Thorny plant karauda 2025 : लाल फल वाली कांटेदार पौधा जो खेतों का रक्षक और सेहत का खजाना है !

किसान भाईयो , लाल फल वाली यह कांटेदार पौधा (Thorny plant) ,एक ऐसा झाडी जो खेतों के बाड़ में चारो तरफ लगा दे ,तो ये आवारा पशुओं से हमारी फसल की चौकीदारी तो करेगा ही साथ ही हमे अच्छा मुनाफा भी देगा ,क्योकि यह पौधा १० से १२ साल तक फल देता है। यह एक कांटेडर पौधा है ,जिससे आवारा पशु खेत में घुसने से बचते है। यह अपनी बहुउपयोगिता और औषधि गुण के कारण भी ख़ास है। तो हम बात कर रहे है करौंदा पौधा की , जिसका वैज्ञानिक नाम कैरिसा कैरेंडास (Carissa carandas) है.

खेतों का रक्षक और सेहत का खजाना:-

एक ऐसा पौधा है जो न सिर्फ खेतों की रक्षा करता है, बल्कि किसानों को अच्छा मुनाफा और सेहत को ढेर सारे फायदे भी देता है। यह कांटेदार झाड़ीदार पौधा भारत के कई हिस्सों, जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और गुजरात में उगाया जाता है। इसकी तुलना में, अन्य कांटेदार पौधों जैसे बबूल या बेर की बाड़ भी खेतों की सुरक्षा करती है, लेकिन करौंदा अपनी बहुउपयोगिता और औषधीय गुणों के कारण खास है। आइए, इस पौधे के बारे में विस्तार से जानें।

Thorny plant karauda
Thorny plant karauda

खेतों का चौकीदार क्यों है करौंदा?

करौंदा एक प्राकृतिक बाड़ की तरह काम करता है, जो खेतों को आवारा पशुओं से बचाता है। इसके कांटे इतने नुकीले होते हैं कि गाय, भैंस या जंगली जानवर इसके पास आने से कतराते हैं। यह खेतों को नुकसान से बचाने का एक सस्ता और टिकाऊ तरीका है।

  • लंबी उम्र: एक बार लगाने के बाद करौंदा 10-12 साल तक फल देता है, जिससे बार-बार रोपण की जरूरत नहीं पड़ती।
  • कम देखभाल: इसे ज्यादा पानी या खाद की जरूरत नहीं होती, जो इसे कम लागत वाली फसल बनाता है।
  • जैविक सुरक्षा: यह मृदा और जल संरक्षण में मदद करता है, खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में।

वैसे , बबूल की बाड़ भी मजबूत होती है, लेकिन उसमें फल या औषधीय गुण नहीं होते। करौंदा न सिर्फ सुरक्षा देता है, बल्कि इसके फल बाजार में अच्छी कीमत पर बिकते हैं।

करौंदे (Thorny plant) के औषधीय गुण

करौंदा सिर्फ स्वादिष्ट फल ही नहीं, बल्कि एक औषधीय खजाना भी है। आयुर्वेद में इसके फल, पत्तियों और जड़ों का उपयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है।

  • पाचन स्वास्थ्य: करौंदा में फाइबर और पेक्टिन होता है, जो कब्ज और पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करता है।
  • हृदय स्वास्थ्य: इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और पोटैशियम रक्तचाप को नियंत्रित करते हैं और दिल को स्वस्थ रखते हैं।
  • प्रतिरक्षा प्रणाली: विटामिन सी से भरपूर करौंदा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
  • त्वचा और दांत: इसके एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा को चमकदार बनाते हैं और चटनी के रूप में खाने से मसूड़ों की समस्याएं कम होती हैं।
  • कैंसर से सुरक्षा: कुछ अध्ययनों के अनुसार, करौंदा में मौजूद तत्व कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने में मदद कर सकते हैं।

हालांकि, गर्भवती महिलाओं या एस्पिरिन से एलर्जी वाले लोगों को इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

करौंदे का उपयोग कैसे करें?

