Bottle Gourd Farming in Hindi | गर्मियों में लौकी की खेती | Lauki ki Top 5 Variety|

हैलो दोस्तो नमस्कार आपका स्वागत है। दोस्तो, आज के इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से आपको बताने वाले हैं कि गर्मियों के दिनों पर लौकी की खेती (Bottle Bourd Farming) कर बेहतरीन लाभ कैसे कमा सकते है। आप कैसे लौकी की खेती करके कम लागत पर ज्यादा प्रॉफिट काफी बढ़ियां तरीके से निकाल सकते है।

किसान भाइयों, लौकी की खेती /bottle gourd farming वर्ष में तीन बार की जाती है यानी साल में तीन बार की जाती है। इस आर्टिकल पर हम गर्मी में लौकी की सफल खेती के बारे में बात करेंगे। लेकिन पहले आपको बता दू। पहली लौकी की खेती में मई जून तक उत्पादन लिया जाता है उसकी बुआई जनवरी से मार्च में की जाती है।

Bottle Gourd Farming
Bottle Gourd Farming

उसके बाद दूसरी बार लौकी की खेती (bottle gourd farming) मई से जून में की जाती है और तीसरी लौकी की बुआई सितंबर से अक्टूबर में की जाती है। क्योकि लौकी की फसल 60 से 65 दिन में फल देने लगती है और 120 -130 दिन तक फल देती रहती है। यानी लौकी आपको सात दिन में फल देने लगती है, अगले 60 दिन तक आपको फल देती रहती है यानी कि यूँ समझिये लौकी चार महीने की फसल है।

इसकी खेती कर गर्मियों के दिनों पर प्रोफिट और कमाई कर सकते हैं। चूँकि गर्मियों के दिनों पर जहां सूखे की समस्या आती है, पैदावार एकदम कमजोर रहती है और फसल ग्रोथ नहीं ले पाती है। गरम हवाएं चलती हैं तो कैसे आप प्रोटेक्शन फसल को कर सकते हैं, कैसे ज्यादा प्रोफिट निकाल सकते हैं, कैसे बीमारी को आप कंट्रोल कर सकते हैं।

सस्ते में कौन सी न्यूट्रिएंट दें जिससे पैदावार अच्छी रहे। जब फसल हरी भरी रहेगी, प्रकाश संश्लेषण क्रिया तेज करेगी तो पौधा भी एकदम ज्यादा ज्यादा फुटाव लेगा और ज्यादा ज्यादा फल फूल की संख्या देखने के लिए मिलेगी। लौकी की फसल गर्मियों के दिनों पर तो सूखने की समस्या आती है तो इसके लिए सबसे पहले तो रजिस्टेंस वैरायटी लगाना है और दूसरी फसल चक्र अपनाना है।

लौकी की खेती / Lauki Ki Kheti वो भी गर्मी में हम कैसे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। साथ में आपको यह भी बताएं कि उसकी जलवायु कैसी होनी चाहिए, लौकी उन्नत किस्में कौन सी हैं? खाद उर्वरक क्या देना है और खेत की तैयारी कैसे करनी है, बुआई कैसे करें और कितना उत्पादन निकलेगा, सिंचाई कैसे करें, ये सारी जानकारी मैं आपको देने वाला हूं। तो इसके लिए आप मेरे आर्टिकल को पूरा पढ़िए तभी आपको पूरी जानकारी मिल पायेगी। तो आईये जानते है –

दोस्तों सबसे पहले हम बात करेंगे जलवायु के बारे में। किसान भाई लौकी की खेती के लिए आपको गर्म और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। जैसा कि हमने बताया इसकी बुआई इसके मौसम के अनुसार गर्मी और बरसात के मौसम, अक्टूबर और नवंबर में की जाती है।

अब बात करते हैं कि लौकी की खेती / Bottle Gourd Farming किस जमीन पर करें ताकि आपको अच्छी पैदावार मिल सके। किसान भाइयों लौकी की खेती आमतौर पर आप सभी प्रकार की मिट्टी में कर सकते हैं। लेकिन अगर सबसे अच्छी मिट्टी की बात करें तो जहां भी आपके पास पानी सोखने वाली, जीवाश्मों से भरपूर हल्की दोमट मिट्टी हो, वह इसके लिए सबसे अच्छी होती है।

आप इसकी खेती कुछ अम्लीय मिट्टी में भी कर सकते हैं. आम तौर पर, आपको अत्यधिक अम्लीय मिट्टी में इसकी खेती करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

