किसान भाइयों, नमस्कार, इस पोस्ट के माध्यम से हम प्याज की उन्नत खेती (Onion Farming) के बारे में बात करेंगे। इस पोस्ट के माध्यम से हम जानेंगे कि आप रबी सीजन में प्याज की अधिकतम उपज कैसे प्राप्त कर सकते हैं? आप कंद का आकार कैसे बढ़ा सकते हैं?
आप प्याज का वजन, चमक, गुणवत्ता कैसे बढ़ा सकते हैं? साथ ही, आप संतुलित मात्रा में खाद और दवाइयों का उपयोग कैसे कर सकते हैं? इसके अलावा थ्रिप्स की सबसे अच्छी दवा के साथ-साथ प्याज की खेती कैसे करनी चाहिए ताकि अधिकतम उपज प्राप्त की जा सके।
प्याज की उन्नत खेती (Onion Farming)में सभी प्रकार की बीमारियाँ जैसे फंगस या सूखने की समस्या, काला सड़न की समस्या, सभी प्रकार की बीमारियों के समाधान के साथ-साथ अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिए सबसे बेस्ट सीक्रेट के बारे में पूरी जानकारी मिलने वाली है। प्याज की खेती (Onion Cultivation) के लिए सबसे अच्छी किस्म के साथ-साथ हम खरपतवार की रोकथाम के लिए सबसे अच्छी खरपतवार नाशक दवाओं के बारे में जानकारी साझा करने जा रहे हैं।
उपयुक्त समय :-
सबसे पहले हम बात करते हैं समय यानी टाइमिंग। यदि आप प्याज की खेती (Onion Farming) कर रहे हैं तो रबी मौसम के लिए सबसे बेस्ट जो समय माना जाता है, वह सितंबर से अक्टूबर के बीच में नर्सरी तैयार करके मध्य नवंबर तक आपको प्लांटेशन कर देना चाहिए। यह परफेक्ट समय माना जाता है। लेकिन कुछ इलाकों पर अक्टूबर माह की अंतिम सप्ताह में भी प्याज की प्लांटेशन हो जाती है।
लेकिन मध्य नवंबर पर प्याज की प्लांटेशन होती है, तो उसकी पैदावार शानदार देखने के लिए मिलती है। वैसे खरीफ सीजन के लिए मई -जून महीने पर नर्सरी तैयार कर सकते हैं और मध्य जुलाई तक आप प्लांटेशन कर सकते है। वैसे अगस्त महीने के पहले और दूसरे सप्ताह में भी खरीफ सीजन पर आप प्याज की रोपाई कर सकते हैं। यह खरीफ सीजन के लिए परफेक्ट समय माना जाता है।
कार्बनिक कार्बन का उपयोग :-
यदि आप अपनी मिट्टी की सेहत को सुधारना चाहते हैं और कार्बन की मात्रा को बढ़ाना चाहते हैं। ताकि प्याज की बेहतरीन पैदावार निकाल सके। तो आप अपने खेत में कार्बनिक कार्बन का उपयोग कर सकते है। इसके लिए एसकेआर एग्रोटेक कार्बन चार्जर का उपयोग कर सकते हैं। यह एक्टिवेटेड कार्बन युक्त ऑर्गेनिक मेनर है। यह एक ऑर्गेनिक उत्पाद है।
इसमें कार्बन की प्रचुर मात्रा का उपयोग किया गया है, जो जमीन में कार्बन को रिचार्ज करता है। यह कार्बनिक कार्बन तत्व जमीन में पाए जाने वाले असंख्य अति सूक्ष्म जीवाणु जटिल अन्य तत्त्वों को विघटित करता है तथा उन्हें पौधे द्वारा सरलता से अवशोषित होने की स्थिति में बदलते हैं। यानि कि जमीन में कार्बन की मात्रा का सीधा असर पोषक तत्वों की उपलब्धता से जुड़ा होता है।
जैविक कार्बन चार्जर राइजोबियम को बढ़ाने में सहायक होता है और सभी तत्त्वों की पूर्ति के लिए कार्बन ही सहायता करता है। यदि हम लाभ की बात करें तो यह जमीन में कार्बन की मात्रा को बढ़ाता है। मृदा की उर्वरा क्षमता को बढ़ाता है। पोषक तत्त्वों को उपलब्ध कराता है। मतलब शानदार गुणवत्ता और अधिकतम पैदावार निकालने के लिए कार्बन ही मेन पार्ट होता है।
वैसे कार्बन चार्जर लिक्विड और ग्रेन्यूल्स दो फॉर्म में है। यदि आप दानेदार का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो बुवाई के समय बेसल के साथ या फिर खड़ी फसलों में 8 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से इस्तेमाल कर सकते हैं। कार्बन चार्जर मिट्टी की उपज क्षमता बढ़ाने में बहुत ही लाजवाब रिजल्ट देता है तो एक बार आप अवश्य इस्तेमाल कीजिए।
बीज उपचार :-