करौंदा खट्टा-मीठा फल है, जो कच्चा और पका दोनों रूप में खाया जाता है। इसके फल गहरे लाल या काले रंग के होते हैं और इन्हें कई तरह से इस्तेमाल किया जाता है:

  • अचार: करौंदे का अचार भारतीय रसोई का पसंदीदा हिस्सा है। इसे हरी मिर्च और मसालों के साथ बनाया जाता है।
  • चटनी: खट्टी-मिठी चटनी दाल-चावल या पराठे के साथ स्वाद बढ़ाती है।
  • मुरब्बा: इसका मुरब्बा यकृत रोगों में फायदेमंद माना जाता है।
  • जैम और जेली: पके फलों से जैम या जेली बनाई जाती है, जो बच्चों को खूब पसंद आती है।
  • जूस: करौंदे का रस गर्मियों में ताजगी देता है और डिहाइड्रेशन से बचाता है।

तुलना करें तो, आंवला भी औषधीय गुणों वाला फल है और इसका अचार या मुरब्बा बनता है, लेकिन करौंदा अपने अनोखे स्वाद और आसान खेती के कारण ज्यादा लोकप्रिय है।

करौंदे की खेती और मुनाफा

करौंदे की खेती करना आसान और लाभकारी है। इसे बीज, कटिंग या बडिंग के जरिए उगाया जा सकता है। जुलाई-अगस्त या फरवरी-मार्च में रोपाई के लिए गड्ढों में गोबर की खाद डालें और पौधों के बीच 1-1.5 मीटर की दूरी रखें।

  • बाजार मूल्य: करौंदे का बाजार मूल्य 50-60 रुपये प्रति किलो है, और दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान जैसे राज्यों में इसकी मांग रहती है।
  • उपज: एक झाड़ी से 20-30 किलो फल मिल सकता है, जिससे किसान सालाना लाखों रुपये कमा सकते हैं।
  • कम लागत: इसे ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं, जिससे लागत कम रहती है।

तुलनात्मक रूप से, नींबू की खेती भी लाभकारी है, लेकिन उसमें कीटों और रोगों का खतरा ज्यादा होता है। करौंदा की खेती में यह जोखिम कम है।

करौंदे की चटनी रेसिपी

करौंदे की चटनी बनाना बहुत आसान है। इसे घर पर बनाकर खाने का स्वाद दोगुना करें:

सामग्री:

  • 250 ग्राम करौंदा (धोकर काट लें)
  • 2 हरी मिर्च
  • 1 छोटा टुकड़ा अदरक
  • 1 चम्मच जीरा
  • 1 चम्मच धनिया पाउडर
  • नमक स्वादानुसार
  • 2 चम्मच चीनी
  • 1 चम्मच तेल

बनाने की विधि:

  1. करौंदे को धोकर बीच से काट लें और बीज निकाल दें।
  2. एक पैन में तेल गर्म करें, जीरा डालकर चटकाएं।
  3. हरी मिर्च और अदरक डालकर 1 मिनट भूनें।
  4. करौंदा डालें और 5-7 मिनट तक पकाएं, जब तक वो नरम न हो जाएं।
  5. नमक, चीनी और धनिया पाउडर डालकर अच्छे से मिलाएं।
  6. ठंडा होने पर मिक्सर में पीस लें। लीजिए, चटनी तैयार है!

इसे पराठे, दाल-चावल या स्नैक्स के साथ परोसें। यह चटनी आंवले की चटनी से ज्यादा तीखी और स्वादिष्ट होती है।

करौंदा न सिर्फ खेतों का रक्षक है, बल्कि यह एक ऐसी फसल है जो कम लागत में ज्यादा मुनाफा देती है। इसके औषधीय गुण इसे सेहत के लिए भी खास बनाते हैं। चाहे अचार हो, चटनी हो या मुरब्बा, करौंदा हर रूप में लाजवाब है। अगर आप भी अपने खेतों को सुरक्षित करना चाहते हैं और साथ में अच्छी कमाई, तो करौंदे की खेती शुरू करें। ज्यादा जानकारी के लिए, कृषि मंत्रालय की वेबसाइट या स्थानीय कृषि विश्वविद्यालयों से संपर्क कर सकते है !

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