हैलो दोस्तो नमस्कार स्वागत है आपका Adrak ki kheti ब्लॉग पोस्ट में। दोस्तो आज की इस ब्लॉग पोस्ट पर हम Adrak ki kheti के सफल वैज्ञानिक तरीका बारे में जानकारी देंगे।इस आर्टिकल के माध्यम से हम खेत तैयार करने और बुवाई करने से लेकर हार्वेस्टिंग तक की कब कौन सी समस्या आती है उस समस्या को आप कैसे सस्ते पर बढ़िया रिजल्ट प्राप्त कर सकते हैं। बढ़िया कॉम्बिनेशन का यदि आप स्प्रे करते हैं तो उपज बढ़ेगी, उत्पादन में वृद्धि होगी और पौधा ठीक तरीके से बढ़वार होगा।
तो इसके लिए अनुकूल समय कौन सा है, कौनसी उपयुक्त भूमि है, तापमान कितना होना चाहिए? खेत की तैयारी करते समय कौन सी सावधानी रखनी चाहिए और खेत की तैयारी किस प्रकार करना चाहिए।
साथ ही अधिक उत्पादन निकालने के लिए एकदम परंपरागत तरीके से हटकर Adrak ki kheti से आप अच्छी उपज भी निकाल पाएंगें और वैज्ञानिक तरीके से आप सस्ते पर कम से कम लागत पर अदरक की अधिकतम उपज निकाल सकते हैं।
बोवाई समय :-:-
सबसे पहले बात करते हैं Adrak ki kheti करने के लिए अनुकूल समय। तो अदरक की खेती के लिए उपयुक्त समय अप्रैल से लेकर जून के मध्य है । यह उपयुक्त समय पुरे भारत पर यह अनुकूल माना जाता है। इसलिए अप्रैल से लेकर जून के मध्य आप बुवाई कर सकते हैं।
उपयुक्त भूमि :-
अदरक की खेती के लिए काली मिट्टी, काली दोमट, बलुई दोमट, चिकनी दोमट और काली मिट्टी के साथ साथ पीली मिट्टी या फिर मध्यम भूमि भी काफी उपयुक्त मानी जाती है। काली दोमट में भी काफी अच्छी उपज प्राप्त होती। यदि आपकी पीली मिट्टी या पीली दोमट है तो ऐसी भूमि पर भी आप अदरक की अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं।
लेकिन मृदा की पीएच मान 5.5 से लेकर 7.0 के आसपास यदि रहती है, तो काफी अच्छी बात है, लेकिन यदि 7 से ऊपर है,मतलब अधिक एल्कलाइन है तो इसके लिए आप जिप्सम का उपयोग कर लीजिए। जिप्सम बहुत ही सस्ता होता है, 50 किलोग्राम जिप्सम लगभग 400 ₹से 500 रुपये के आसपास बाजार में उपलब्ध हो जाता है।। जिप्सम 50 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से प्रयोग कर सकते है।
इससे मिट्टी हाई पीएच या हाई एल्कलाइन कंट्रोल में आ जाएगी और मृदा की पीएचमान 5. 5 से 7.5 तक आ जाएगी और यह अदरक की खेती के लिए उपयुक्त रहती है । जिप्सम का प्रयोग खेती तैयारी करते समय आप प्रयोग कर लीजिए। इससे अदरक की और ज्यादा उपज प्राप्त होगी।
Adrak ki kheti के लिए तापक्रम:-
अदरक की फसल के लिए टेम्परेचर यानी तापक्रम अच्छी उपज के लिए एक महत्त्वपूर्ण कारक है । तो अदरक की फसल के लिए कम से कम तापमान 15 से 16 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 30 से 35 डिग्री सेल्सियस के आसपास उपयुक्त रहता है । लेकिन यदि तापमान 40 से 45 डिग्री सेल्सियस होती है, तो बढ़वार में थोड़ी सी समस्या जरूर आती है, लेकिन ऑन एवरेज लगभग 30 से 32 काफी अच्छा माना जाता है।
खेत की तैयारी:-
खेत की तैयारी यानी फार्म प्रिपरेशन, तो खेत की तैयारी किस प्रकार करना है। अदरक की फसल पर कुछ अलग और खास तरीके से खेत की तैयारी की जाती है, लेकिन सर्वप्रथम मध्यम गहराई में चलने वाले जैसे कल्टीवेटर 10 फिट या फिर तोता हल से पहली और आपको दूसरी जुताई कराना है।