किसान भाइयों! लौकी की खेती (bottle gourd farming) उत्पादन तभी अच्छा होगा जब हम अच्छी किस्मों का चयन करेंगे। आइए सबसे पहले जानते हैं कि लौकी की उन्नत किस्में कौन सी हैं। किसान भाइयों, हम आपको यहां जिन किस्मों के बारे में बता रहे हैं वे कृषि वैज्ञानिकों और लंबे समय से खेती कर रहे अनुभवी किसानों द्वारा अनुशंसित किस्में हैं, इसलिए आप लौकी की खेती के लिए इन किस्मों पर जरूर विचार कर सकते हैं। कृपया ध्यान दीजिए।

लौकी (bottle gourd) की उन्नत किस्म पूसा नवीन भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित किया गया है। यह बहुत अच्छी किस्म है. इसकी जायद और खरीफ दोनों मौसम में खेती आसानी से की जा सकती है. इसके फल 30 से 40 सेमी लंबे होते है और साथ में सीधे भी होते हैं.

लौकी के इस कोयंबटूर-1 किस्म को जून एवं दिसंबर महीना में बोया जाता है। इससे अच्छे उपज के लिए लवणीय, क्षारीय और सीमांत उपयुक्त होता है। इसकी उत्पादन लगभग 100 से 110 क्विंटल प्रति एकड़ प्राप्त किया जा सकता है।
लौकी की अर्का बहार किस्म लंबी और सीधी होती है और यह चमकदार हरे रंग की होती है. इसकी उन्नत तरीका से खेती करने पर 16 से 18 टन तक प्रति एकड़ पैदावार किया जा सकता है.
लौकी का यह किस्म बरसात और गर्मी दोनों मौसमों के लिए उपयुक्त है। इसके फल 40 से 50 सेमी लंबे होते है और इसकी मोटाई की बात करें तो 20 से 25 सेमी मोटे होते हैं। इसके फलों का रंग हल्का सा पीला हरा होता है।
लौकी की अर्का नूतन किस्म आकार में बेलनाकार होती है. यह किस्म 56 दिन में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. इसकी प्रति एकड़ 18 से 20 टन तक उत्पादन लिया जा सकता है.
गर्मी फसल के लिए लौकी की उन्नत किस्में पंजाब गोल्ड, नरेंद्र रश्मि, पूसा सवेरा, पूसा हाइब्रिड थ्री और पूसा नवीन ये किस्में बहुत ही अच्छा उत्पादन देती है ।

दोस्तों अगर आप सरल तरीके से खेती करते हैं तो प्रति एकड़ 800 ग्राम से एक किलोग्राम लौकी के बीज (Bottle gourd seeds) की आवश्यकता होगी। हालांकि, गर्मी के दिनों में लौकी की बेलें चढ़ाने के लिए मंडप या बांस का ढांचा तैयार करना जरूरी नहीं है। यदि आप केवल शाखाओं को मिट्टी में ही बिछाकर रखें तो भी आप लौकी का अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

अगर आप साधारण तरीके से खेती कर रहे हैं तो एक बेड पर डबल लॉन में पौधे लगा सकते हैं. ज़िगज़ैग विधि में आपको पौधे से पौधे की दूरी तीन फीट और लाइन से लाइन की दूरी लगभग 7 से 8 फीट रखनी चाहिए.

लौकी के बीज को बोने से पहले उपचारित करना भी बहुत जरूरी है. बीजों को किसी फंगस से नहीं बल्कि ट्राइकोडर्मा से उपचारित करने से आपको अंकुरण और वृद्धि देखने को मिलती है। ट्राइकोडर्मा जड़ सुरक्षा के लिए भी बहुत अच्छा है। इसके लिए एक किलोग्राम बीज को पांच ग्राम ट्राइकोडर्मा से उपचारित करें और फिर 40 मिनट तक छाया में सुखा लें. फिर बनाये गये प्रत्येक गड्ढे में बीज बोयें तथा बुआई के बाद सिंचाई करें।

दोस्तों अब बात करते हैं कि लौकी बीज (Bottle gourd seeds) बुआई के समय किस उर्वरक की आवश्यकता होती है। चूँकि गर्मी के दिनों में बहुत गर्मी होती है। इसलिए गर्मी के दिनों में अधिक से अधिक ठंडक बनाए रखना जरूरी है, इसके लिए वर्मी कम्पोस्ट, गोबर की खाद, मुर्गी खाद या जो भी सबसे अच्छा जैविक खाद हो उसका उपयोग करना चाहिए।

Bottle Gourd Farming
Bottle Gourd Farming

नीम की खली हो या सरसों की खली, इसके इस्तेमाल से बेहतरीन फायदे देखने को मिल सकते हैं। यदि आप सरसों की खली का उपयोग कर रहे हैं तो एक एकड़ में पांच क्विंटल पर्याप्त है और यदि आप वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग कर रहे हैं तो एक एकड़ में लगभग आधी ट्रॉली का उपयोग किया जा सकता है।

