हैलो दोस्तो नमस्कार आज की इस ब्लॉग पोस्ट में हम बैगन की खेती के बारे में जानकारी देंगे । किसान भाइयों बैगन (Brinjal) की खेती को हम एक फिक्स डिपॉजिट वाली खेती कह सकते हैं। इसका कारण यह है कि यह फसल पर्यावरणीय आपदाओं के प्रति ज्यादा सहनशील होती है। दूसरा इसका कारण यह है कि यह एक लंबे समय तक उत्पादन देती है। तीसरा यह है कि इसकी जो लागत होती है, उसे आप बहुत ही ज्यादा कम कर सकते हैं।
यह इसलिए होती है क्योकि आप Baigan ki Kheti से लंबे समय तक उत्पादन ले सकते है। जैसे अगर आप बैगन की फसल लगाते हैं तो आपकी जो बैगन की फसल होती है पांच महीना से लेकर के आठ महीने और यहाँ तक 10 महीने तक उत्पादन देता रहता है।

ऐसे में अगर आप लोगों को चार महीने बैगन (Brinjal) का रेट न भी मिले तब भी कोई दिक्कत नहीं लेकिन कम से कम दो महीने आपको बैगन का बहुत ही बेहतरीन रेट मिलता है तो ऐसे में क्या होता है कि जो आपका चार महीने बैगन कम रेट में बिका है तो दो महीने आपका बहुत ही बेहतरीन रेट में बिक्री होती है। तो ऐसे में आप लोगों को आपका मुनाफा मिल जाता है।
बैगन (Brinjal) का ₹15 रुपये एवरेज रेट आप लोगों को मिल जाता है जिसकी वजह से आप लोगों को घाटा नहीं होता है। अब इसमें प्लस पॉइंट है तो माइनस पॉइंट भी है। लेकिन माइनस पॉइंट में सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसमें लगने वाले रोगों का अगर मैनेजमेंट आप लोग सही से नहीं कर पा रहे हैं तो यह आपको काफी ज्यादा परेशान कर सकता है।
तो हम इस आर्टिकल के माध्यम से जानने की कोशिश करेंगे की baigan ki kheti कब प्रारम्भ करें ,कौन सी किस्म अच्छी है ,खाद की मात्रा क्या डाले की हमे अच्छा उत्पादन मिल सके। बैगन की खेती में सबसे महत्त्वपूर्ण बाते है समय पर कीट-व्याधि नियंत्रण की ,तो हम आप लोगों को बताएंगे कि बैगन में वह कौन से रोग लगते हैं और उनका कैसे आप लोग मैनेजमेंट करेंगे। जिससे आप लोगों को बैगन में लगने वाले रोगों पर अधिकतम विजय प्राप्त हो सके।
बैगन (Brinjal) की खेती के लिए उपयुक्त समय:-
अब टाइमिंग की ऊपर बात करते तो वैसे तो देखिए बैगन की खेती 12 महीने की जाती है। इसका सही समय है बरसात के लिए जून, जुलाई और अगस्त महीने है. गर्मियों के लिए जनवरी से मार्च महीना उपयुक्त है। इसी प्रकार सर्दियों के लिए अक्टूबर माह से दिसंबर के मध्य आपको पौध रोपण कर देना चाहिए।
यदि इन सीजन पर आप खेती करेंगे तो बाजार भाव अच्छे मिलेंगे। और हाँ, अगेती बैगन (Brinjal) की खेती करने पर भी आपको रेट अच्छे मिल सकते हैं और बाजार भाव तो सबको पता है हर एक फसल का एग्रीकल्चर सेक्टर में किसी भी फसल का रेट तय नहीं होता है। क्योकि फ्लेक्सिबल रहता है। इसलिए हो सकता अगेती खेती करने पर आपको बहुत ही अच्छे बाजार भाव देखने के लिए मिल जाए। इसलिए बाजार मांग के अनुसार अगेती बैगन की खेती कर अच्छे कमाई निकाल सकते है।