अंतिम जुताई में पाटा लगाकर खेत को समतल कराएं या फिर रोटावेटर से मिट्टी को भुरभुरी करा लें। खेत में उत्तम जल निकास की व्यवस्था होनी चाहिए और साथ ही खेत के चारों तरफ एकदम साफ सफाई बनाए रखें क्योंकि खेत के चारों तरफ मेड़ पर यदि खरपतवार हैं तो और भी रोग बढ़ेंगे, बीमारी बढ़ेंगी, और कीटों का आगमन और बढ़ जाएगा। तो इसीलिए न केवल खेत पर बल्कि खेत के चारों तरफ साफ सफाई होना चाहिए।
फेंसिंग होना चाहिए। यदि देसी गाय या फिर कोई मवेशियां परेशान करती हैं, जैसे नीलगाय, तो खेत के चारों तरफ साफ सफाई के साथ साथ फेंसिंग होना चाहिए। जिससे अच्छी फसल आप ले पाएंगे, रखवाली आपको नहीं करनी पड़ेगी। इस प्रकार आप खेत की तैयारी कर लीजिए।
उन्नतशील किस्में:-
अब हम जानेंगे कि Adrak ki kheti के लिए कौन सी किस्म अच्छी है ,जिनकी ऑल ओवर ऑल इंडिया पर काफी अच्छी मांग है, लेकिन समय के हिसाब से राज्यों के हिसाब से क्लाइमेट कंडीशन के हिसाब से अलग अलग राज्यों के हिसाब से उन्नतशील किस्मों का ही आपको चुनाव करना चाहिए। जिससे आप अदरक की खेती से अधिकतम उत्पादन निकाल सके।
वैसे Adrak ki kheti के लिए आईसीएआर की वर्धा, महिमा, सुरुचि, मोहिनी आती है और अदरक की माही वैरायटी भी आती है। इन वैरायटी का भी आप सलेक्शन कर सकते हैं। लेकिन हम आपको यही सलाह देंगे कि आप जिस भी क्षेत्र से हैं तो उसी के अनुकूल उन्नतशील किस्मों का ही चुनाव करना चाहिए। इस विषय को लेकर आप नजदीकी कृषि विश्वविद्यालय से भी आप संपर्क कर सकते हैं।
हम यहाँ पर अदरक की खेती (Ginger Cultivation) के लिए कुछ उन्नतशील किस्मों की जानकारी दे रहे है ,जिससे आपको चुनाव करने में सहूलियत होगी –
- सुरभि:- आईसीएआर-केंद्रीय कंद फसल अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित, सुरभि अपनी अधिक पैदावार के लिए लोकप्रिय है, इसकी अनुकूल मौसम और सही समय पर बोवाई करने पर प्रति हेक्टेयर 25-30 टन तक उत्पादन पहुंचती है। यह मुरझाने और अन्य बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी है, और विभिन्न जलवायु के लिए भी अच्छी मानी जाती है।
- महाख़िर:- यह आईसीएआर-सीटीसीआरआई अनुसन्धान से विकसित किस्म है। महाखिर किस्म केवल 7-8 महीनों में पक जाती है, जो छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों जैसे कम बढ़ते मौसम वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इसमें उच्च शुष्क पुनर्प्राप्ति दर (~27%) है, जो इसे अदरक पाउडर या ओलेरोसिन में प्रसंस्करण के लिए फायदेमंद बनाती है।
- हिमगिरी:- यह आईसीएआर-भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित किस्म है। अदरक की हिमगिरी किस्म छत्तीसगढ़ के ऊंचे इलाकों जैसे ठंडे क्षेत्रों में अच्छा उपज देती है। इसकी उच्च आवश्यक तेल सामग्री इसे ओलेओरेसिन और आवश्यक तेल उद्योग के लिए मूल्यवान बनाती है।
- नादिया:- असम से उत्पन्न, नादिया एक विशिष्ट नींबू जैसी सुगंध और स्वाद प्रदान करता है, जो इसकी गुणवत्ता को बढ़ाता है। यह मुरझाने और अन्य बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक है, जो इसे किसान-अनुकूल बनाता है।
- रियो-डी-जनेरियो:– जैसा कि इसके नाम से चलता है, यह ब्राज़ीलियाई किस्म है। इसकी उच्च उपज क्षमता के कारण किसानो के बीच लोकप्रिय है। जबकि यह रेशेदार कंद प्रसंस्करण के लिए बेहतर अनुकूल हैं, इसकी अनुकूलनशीलता Adrak ki kheti के लिए बेहतर विकल्प बनाती है।