बीज उपचार आपको जरूर करना है जैसे ज़ेलोरा या यूपीएल की इलेक्ट्रॉन फंगीसाइड्स बीज उपचार के लिए बेहतरीन होती है। या आप किसी भी एक बीजउपचार से आप बीज को ट्रीटमेंट जरूर कर लीजिए। इससे अंकुरण बहुत अच्छा होता है और आगे चल के नर्सरी में सूखने की समस्या भी नहीं आती है। मतलब ना कहीं ना कहीं यह समस्या से एकदम कंट्रोल मिलने वाला है। बीजोपचार के लिए बीजों को 8 से 10 घंटे तक हल्के गर्म पानी (25-30°C) में भिगोएं। इससे अंकुरण तेज और समान रूप से होता है।
प्याज की नर्सरी तैयार करना :-
दोस्तों, प्याज की नर्सरी किस प्रकार तैयार करना चाहिए? तो प्याज की नर्सरी तैयार होने में हमारे हिसाब से काफी ज्यादा समय लगता है, यदि आप प्याज की नर्सरी जल्दी तैयार करना चाहते हैं,तो फिर भी प्याज की नर्सरी में 45 से 50 दिन का समय लग ही जाएगा।
एक एकड़ में यदि आप प्याज की खेती (Onion Farming) कर रहे हैं, तो 3 किग्रा बीज की आवश्यकता पड़ेगी। सबसे पहले जहां भी आप जगह का चुनाव किये है। मिट्टी को अच्छी तरीके से भुरभुरी करा लीजिए। मिट्टी को अच्छी तरीके से एकदम साफ सफाई होना चाहिए। मिट्टी को अच्छे से बारीक करा लीजिए और अच्छी तरीके से मिट्टी को तैयार करने की बाद क्यारी तैयार कर लेना है।
नर्सरी में खाद प्रबंधन कैसे करें :-
जब आप एक एकड़ में प्याज की खेती के लिए 3 किलोग्राम बीज की नर्सरी तैयार करना है , तो इसके लिए गोबर की खाद तीन से चार क्विंटल उपयोग करना चाहिए । एसएसपी 5 से 7 किलोग्राम और डीएपी 5 किलोग्राम इन सभी को मिक्स करना है। और जहां पर नर्सरी तैयार कर रहे है वहां पर इन सभी खादों को मिक्स कर लीजिये।
मिट्टी को अच्छे तरीके से भुरभुरी करके बुवाई कर दीजिए। ध्यान रहे समय-समय पर हल्की सिंचाई करते रहिए। जब आपकी नर्सरी 25 से 28 दिन के आसपास की हो जाए तो आपको एक स्प्रे जरूर चला देना चाहिए। इसके लिए सिजेंटा कंपनी एकतारा (थियामेथोक्सम 25% WG) 8 ग्राम , रिडोमिल गोल्ड फफूंदनाशक (Metalaxyl 4 % + mancozeb 64 %) 20 ग्राम और पोषक सुपर 25 मिली लेकर 15 से 20 लीटर पानी घोल करके स्प्रे कर दीजिए।
इससे आपकी नर्सरी बहुत ही बढ़िया हरियाली आएगी और बहुत ही अच्छे से जड़ों का विकास हो जाएगा। क्योकि इससे आपके नर्सरी पीलापन , सूखने की समस्या , फंगस की समस्या या फिर कीटों की समस्या आ रही है उनसे अच्छा कंट्रोल मिलने वाला है। साथ ही आवश्यकता अनुसार तीन -चार दिनों के अंतराल पर आपको हल्की-हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए। इससे आपकी नर्सरी अच्छे से तैयार हो जायेगा।
प्याज की खेती के लिए बेस्ट वैरायटी :-
दोस्तों प्याज की खेती के लिए बेस्ट वैरायटी की बात करें , तो रवि सीजन के लिए सबसे बेस्ट उत्पादन देने वाली और सभी प्रकार की जलवायु के लिए उपयुक्त हो सकती है। साथ ही सभी भूमि पर अच्छा परफॉर्मेंस कर सकती हैं। उसमें से-
(1) गुलमोहर :-
नंबर एक सेमिनिस की गुलमोहर नाम प्याज वैरायटी आती है। प्याज की इस किस्म को आप लगा सकते हैं। यह शीघ्र पकने वाली किस्म है, लगभग 100 से 110 दिन में तैयार हो जाती है। इसके अलावा 120 से 150 ग्राम के आसपास कंद का वजन आपको देखने के लिए मिलता है। इसमें दीर्घावधि भंडारण की क्षमता है, अर्थात 5 से 6 महीने की मध्यम अवधि के भंडारण के लिए उपयुक्त है , जिससे प्याज की कीमतें ऊंची होने पर उत्पादकों को प्याज बेचने में अच्छी कीमत मिल सकती है।
(2) पंचगंगा वैरायटी :-
प्याज की उन्नत खेती के लिए दूसरी किस्म की बात करें ,तो प्याज की पंचगंगा वैरायटी को भी आप लगा सकते हैं। इस वैरायटी का प्याज़ चमकीले रॉयल गुलाबी रंग का होता है। यह ज़्यादा उपज देने वाली किस्मों में से एक है और लंबे समय तक बाज़ार में रहती है।
(3) प्रशांत प्याज N241 :-
प्रशांत प्याज N241 (फुरसुंगी )किस्म को लगा सकते हैं। इसके फल गोलाकार होते हैं. इस किस्म का वज़न 90 से 100 ग्राम के आसपास होता है.