यदि आप लौकी की खेती (bottle gourd farming) में मुर्गी खाद का उपयोग कर रहे हैं तो मुर्गी खाद की एक ट्रॉली पर्याप्त है। गर्मियों में इन उर्वरकों का प्रयोग अवश्य करें। इसके अलावा सिंगल सुपर फास्फेट 50 किग्रा. का प्रयोग करें। एसएसपी के प्रयोग से सल्फर की भी पूर्ति होगी और पोषक तत्वों की कमी पूरी होकर काफी लाभ मिलेगा।

अगर आप लौकी की फसल के लिए मल्चिंग पेपर लगा रहे हैं तो 16 मिमी इनलाइन मल्चिंग पेपर का उपयोग कर सकते हैं और 25 माइक्रोन मल्चिंग पेपर लगाना बहुत फायदेमंद होता है। सिंचाई की कम आवश्यकता होती है तथा ग्रीष्म ऋतु में खरपतवारों का प्रकोप भी नहीं होता है।

Bottle Gourd Farming
Bottle Gourd Farming

यदि आप मल्चिंग पेपर लगाते हैं तो अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। गर्मी के दिनों में लौकी की फसल (bottle gourd crops) को बिना मल्चिंग के बजाय हर चौथे से पांचवें दिन के अंतराल पर सिंचाई की आवश्यकता होती है, इसलिए आपको सिंचाई की विधि इस प्रकार अपनानी होगी कि पहले निराई-गुड़ाई करें और फिर सिंचाई करें। दो दिनों तक तेज़ धूप किया दिखाएँ। फिर सिंचाई करें

अब कई किसान भाइयों को अपने खेतों में दीमक की समस्या का सामना करना पड़ता है और कभी-कभी वे देखते हैं कि ऐसा लगता है कि दीमक का प्रकोप है ,लेकिन वास्तव में जड़ों के पास एक सफ़ेद कीड़ा रहता है जिसे वाइट ग्रब कहा जाता है।

Bottle Gourd Farming
Bottle Gourd Farming

इसके प्रकोप से फसल के फल एवं फूलों के सूखने की समस्या होती है. अतः जब पौधा सूखता हुआ दिखाई दे तो सफ़ेद ग्रब को नियंत्रित करने के लिए सुबह के समय तीन किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से कार्बोफ्यूरान का प्रयोग करना चाहिए। इससे लौकी की खेती /Bottle Gourd Farming में बेहतर परिणाम मिलते हैं.

भाइयों लौकी की फसल में प्रतिकूल मौसम में कई प्रकार के रोग लगते हैं जिससे इसकी पैदावार प्रभावित होती है। लौकी की फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाने वाले रोग मृदुरोमिल असिता रोग, पीला शिरा मोज़ेक रोग और फल सड़न रोग हैं। तो आईये जानते है इन तीन प्रमुख रोगों के बारे में –

लौकी की फसल में मृदुरोमिल असिता रोग में पत्तियों की ऊपरी सतह पर पीले धब्बे दिखाई देते हैं जो बाद में भूरे रंग के हो जाते हैं। अत्यधिक नमी की स्थिति में पत्तियों की निचली सतह पर सफेद पाउडरयुक्त कवक की वृद्धि दिखाई देती है। गंभीर मामलों में, पूरी पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं और समय से पहले गिर जाती हैं और पौधा मर जाता है।

अगर आपकी फसल में ये लक्षण दिखाई दें तो तुरंत इसका इलाज शुरू करें और अपनी फसल को खराब होने से बचाएं. रोग प्रभावित पौधों एवं खरपतवारों को खेत से नष्ट कर दें। रोग को फैलने से रोकने के लिए खेत में नमी का संतुलित स्तर बनाए रखें. खेत में नाइट्रोजन की अतिरिक्त मात्रा न दें तथा नाइट्रोजन को तीन भागों में दें।

bottle gourd farming
bottle gourd farming

रोग को फैलने से रोकने के लिए इनमें से एक फफूंदनाशक को एक लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर 10 से 15 दिन के अंतराल पर 2 से 3 बार छिड़काव करें। इसे नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित फफूंदनाशकों का प्रयोग करें।

  1. एमेटोक्ट्राडिन 27% + डाइमेथोमोर्फ 20.27% एससी 400 मिलीलीटर दवा को 300 लीटर पानी में घोलें और एकड़ में स्प्रे करें।
  2. मेट्रिरम 55% + पायराक्लोस्ट्रोबिन 5% डब्लूजी 1.0 – 1.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।