- वर्धा:- भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित, यह किस्म विविध जलवायु और मिट्टी के अनुकूल है। यह उच्च पैदावार, कम फाइबर के साथ मोटी उंगलियां प्रदान करता है,और सुखाने और कैंडिड अदरक बनाने के लिए उपयुक्त है। अदरक की इस किस्म की ताजा खपत अधिक है।
- मारन:- यह एक भारतीय किस्म है , मारन किस्म मजबूत, मसालेदार सुगंध और तीखा स्वाद के लिए जानी जाती है। यह मुरझाने और अन्य कवक रोगों के प्रति अपेक्षाकृत प्रतिरोधी है, जो इसे किसानों के लिए एक विश्वसनीय विकल्प बनाता है।
Adrak ki Kheti के लिए बीज या गांठों की मात्रा :-
प्रति एकड़ बीज यानी जब हम अदरक की बुवाई करते हैं, तो अदरक की गांठों की आवश्यकता होती है तो अदरक की गांठ लगभग 7 से 8 क्विंटल प्रति एकड़ के आसपास लग जाता है। लेकिन यदि आप दुरी कम और ज्यादा करेंगे तो जो अदरक का सीड्स, अदरक की गांठों क्वांटिटी कम और ज्यादा भी हो सकती है। तो इसीलिए Adrak ki kheti के लिए एक एकड़ पर लगभग 7 से 8 क्विंटल की दर से कादियां या गांठों की आवश्यकता पड़ती है।
कंद उपचार :-
अब कंद उपचार करना क्यों जरूरी है और किस लिए? कंद उपचार, मतलब जो कांदी होती है या यूँ कहें जो गांठें होती हैं उनको उपचार करने से अंकुरण क्षमता काफी बढ़ जाती है। अदरक की कंद उपचार से काफी ज्यादा अंकुरण आते हैं और स्वस्थ अंकुरण आते हैं और जो कुछ समय बाद जब फसल 25-30 दिन की हो जाती है तो डम्पिंग की समस्या या कंद गलन की समस्या आती है।
क्योकि अदरक की फसल पर कंद गलन की समस्या बहुत ही गंभीर और बहुत ही रेयर समस्या है तो इसके लिए कंद उपचार करना बहुत ही जरूरी है। तो अदरक का बीज उपचार करने के लिए पाँच ग्राम कार्बेंडाजिम को एक लीटर पानी के हिसाब से घोल तैयार कर ले या फिर कुछ इस प्रकार समझ लीजिए कि 10 लीटर पानी में 50 ग्राम कार्बेंडाजिम 50 % घोल बना ले और अदरक की गांठें को 30 मिनट तक डुबोकर रखिए और उसके बाद उसे छांव में आपको सुखा लेना है।
लगभग दो ढाई घंटे तक छाया में सुखाना है और तीन चार घंटे बाद आपको बुवाई कर देना है। इससे अदरक की खेती में आपको बढ़िया रिजल्ट प्राप्त होंगे। क्योकि इससे कंद गलन की समस्या में काफी राहत मिलती है । तो इस प्रकार आप अदरक की कंद का ट्रीटमेंट कर सकते हैं।
जो गांठ हैं उनका उपचारित करना बहुत ही जरूरी है। चाहे आप कार्बेंडाजिम से कर रहे हों, ट्राइकोडरमा से कर रहे हों या फिर यूपीएल के कार्बेंडाजिम मैंकोजेब से कर रहे हों, थायरम से कर रहे हों तो बीज उपचार आप जरूर कर लीजिए।
बोवाई विधि :-
Adrak ki Kheti के लिए भूमि की दशा और उस क्षेत्र की जलवायु के प्रकार के अनुसार समतल विधि,कच्ची क्यारी या मेड-नाली विधि से अदरक की वुवाई या रोपण किया जाता है। वैसे सामान्यतः अदरक की कंदों को 40 सेमी के अंतराल बोनी चाहिए।
यदि आप मेड़ या कूड़ विधि से बोआई करनी है,तो प्रकंदों को 5 सेमी.की गहराई पर बोवाई करें। बोवाई के बाद अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद या मिट्टी से ढक दें। यदि आपको रोपण विधि से बोवाई करनी है, तो कतार से कतार की दुरी 30 सेमी .और पौध से पौध की दुरी 20 सेमी रखें।
उर्वरक उपयोग:-
हमे जिस खेत में अदरक की खेती (Ginger Cultivation) करना है, केवल जहां पर हमको बुवाई करनी है। वहीं पर हमको खाद देनी है, जिसे हम बेसल डोज कहते हैं। बुवाई के समय हमको सड़ी हुई गोबर की खाद 150 किलोग्राम प्रति एकड़ उपयोग करें। इसके साथ ही डीएपी 50 किलोग्राम एसएसपी 100 किलोग्राम और एमओपी म्यूरेट ऑफ पोटाश 40 किलोग्राम ले।