उन्नतशील किस्मों का चयन :-
जब आप बैगन की खेती कर रहे हैं तो सबसे पहला तो यही है कि टाइमिंग के बाद कौन सी वैरायटी का चुनाव करें, कौन सी वैरायटी हैं जिससे अच्छी उत्पादन लिया जा सके । हम यहां हाइब्रिड वैरायटी की बात कर रहे हैं।
तो हाइब्रिड वैरायटी सीड्स में सबसे अच्छा उत्पादन देने वाली किस्मों में से एक अक्षिता F1 के नाम से आती है। इस किस्म की बोवाई आप खरीफ और रबी की सीजन में कर सकते है। इसके फल का वजन 150 ग्राम से लेकर 250 ग्राम तक होता है। इस किस्म के लिए दोमट मिटटी अधिक उपयुक्त रहती है।
इसके अलावा दोस्तों बात करते हैं वीएनआर की उत्कल किस्म है। दोस्तों वैगन की यह किस्म ग्रीन-सफेद रंग के होते हैं और गोल होते हैं। इसके फलों का वजन 180 से 200 ग्राम तक का होता है। तो आप इन वैरायटी को लगा सकते हैं।
इसके अलावा बैगन (Brinjal) की VNR-212 किस्म आती है ,जो आपको अच्छी उत्पादन दे सकती । इसके बैगन ब्लैक होते हैं, लंबे होते हैं और मीडियम लंबे भी होते हैं। इसकी वजन 6 ग्राम होती है। इसकी रोपाई के 40 से 45 दिन बाद पहली तुड़ाई कर सकते है। वैसे ब्लैक रंग की किस्म किसानों की काफी पसंदीदा वैरायटी है।
इसके अतिरिक्त अच्छी उत्पादन देने वाली बैगन की किस्मों में प्रमुख रूप से पूसा परपल राउंड,पूसा पर्पल क्लस्टर, पूसा परपल लोंग एवं पूसा हाईब्रिड-6 आदि शामिल है.
तो यह छह सात वैरायटी बतलाई सब एक से बढ़कर एक वैरायटी हैं। अपनी अपनी जगह पर हर एक वैरायटी रंग, कलर, साइज से अलग अलग है ,तो आप बैगन की बढ़ियां वैरायटी में से चयन कर अपने क्षेत्र के हिसाब से आप लगा सकते हैं।
नर्सरी तैयार करें :-
बैंगन की खेती (Brinjal Farming) के लिए सबसे पहले बात करते हैं नर्सरी आप कैसे तैयार करें। पहली बात नर्सरी तैयार करने के लिए प्लास्टिक ट्रे लीजिये। इसमें 28 दिन में नर्सरी तैयार हो जाती। दूसरी बात प्लास्टिक प्रो ट्रे में भी आप नर्सरी तैयार कर सकते हैं। इसमें पौधे के जडों का अच्छा विकास होता है और साथ ही पीलापन की समस्या नहीं आती है। यह नर्सरी तैयार करने की सही मैथड है।

नर्सरी तैयार करने के लिए प्लास्टिक ट्रे में कोकोपीट खाद की आवश्यकता पड़ेगी। 25 किलोग्राम वर्मी कंपोस्ट, 15 किलोग्राम ह्यूमिक एसिड, 500 ग्राम यूपीएल के साथ 250 ग्राम प्लास्टिक प्रोटीन ले और आवश्यकता अनुसार इन सभी को मिक्स करें। आपको इसे ठीक तरीके से मिक्स करना है और जो सिल्ली आती है कोकोपीट की इनको ठीक तरीके से पानी में भिगोकर रखना है फिर उसके बाद ही आपको ठीक तरीके से मिक्सअप करना है .
इसके साथ वर्मी कंपोस्ट ले। अच्छी नर्सरी तैयार करने के लिए वर्मी कम्पोस्ट अच्छी ग्रेड वाली होनी चाहिए। नर्सरी तैयार करने के बाद एक एक बीजों की बुवाई करनी है। उसके बाद मल्चिंग पेपर में 5 -7 दिन के लिए कवर करके रखना है। हैंड स्प्रिंकलर से सुबह शाम सिंचाई करें।
नर्सरी की देखभाल कैसे करें ?
