिन का अंतराल रखेंगे और उसके बाद जब बिल्कुल अंतिम समय जब फल लगना शुरू हो जाते हैं। उस समय 5 से 6 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहे। तो इस तरीके से सिंचाईं करने से आपका फसल अच्छी उपज देगी।

पौधों को सहारा देना :-

शिमला मिर्च की रोपाई के उपरांत और पहली या दूसरी सिंचाई के बाद पौधो को प्लास्टिक या जूट की सूतली रोप से बांधकर उपर की ओर बढने दिया जाना चाहिए, ताकि फल गिरे भी नही एवं फलो का आकार भी अच्छा हो। क्योकि पौधो को सहारा देने से फल मिट्टी एवं पानी के सम्पर्क मे नही आ पाते जिससे फल के सडने की समस्या नही होती है। और Shimla Mirch ki Kheti में आपको उत्पादन भी अच्छा मिलेगा।

कीट एवं व्याधियां :-

Shimla Mirch ki Kheti में जहां तक रोग की बात है, तो शिमला मिर्च में एक बहुत ही भयंकर रोग लगता है जिससे फसल बहुत नष्ट हो जाती है। जिसे आद्र गलन रोग कहते हैं । तो ऐसी दशा में इसकी नियंत्रण के लिए एस्प्रीन HD 35 दो ग्राम एक लीटर पानी में घोल लेंगे और घोल कर के इसका छिड़काव करेंगे।

उसके बाद शिमला मिर्च पर दूसरा बीमारी एन्थ्रेक्नोज रोग का प्रकोप होता है। इसके लिए आप डायथेन एम 45 दो ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल करके और फिर इसका आप छिड़काव करें ।

अब रही बात कीट का,तो शिमला मिर्च की फसल में सबसे ज्यादा थ्रिप्स कीड़ा का प्रकोप होता है, तो इसके लिए मेटास्टाक दो मिलीलीटर लेकर के और एक लीटर पानी में घोल करके। इसको अगर छिड़कते हैं तो इस कीड़े से हमारा निदान हो जाता है।

उसके बाद शिमला मिर्च पर एक फल छेदक कीट, सफेद मक्खी और माहू प्रकोप लगता है। तो इन तीनों का निदान के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी दो ग्राम दवा ले करके और 10 लीटर पानी में घोल दें और इसका छिड़काव कर देते हैं। इससे हमारा कीड़ों से निदान हो जाता। शिमला मिर्च के फसल इन कीड़ा से छुटकारा मिल जाता है। फसल स्वस्थ रहती है। इस प्रकार Shimla Mirch ki Kheti में कीट -व्याधि के उपचार से अच्छी आमदनी हो सकती है।

तो दोस्तों शिमला मिर्च की खेती के बारे में दी गयी जानकारी कैसे लगा कमेंट करके जरूर बताईयेगा। धन्यवाद् दोस्तों।

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