(4) नासिक रेड :-
नासिक रेड जो n53 वैरायटी आती इसको लगा सकते हैं। नासिक रेड N53 प्याज किस्म एक उच्च गुणवत्ता वाली किस्म है, यह लाल रंग की प्याज है, जो मोटे और चमकदार लाल छिलके के साथ आती है। यह मध्यम से बड़ा आकार की होती है। प्याज की यह किस्म लंबी अवधि तक भंडारण योग्य होती है, जिससे किसान और व्यापारी इसे स्टॉक कर सकते हैं। जिसे अच्छी कीमत मिलने पर आसानी से निकाल सकते है।
(5) केएसपी 117 :-
केएसपी 117 प्याज की किस्म एक प्रमुख संकर किस्म है जो अपनी उच्च उपज के लिए जानी जाती है। यह चमकदार बाहरी परतों के साथ लाल रंग की प्याज का किस्म है। इसकी आकार बल्ब समान होती है। यह मध्यम से बड़े गोल आकर के होते हैं। यह भण्डारण में लम्बे समय तक अच्छा शेल्फ जीवन प्रदान करता है,जिसके कारण परिवहन के लिए उपयुक्त होती है।
खेत की तैयारी :-
किसान भाइयों अगर आप प्याज की खेती कर रहे हैं तो सबसे पहले आपको नागर, टी टोटा हल या कल्टीवेटर की मदद से जमीन की अच्छे से जुताई करनी होगी और क्यारियां बनाने के बाद ही आपको प्याज की खेती करनी चाहिए. जैसे हम आलू की खेती करते हैं ठीक उसी तरह आपको छोटी-छोटी क्यारियां तैयार करनी होंगी.
प्याज की पौध लगाने के लिए क्यारी की चौड़ाई 2 फीट, क्यारियों के बीच की दूरी डेढ़ से दो फीट और क्यारी की ऊंचाई एक फीट तक रखी जा सकती है. जब आप खेत तैयार कर रहे हों तो डिस्क हैरो या रोटावेटर से मिट्टी को अच्छे से भुरभुरी कर लें. खेत में जलभराव की समस्या नहीं होनी चाहिए. प्याज की खेती आप हर तरह की जमीन पर कर सकते हैं. वैसे दोमट मिट्टी पर हमें बहुत ही शानदार उत्पादन देखने को मिलता है।
खाद की बेसल डोज :-
जब आपने खेत को अच्छे से तैयार कर लिया तो अब बारी आती है बेसल डोज की यानि जब हम पौधरोपण के लिए खेत तैयार कर रहे हैं, तो कौन से उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। जिससे हमें ज्यादा से ज्यादा उपज मिल सके। साथ ही कंद के आकार में अच्छी ग्रोथ देखने को मिले और हमारी फसल अंकुरण के बाद हरी-भरी रहे। तो इसके लिए आपको बेसल डोज के समय इन उर्वरकों का प्रयोग जरूर करना चाहिए।
बेसल डोज में दो बैग डीएपी खाद (18:46) लें। 50 किलोग्राम पोटाश (एमओपीएल), 3 से 4 ट्रॉली गोबर की खाद, 10 किलोग्राम सागरिका दानेदार लें और इसके साथ ही 4 किलोग्राम रीजेंट अल्ट्रा दानेदार कीटनाशक (फिप्रोलिन 0.6 जीआर) लें। अगर आपके खेत में दीमक की भी समस्या है तो आप 2 किलोग्राम से 4 किलोग्राम रीजेंट अल्ट्रा यानि फिप्रोलिन ले सकते इससे आपको जड़ से जुड़ी बीमारियों से छुटकारा मिलेगा और आपको 5 किलो बेंटोनाइट सल्फर की जरूरत होगी। इन सबको मिलाकर आपको एक एकड़ में इस्तेमाल करना होगा।
पौधारोपण :-
अगर हम पौधारोपण की बात करें तो सबसे पहले जब एक स्वस्थ नर्सरी तैयार हो जाए तो उसके बाद आपको एक हरी-भरी नर्सरी का ही पौधारोपण करना चाहिए। सबसे पहले नर्सरी में किसी कीटनाशक का छिड़काव करें जैसे बायर कंपनी का सोलिमन कीटनाशक या प्रोफेक्स सुपर कीटनाशक (प्रोफेनोफोस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% ईसी) में से किसी एक का छिड़काव करें।