उसके बाद दोस्तों जब जर्मिनेशन हो जाए तो प्रॉपर देखभाल करना चाहिए। सुबह शाम सिंचाई तो आपको करना ही है। उसके बाद एक समस्या आती है। वह समस्या है पौधों में पीलापन की ,तो पीलापन की समस्या और इंसेक्ट प्रकोप के कारण हमारी नर्सरी पर पत्तों पर छेद हो जाते हैं।
यदि पीलापन की समस्या बनी रहती है,तो नर्सरी बढ़वार अच्छी नहीं ले पाती है तो इसके नियंत्रण के लिए एनपीके 19:19:19 आपको 100 ग्राम लेना है और इसके साथ सिजेंटा कंपनी की एकतारा आपको10 ग्राम और बाविस्टिन फंगी साइड 50 ग्राम लेकर 15 लीटर पानी में घोल करके आपको स्प्रे करना है।
बीज मात्रा एवं पौध संख्या :-
बैंगन की खेती (Brinjal Farming) के लिए एक एकड़ में 70 ग्राम से लेकर 100 ग्राम बीज की आवश्यकता पड़ने वाली है। । पौधा से पौधा दुरी यदि आप सिंगल लाइन पर पौधरोपण कर रहे हैं, तो 7500 से 8000 पौधे लगेंगे। इसके लिए पौधे से पौधे की दूरी डेढ़ फिट रखिए और यदि आप डबल लाइन पर पौधरोपण कर रहे हैं 14 000 से 15000 के बीच पौधे लगेंगे।
आपको एक बेड पर डबल लाइन जिगजैग पौधरोपण करना है तो इसमें आपको 14000 से 15,000 पौधे लगेंगे। इसमें पौधे से पौधे की दूरी दो फीट आपको रखनी चाहिए। यदि आप जिगजैग प्लांटेशन कर रहे हैं तो बाकी आप खेत की तैयारी नॉर्मल तरीके से खेत की आपको कराना चाहिए।
खेत की तैयारी:-
बैंगन की खेती (Brinjal Farming) के लिए ध्यान देने वाली बातें है कि मिट्टी जितनी ज्यादा भुरभुरी होगी, साफ सफाई होगी, उतना ही आपको अच्छा फायदा देखने के लिए मिलने वाला है। और पौध रोपण करने में भी आसानी होगी। खेत की अच्छी जुताई कर बेड तैयार आपको जरूर करना चाहिए।
बेड मेकर या फिर बेड राइजर से बेड तैयार कर लें। बेड की चौड़ाई ढाई फिट, बेड की ऊंचाई एक से डेढ़ फिट और बेड से बेड की दूरी तीन फिट रखनी चाहिए। सेंटर से सेंटर बेड की दूरी साढ़े 4 से 5 फिट रखनी चाहिए। उत्तम जलनिकास का प्रबंध होना चाहिए। खेत के चारों साइड ग्रीन नेट खींच लीजिए। 25 माइक्रोन का मल्चिंग पेपर लगाइए। बैगन (Brinjal) की फसल छह से लेकर आठ महीने के आसपास तक चल जाती है। तो इस प्रकार खेत की तैयारी करें।
खाद की मात्रा:-
खेत की 3-4 जुताई करें। अंतिम जुताई के समय खेत में 50 से 60 क्विंटल सड़ी हुई गोबर या कम्पोस्ट की खाद और सरसों खली लगभग दो क्विंटल प्रयोग करना चाहिए।अच्छी तरह मिला कर जुताई करें। साथ ही अंतिम जुताई से पूर्व 16 किलो नत्रजन, 32 किलो फॉस्फोरस तथा 24 किलो पोटाश को प्रति एकड़ की दर से खेत में बराबर मिला कर उचित आकार की क्यारियां बना लेवें ।
सिंचाई :-
बैगन (Brinjal) की फसल को मध्यम सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। ड्रिप के माध्यम से 2 से 4 दिनों के अंतराल पर और फ्लैट एरिगेशन से 10 से 12 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए और यदि गर्मियों का समय है, तो चार से लेकर पांच दिनों के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए।
खरपतवार की रोकथाम:-
तो बैगन की फसल पर ज्यादा खरपतवार का जमाव ना हो तो इसके लिए बीच बीच में आपको कुल्पा की मदद से निराई-गुड़ाई की मदद से आपको खेत की ठीक तरीके से सुधार के रखना चाहिए। खरपतवार फसल को मुक्त रखना चाहिए।