क्योंकि अदरक की फसल एक कंदवर्गी फसल है, इसलिए फास्फोरस और पोटाश की सबसे अधिक आवश्यकता पड़ती है। और यदि आपके खेत में दीमक की भी समस्या है, तो कीटनाशक में पिपरौन 0.3 को 10 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करें।
अदरक की खुदाई:-
जब अदरक की रोपाई लगभग 8-9 महीने की हो जाती है और जब अदरक पत्तियाँ पीली होकर सूखने लगे तब खुदाई कर लेना चाहिये जब । यदि आप खुदाई में देरी करते है ,तो प्रकन्दों की गुणवत्ता और भण्डारण क्षमता में गिरावट आ सकती है। जिसके कारण भण्डारण के समय प्रकन्दों का अंकुरण होने लगता हैं ।
खुदाई करते समय कुदाली या फावडे की उपयोग करें । बहुत शुष्क और नमी वाले वातावरण में खुदाई करने पर उपज को क्षति पहुॅचती है जिससे ऐसे समय में खुदाई नहीं करना चाहिऐ । खुदाई करने के बाद अदरक के कंदों से पत्तीयो और मिट्टी को साफ कर देना चाहिये ।
यदि आप अदरक का उपयोग सब्जी के रूप में करना चाहते है, तो खुदाई रोपण के 6 महीने के अन्दर कर लें और प्रकन्दों को पानी से धोकर एक दिन तक धूप में सूखा ले। यदि आप सूखी अदरक के रूप में प्रयोग करना चाहते है , तो 8 महीने बाद खोदाई कर लें। इसके बाद 6 से 7 घन्टे तक पानी में डुबोकर रखें।
अच्छे से भीगने के बाद नारियल के रेशे या मुलायम व्रश से रगड़-रगड़कर साफ कर ले। धुलाई करने के बाद अदरक को सोडियम हाइड्रोक्लोरोइड के 100 पीपीएम के घोल में 10 मिनट तक डुबो के रखे। इससे सूक्ष्मे जीवों के आक्रमण से बचाव होती है और साथ ही साथ भण्डारण क्षमता भी बढ़ जाती है।
भण्डारण:-
अदरक की ताजा उत्पाद और उसका भण्डारण करने के लिये कडी, कम कडवाहट और कम रेशे वाली अवस्था में परिपक्व होने के पहले खुदाई कर लें। यदि आप सूखे मसाले और तेल के लिए अदरक का उत्पादन कर रहे है, तो अदरक को पूण परिपक्व होने पर खुदाई करें। वैसे तेल एवं सौठं बनाने के लिये 150 से 170 दिन के बाद भूमि से खोद लेना चाहिये ।
अदरक की परिपक्वता का समय भूमि की प्रकार एवं किस्म पर निर्भर करता है । जैसे गर्मीयों में ताजा प्रयोग हेतु 5 महिने में, भण्डारण हेतु 5-7 महिने में और सूखे व तेल प्रयोग हेतु 8 से 9 महिने में बुवाई के बाद खुदाई कर लेना चहिये।
अदरक (Ginger) की बीज के रूप में पुनः उपयोग करने के लिए खोदाई तब करें ,जब उपरी भाग की पत्तीयो सहित पूरा न सूख जाये तब तक भूमि से नही खोदना चाहिये क्योकि अदरक की सूखी हुयी पत्तियाॅ एक तरह से पलवार का काम करती है । या फिर पूर्ण परिपक्व पर भूमि से निकाल कर कवक नाशी एवं कीट नाशीयों से उपचारित करके छाया में सूखा कर एक गडडे में दबाकर ऊपर से बालू से ढक दे।
उपज:-
तो दोस्तों Adrak ki kheti से ताजा हरे अदरक के रूप में उत्पादन 40 से 45 क्विंटल पारी एकड़ प्राप्त हो जाती है । जो सूखाने के बाद 8 से 10 क्विंटल प्राप्त होती हैं । यदि आप उन्नत किस्मो के प्रयोग एवं अच्छे प्रबंधन द्वारा Adrak ki Kheti करते है,तो औसत उपज 120 क्विंटल प्रति एकड़ तक प्राप्त की जा सकती है। इसके लिये अदरक को खेत में 3 से 4 सप्ताह तक छोड़ना पडता है जिससे कन्दों की ऊपरी परत पक जाती है और पककर मोटी भी हो जाती हैं।
दोस्तों आपको Adrak ki kheti ब्लॉग पोस्ट अच्छा लगा हो तो कमेंट बॉक्स में जरूर कमेंट करियेगा और कृषि से सम्बन्धित कोई सुझाव हो ,तो जरूर लिखियेगा। धन्यवाद किसान भाईयों !
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