इससे क्या होगा कि जब भी हम पौधारोपण करेंगे तो हमें करीब 10 से 15 दिन तक किसी भी कीटनाशक का छिड़काव करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे हमारा पौधा कीटों से सुरक्षित रहेगा। जब भी आप पौधारोपण कर रहे हैं और अगर आप क्यारी में कर रहे हैं तो आप एक क्यारी में दो से चार लाइनों में पौधारोपण कर सकते हैं। पौधों के बीच की दूरी 4 इंच और लाइनों के बीच की दूरी 4 इंच रखनी चाहिए और एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 2 फीट से 2.5 फीट रखी जा सकती है।
सिंचाई :-
सिंचाई की बात करें तो दोस्तों प्याज की खेती की अच्छी पैदावार के लिए छह से आठ दिन के अंतराल पर आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए। भूमि के अनुसार ही सिंचाई करें क्योंकि भूमि स्वयं मांग करती है कि कितनी सिंचाई की जाए। इसका मतलब है कि जब वह थोड़ा सूख जाए, तब आपको सिंचाई करनी चाहिए या जब भूमि पर थोड़ी दरार आ जाए, तब आपको सिंचाई करनी चाहिए।
प्याज की खेती में अधिक सिंचाई करने से जड़ से संबंधित फंगस और विभिन्न प्रकार के रोग जैसे पीलापन जैसी समस्याएं भी होती हैं। साथ ही अधिक सिंचाई करने से विकास कमजोर होने की समस्या भी होती है, इसलिए दोस्तों अगर आप प्याज की खेती कर रहे हैं तो सिंचाई का विशेष ध्यान रखें। हल्की सिंचाई करें और मिट्टी की अच्छी तरह से जुताई भी करें। अगर आप समतल सिंचाई से खेती कर रहे हैं तो आपको 10 से 12 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।
खरपतवार की रोकथाम:-
दोस्तों, प्याज की खेती करने वाले किसान खरपतवार से काफी परेशान रहते हैं। आपकी प्याज की फसल पर उगने वाले चौड़ी पत्ती और संकरी पत्ती वाले खरपतवार काफी परेशान करते हैं। इसलिए इन पर नियंत्रण करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप मजदूरों की मदद से निराई-गुड़ाई करवा लें।
अगर मजदूर उपलब्ध नहीं हैं तो आप एक काम कर सकते हैं, अगर आपके प्याज के खेत में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार उग आए हैं तो इन पर नियंत्रण करने के लिए आप ऑक्सीफ्लोरोफेन 23.5% का 80 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं। यह छिड़काव आप तब कर सकते हैं जब खरपतवार में तीन से चार पत्तियां आ जाएं और साथ ही ध्यान रखें कि जड़ों के पास थोड़ी नमी होनी चाहिए, जिससे प्याज की फसल को नुकसान नहीं पहुंचेगा और खरपतवार पर भी आसानी से नियंत्रण हो जाएगा।
इसके अलावा संकरी पत्ती वाले खरपतवार पर नियंत्रण करने के लिए आप क्विजालोफॉप इथाइल 5% ईसी, जो बाजार में टार्गा सुपर या बिपसुपर के नाम से उपलब्ध है, का 250 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं। आपको इसे 150 से 200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे शेड्यूल चलाना चाहिए।
अगर आपकी फसल में चौड़ी पत्ती और संकरी पत्ती दोनों तरह के खरपतवार हैं, आपकी फसल 20-25 दिन पुरानी है और खरपतवार में तीन से चार पत्तियां हैं, तो आप एडामा डेकेन (प्रोपेक्विज़ाफ़ॉप 5% + ऑक्सीफ़्लोरफ़ेन 12% EC) खरपतवारनाशक को 200 से 300 मिली प्रति एकड़ की दर से स्प्रे कर सकते हैं। यह सभी प्रकार के खरपतवारों को नियंत्रित करने में सक्षम है।