कीट प्रबंधन :-
किसान भाइयों! बैगन (Brinjal) में सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाला कीडा फल छेदक है। जब किसान भाई अपनी फसल की देखरेख करके उसे अच्छी कंडीशन में लेकर जाते हैं। तब वह उत्पादन देना शुरू कर देती है, तो ऐसे में जो फल होते हैं उनको यह कीड़ें छेदना शुरू कर देते हैं जिससे जो आपका उत्पाद खराब हो जाता है।

मार्केट में उसका कोई रेट नहीं मिलता है और अगर आपके बैगन के साथ छेद हुए बैगन या जिसमें जो फल छेदक है वह लगा हुआ चला जाता है। जिससे मार्केट में तो आपके उत्पाद का कम रेट मिलता है। यह फल छेदक तकरीबन 70 परसेंट तक आपके बैगन फल को प्रभावित कर सकते हैं।
बैंगन (Brinjal) के फसल में लगने वाले प्रमुख कीट ,जो बैगन की फसल को काफी नुकसान पहुंचा सकती है, उनमे से प्रमुख है :-
माहू (Aphids):-
माहू कीट एक छोटा सा हरे रंग का कीट होता है, जो पौधे को हिलाने पर कीड़े फुदकते हुए दिखाई देते हैं।। जो पौधे के पत्तियों और तनों के कोमल भागों से रस चूसकर पौधों को कमजोर कर देता है जिसके परिणाम पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं।
थ्रिप्स कीट:-
बैगन फसल पर लगने वाली थ्रिप्स कीट पौधे के पत्तियों और तनों के कोमल भागों से रसचूसकर कमजोर कर देता है जिसके कारण पौधों पर प्रकाश संस्लेषण क्रिया बाधित हो जाती हैं और पौधे की पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं। बाद में ये पत्तियाँ काले, भूरे और पीली पड़ जाती है।
जैसिड कीट :-
बैगन फसल पर जैसिड कीट पत्तों के निचले हिस्सों में चिपककर रस चूसते हैं, जिसके फलस्वरूप पत्तियों का रंग पीला पड़ जाता है और जिसके कारण पौधा कमजोर हो जाती है।
हड्डा भृंग कीट:-
बैगन का यह कीट भूरे रंग में अर्धगोल आकृति का होता है। ये कीट पत्तियों पर छेद बनाकर खातें है फिर बाद में सिर्फ सिराएं ही बचती हैं, इस कीट से ग्रसित पौधा सूख जाता है।

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बैंगन के फसल पर कीट नियंत्रण का उपाय :-
तो इनसे निपटने के लिए जरूरी हो जाता है कि आप लोग कोई कारगर तरीका अपनाइए जिससे यह नियंत्रित हो सके। तो इनके नियंत्रित करने के लिए कीटनाशक हमला 550 या धानुका डी (क्लोरोपायरीफॉस 50%+साईपरमेथ्रिन 5% ईसी ) 400 मिली प्रति एकड़ की दर से 200 -300 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
इसके अतिरिक्त इससे निपटने के लिए आप दूसरी दवा के रूप में इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी 80 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते यानी कि 0.5 8 ग्राम प्रति पंप (15 लीटर पंप) के हिसाब से छिड़काव कर सकते।
रस चूसक कीट के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड (70% डब्ल्यूजी) 60 ग्राम प्रति एकड़ हिसाब से छिड़काव के लिए उपयोग कर सकते हैं।
ध्यान रखें कि अगर अटैक काफी ज्यादा है तो ऐसी परिस्थिति में आप लोग 10 से 15 दिन के अंतराल पर लगभग तीन बार स्प्रे करें तो आपका यह काफी हद तक कंट्रोल हो जाएगा और बैगन के फल निकलते हैं ,तो ज्यादातर सुरक्षित रहेंगे।