किसान भाइयों ! अगर आप छत्तीसगढ़ के किसान हैं या खेती-बाड़ी से जुड़े हैं, तो आज हम बात करेंगे दो ऐसी धान की किस्मों की, जो आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं। ये हैं Chhattisgarh Dhaan-1919 और तरंगिनी (एमटीयू 1156)।
ये दोनों किस्में न सिर्फ ज्यादा उपज देती हैं, बल्कि बारिश आधारित खेती, सूखा, और कीटों के खिलाफ भी मजबूत हैं। इस ब्लॉग में हम इन दोनों किस्मों की पूरी डिटेल्स, फायदे, और कैसे इन्हें उगाएं, समझेंगे। तो चलो, शुरू करते हैं!
Chhattisgarh Dhaan-1919-
सबसे पहले बात करते हैंChhattisgarh Dhaan-1919 की। ये धान (paddy) की एक ऐसी किस्म(Variety) है, जो छत्तीसगढ़ जैसे बारिश आधारित इलाकों के लिए खास तौर पर बनाई गई है। इसे छत्तीसगढ़ के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (IGKV) ने विकसित किया है। ये किस्म उन किसानों के लिए बेस्ट है, जो कम पानी और मुश्किल हालात में भी अच्छी पैदावार चाहते हैं।
खासियतें:
- उपज क्षमता: 55-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर (यानी 5.5-6 टन/हेक्टेयर)।
- अवधि: 125-130 दिन (मध्यम अवधि की फसल)।
- अनाज का प्रकार: मध्यम पतला, जो बाजार में अच्छी कीमत लाता है।
- उपयुक्त स्थिति: बारिश आधारित खेती के लिए बेस्ट।
- तनाव सहनशीलता: सूखे के प्रति सहनशील और गॉलमिज (Gall Midge) जैसे कीटों के खिलाफ प्रतिरोधी।
क्यों चुनें छत्तीसगढ़ धान-1919?
- ज्यादा पैदावार: इसकी उपज क्षमता 55-60 क्विंटल/हेक्टेयर है, जो पारंपरिक किस्मों से कहीं ज्यादा है।
- सूखा सहनशील: छत्तीसगढ़ में कई इलाकों में बारिश अनियमित होती है। ये किस्म कम पानी में भी अच्छी फसल देती है।
- कीट प्रतिरोधी: पित्त मिज जैसे कीटों से फसल को बचाने में मदद करती है, जिससे कीटनाशक का खर्चा कम होता है।
- बाजार में डिमांड: इसका मध्यम पतला अनाज खाने में स्वादिष्ट और बाजार में पसंद किया जाता है।
तरंगिनी (MTU 1156):
अब बात करते हैं तरंगिनी (एमटीयू 1156) की। ये धान की एक और शानदार किस्म है, जिसे मराठवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय और अन्य संस्थानों ने विकसित किया है।
ये किस्म खरीफ और रबी दोनों मौसमों में उगाई जा सकती है, यानी साल में दो बार फसल लेने का मौका। ये उन किसानों के लिए बेस्ट है, जो बारिश आधारित और सिंचित दोनों तरह की खेती करते हैं।
खासियतें:
- उपयुक्त पारिस्थितिकी: बारिश आधारित और सिंचित ऊपरी भूमि।
- मौसम: खरीफ और रबी दोनों।
- अवधि: 115-120 दिन (कम अवधि की फसल)।
- पौधे की ऊंचाई: अर्ध-बौना (ज्यादा हवा या बारिश में गिरता नहीं)।
- अनाज का प्रकार: लंबा पतला, जो प्रीमियम क्वालिटी का होता है।
- तनाव सहनशीलता: न्यूनतम अजैविक तनाव (जैसे सूखा, गर्मी) और जैविक तनाव (बीएल-ब्लास्ट, बीपीएच-ब्राउन प्लांट हॉपर) के प्रति प्रतिरोधी।
- विशेषता: गैर-गिरने वाली (Non-Lodging) और 7.5 टन/हेक्टेयर तक संभावित उपज।
क्यों चुनें तरंगिनी (एमटीयू 1156)?
- दो मौसम में खेती: खरीफ और रबी दोनों में उगाई जा सकती है, यानी डबल फायदा।
- कम समय में फसल: 115-120 दिन में फसल तैयार, जो जल्दी पैदावार चाहने वालों के लिए अच्छा है।
- कीट और रोग प्रतिरोधी: ब्लास्ट और ब्राउन प्लांट हॉपर जैसे रोगों-कीटों से बचाव।
- प्रीमियम क्वालिटी: इसका लंबा पतला अनाज बिरयानी, पुलाव जैसे व्यंजनों के लिए पसंद किया जाता है और निर्यात के लिए भी डिमांड में है।
- मजबूत पौधा: अर्ध-बौना और गैर-गिरने वाला, यानी तेज हवा या बारिश में भी फसल सुरक्षित।
छत्तीसगढ़ की खेती की खास बातें:
- बारिश आधारित खेती: छत्तीसगढ़ में ज्यादातर खेती मानसून पर निर्भर है।
- मिट्टी: यहां की मिट्टी (लाल-पीली और काली मिट्टी) धान के लिए उपयुक्त है।
- जलवायु: गर्म और आर्द्र जलवायु धान की खेती के लिए बेस्ट है।
- चुनौतियां: अनियमित बारिश, सूखा, और कीटों का हमला।
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