केंद्र सरकार की किसान हितैषी DBT योजनाएं | Central Government DBT Benefits schemes

Central Government DBT Benefits schemes: केंद्र सरकार ने किसानों की जिंदगी को आसान और समृद्ध बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इन योजनाओं में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) का इस्तेमाल करके अनुदान और सहायता राशि सीधे किसानों के आधार से जुड़े बैंक खातों में पहुंचाई जा रही है। इससे पारदर्शिता बढ़ी है, भुगतान में तेजी आई है, और किसानों को समय पर मदद मिल रही है। आइए, इन केंद्र पोषित योजनाओं को आसान और बोलचाल की हिंदी में समझें और जानें कि ये कैसे आपके लिए फायदेमंद हैं।

केंद्र सरकार की डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) योजनाएँ

केंद्र सरकार की डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) योजनाएँ भारत में सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई हैं। इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य सरकारी सब्सिडी और लाभ को सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुँचाना है, जिससे पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित होती है। किसानों के लिए Central Government DBT Benefits schemes में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, पीएम किसान सम्मान निधि ,कृषि सुधार हेतु विस्तार कार्यक्रम (आत्मा), और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जैसी योजनाएँ शामिल हैं।

Central Government DBT Benefits schemes
Central Government DBT Benefits schemes

ये योजनाएँ किसानों को वित्तीय सहायता, फसल बीमा, और प्रशिक्षण-फसल प्रदर्शन जैसी सुविधाएँ प्रदान करती हैं। आधार कार्ड के माध्यम से लाभार्थियों की पहचान की जाती है, जिससे भ्रष्टाचार और बिचौलियों की भूमिका कम होती है। इन योजनाओं ने लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बनाया है, विशेष रूप से कृषक वर्गों में। डीबीटी ने सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन को तेज और प्रभावी बनाया है।

1. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

खेती में मौसम की मार, कीटों का हमला या प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान का खतरा हमेशा रहता है। इस योजना के तहत, अगर आपकी फसल को नुकसान होता है, तो बीमा की राशि सीधे आपके बैंक खाते में आती है। यह राशि आपके बीमित खेत के क्षेत्रफल के आधार पर तय होती है।

Central Government DBT Benefits schemes
Central Government DBT Benefits schemes
  • बीमा कराने की आखिरी तारीख:
  • खरीफ फसल: 31 जुलाई
  • रबी फसल: 31 दिसंबर
    यह योजना आपको आर्थिक सुरक्षा देती है, ताकि फसल खराब होने पर भी आपको बड़ा नुकसान न उठाना पड़े।

2. कृषि सुधार हेतु विस्तार कार्यक्रम (आत्मा)

यह कार्यक्रम किसानों को नई तकनीक, बेहतर खेती के तरीके और कौशल सिखाने के लिए है। इसके तहत कई तरह की सहायता दी जाती है:

  • कृषक प्रशिक्षण: हर किसान को प्रशिक्षण के लिए 250 से 1250 रुपये प्रतिदिन मिलते हैं।
  • कृषक भ्रमण: अगर आप खेती से जुड़ी नई चीजें देखने या सीखने कहीं जाते हैं, तो 300 से 1000 रुपये प्रतिदिन की मदद मिलती है।
  • कौशल उन्नयन: किसानों के समूह को हर साल 5000 रुपये की सहायता दी जाती है।
  • रिवॉल्विंग फंड: समूह को 10,000 रुपये का फंड मिलता है, जिसे खेती के काम में इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • खाद्य सुरक्षा समूह: महिला समूहों को 10,000 रुपये की मदद दी जाती है।
  • कृषक पुरस्कार: अच्छा काम करने वाले किसानों को 10,000 से 50,000 रुपये तक का पुरस्कार मिलता है।
  • प्रदर्शन आयोजन: खेती और संबंधित क्षेत्रों में प्रदर्शन के लिए 6000 रुपये प्रति प्रदर्शन का अनुदान है।
  • कृषक मित्र का मानदेय: कृषक मित्रों को सालाना 12,000 से 18,000 रुपये दिए जाते हैं।
    यह योजना किसानों को प्रशिक्षण और संसाधन देकर खेती को बेहतर करने में मदद करती है।

3. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना

पानी के बिना खेती अधूरी है। इस योजना से सिंचाई को आसान और किफायती बनाने की कोशिश की जा रही है।

  • स्प्रिंकलर/ड्रिप सिस्टम:
  • छोटे और सीमांत किसानों को 55% अनुदान।
  • अन्य किसानों को 45% अनुदान।
    यह सिस्टम पानी की बचत करता है और फसल को सही मात्रा में पानी देता है, जिससे उत्पादन बढ़ता है।

4. मृदा स्वास्थ्य कार्ड (स्वाइल हेल्थ कार्ड)

मिट्टी की सेहत अच्छी हो, तो फसल भी अच्छी होती है। इस योजना में:

  • हर 2 साल में मिट्टी की जांच के बाद आपको स्वाइल हेल्थ कार्ड दिया जाता है।
  • सूक्ष्म पोषक तत्वों और जैव उर्वरकों का प्रदर्शन किया जाता है।
  • प्रदर्शन आयोजन: मिट्टी सुधार के लिए प्रति हेक्टेयर 5000 रुपये का अनुदान मिलता है।
    इससे आपको पता चलता है कि आपकी मिट्टी में क्या कमी है और उसे कैसे ठीक करना है।

5. परंपरागत कृषि विकास योजना

जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए यह योजना 31 जिलों में चल रही है।

  • क्षेत्रफल:
  • तीसरे साल में 26,000 हेक्टेयर।
  • दूसरे साल में 6000 हेक्टेयर।
  • दंतेवाड़ा में: 50,279.29 हेक्टेयर में बड़े स्तर पर जैविक प्रमाणीकरण।
  • प्रदर्शन आयोजन: प्रति हेक्टेयर 5000 रुपये की सहायता।
    यह योजना रासायनिक खादों से हटकर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देती है, जो मिट्टी और सेहत दोनों के लिए अच्छी है।

6. राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन तिलहन

यह योजना बलौदाबाजार, गरियाबंद, राजनांदगांव, मानपुर मोहला, खैरागढ़, बेमेतरा, बिलासपुर, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही, मुंगेली, रायगढ़, सारंगढ़, सरगुजा, बलरामपुर, कांकेर, कोण्डागांव और जगदलपुर जिलों में चल रही है।

  • मुख्य घटक:
  • दलहन और तिलहन फसलों का प्रदर्शन।
  • बीज उत्पादन और वितरण।
  • सूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रबंधन।
  • उन्नत कृषि यंत्रों का वितरण।
  • सिंचाई प्रबंधन।
  • अनुदान: तिलहनी फसलों के प्रदर्शन के लिए 8000 से 14,000 रुपये तक की मदद।
    यह योजना तिलहन उत्पादन को बढ़ाकर देश को खाद्य तेल में आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश है।

7. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना

खेती को मजबूत करने के लिए यह योजना कई तरह की मदद देती है:

  • लघु धान्य फसलें: खंड प्रदर्शन के लिए प्रति हेक्टेयर 6000 रुपये।
  • हरी खाद बीज वितरण: मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए बीज।
  • शैलोट्यूबवेल प्रतिस्थापन:
  • नलकूप खनन के लिए 5000 रुपये।
  • पंप बदलने के लिए अधिकतम 15,000 रुपये।
  • गुणवत्ता परीक्षण: कीटनाशी, बीज और उर्वरक की जांच के लिए शुल्क।
    यह योजना खेती को आधुनिक और टिकाऊ बनाने में मदद करती है।

9. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि

यह योजना किसानों की आय बढ़ाने के लिए है।

  • सहायता: सालाना 6000 रुपये, जो 3 किश्तों में 2000-2000 रुपये देकर आपके खाते में आते हैं।
    यह छोटी-मोटी जरूरतों के लिए किसानों को आर्थिक सहारा देती है।

10. मिलेट्स मिशन (2022-2026)

कोदो, कुटकी और रागी जैसी मोटी फसलों को बढ़ावा देने की योजना।

  • मुख्य काम: उत्पादन, भंडारण, प्रसंस्करण और विपणन।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य:
  • कोदो: 3200 रुपये प्रति क्विंटल।
  • कुटकी: 3350 रुपये प्रति क्विंटल।
  • रागी: 3846 रुपये प्रति क्विंटल।
    यह योजना पौष्टिक फसलों को बढ़ाकर किसानों की आय और सेहत दोनों को बेहतर करती है।

निष्कर्ष

केंद्र सरकार की ये योजनाएं DBT के जरिए किसानों तक सीधे पहुंच रही हैं। इससे न सिर्फ पारदर्शिता बढ़ी है, बल्कि समय पर भुगतान, आधुनिक तकनीक और संसाधनों की उपलब्धता से खेती आसान और फायदेमंद हो रही है।

चाहे फसल बीमा हो, सिंचाई हो, जैविक खेती हो या ड्रोन का इस्तेमाल, हर योजना का मकसद किसानों को सशक्त करना है। अगर आप इनका लाभ लेना चाहते हैं, तो अपने आधार से जुड़े बैंक खाते को तैयार रखें और नजदीकी कृषि विभाग से संपर्क करें।


डिस्क्लेमर:
यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है और इसमें दी गई जानकारी केंद्र सरकार और कृषि विभाग की योजनाओं पर आधारित है। योजनाओं के नियम, शर्तें और अनुदान की राशि में समय-समय पर बदलाव हो सकता है। सटीक और नवीनतम जानकारी के लिए कृपया अपने नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय या संबंधित सरकारी वेबसाइट से संपर्क करें। इस लेख का उद्देश्य सिर्फ जागरूकता बढ़ाना है और इसे किसी भी तरह के कानूनी या आधिकारिक दस्तावेज के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

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