लौकी की फसल (Bottle Gourd Crops) को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाने वाला रोग पीला शिरा मोज़ेक रोग है। लौकी फसल में पीला शिरा मोज़ेक रोग एक वायरस के कारण होता है और सफेद मक्खी द्वारा फैलता है। इस रोग के लक्षण पौधों की नई उभरती पत्तियों पर छोटे अनियमित पीले धब्बों के रूप में दिखाई देते हैं।

bottle gourd farming
bottle gourd farming

पौधों की पत्तियाँ नीचे की ओर मुड़ जाती हैं और सामान्य से छोटी दिखाई देती हैं। संक्रमित पौधों पर फूल हरी पंखुड़ियों के साथ विकृत हो सकते हैं। यहां तक कि लौकी के फल भी विकृत, छोटे और बदरंग हो जाते हैं। यदि आपकी फसल में ये लक्षण दिखाई दें तो अपनी फसल को बचाने के लिए तुरंत ये उपचार शुरू करें।

  1. खेत से रोग प्रभावित पौधों एवं खरपतवारों को नष्ट कर दें।
  2. सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 10 पीले चिपचिपे ट्रेप लगाएं।
  3. खेत में नाइट्रोजन एक साथ न दे के 3 से 4 भागों में दें।

रोग को फैलने से रोकने के लिए इनमें से किसी एक कीटनाशक को एक लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर 10 से 15 दिन के अंतराल पर 2 से 3 बार छिड़काव करें।

  1. पायरिप्रोक्सीफेन 5%+डायफेंथियूरॉन 25% एसई 2.50 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
  2. पाइरीप्रोक्सीफेन 8% + डिनोटफ्युरान 5% + डायफेनथियुरोन 18% एससी का 2 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
  3. डायफेंथियूरॉन 50% डब्लूपी 1.50 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
  4. पायरिप्रोक्सीफेन 10% दवा एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से।

आइए Bottle Gourd के लिए तीसरी सबसे हानिकारक बीमारी, फल सड़न रोग के बारे में जानते है । लौकी फसल (bottle gourd) पर फल गलन रोग के प्रकोप से फलों एवं पत्तियों पर गहरे भूरे से काले धब्बे बन जाते हैं। ये धब्बे बड़े हो जाते हैं और तब तक फैलते हैं जब तक पत्तियाँ सूखकर गिर नहीं जातीं।

bottle gourd farming
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गंभीर मामलों में यह लौकी (bottle gourd) के फलों को भी पूरी तरह से सड़ा देता है, जिससे फल काले पड़ जाते हैं और सिकुड़ जाते हैं। अगर आपकी फसल में ये लक्षण दिखें तो तुरंत ये उपचार शुरू करें और अपनी फसल को बचाएं.

  1. खेत से संक्रमित पौधे एवं खरपतवार नष्ट कर दें।
  2. नाइट्रोजन को 3 से 4 भागों में दें।

रोग को फैलने से रोकने के लिए इनमें से एक फफूंदनाशक को एक लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर 10 से 15 दिन के अंतराल पर 2 से 3 बार छिड़काव करें।

  1. टेबुकोनाजोल 25.9% ईसी 1.5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
  2. एक लीटर पानी में 1.25 मिली एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 23% एससी मिलाकर छिड़काव करें।
  3. प्रोपीकोनाज़ोल 25% ईसी की 1.50 मिलीलीटर मात्रा को एक लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
  4. पैराक्लोस्ट्रोबिन 20% डब्लूजी की 1.20 ग्राम मात्रा को एक लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

यदि किसान भाई गर्मी के मौसम में दिए गए सुझावों को ध्यान में रखते हुए लौकी की खेती (bottle gourd farming) करें तो अधिक उत्पादन के साथ-साथ अधिक आय की भी अपार संभावनाएँ होंगी। इसके लिए समय पर योजना, उचित सिंचाई प्रबंधन और आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाकर किसान भाई अपनी उपज को अधिकतम कर सकते हैं और अपना मुनाफा बढ़ा सकते हैं।

इसके अलावा, लौकी का पोषण मूल्य और बहुमुखी पाक उपयोग इसे घरेलू उपभोग और वाणिज्यिक बाजारों दोनों के लिए उपयुक्त बनाता है। आप अपनी उपज की गुणवत्ता भी बढ़ा सकते हैं। लौकी की खेती में अधिक सफलता प्राप्त करने के लिए आप सही किस्म और सही समय का चयन करके सफल हो सकते हैं। जैसे-जैसे ताजा और स्वस्थ उपज की मांग बढ़ रही है, ग्रीष्मकालीन लौकी की खेती (bottle gourd farming) में निवेश किसानों के लिए आर्थिक रूप से बढ़ने का एक आशाजनक अवसर हो सकता है।

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