उन्नत Gehu ki kheti 2024 में बंपर पैदावार पाने के लिए अच्छी सिंचाई करनी होगी, विशेष दवाओं का अच्छा प्रबंधन, बीज उपचार और बेहतरीन किस्म, अगर आप सही समय पर गेहूं की अच्छी किस्मों की बुवाई करते हैं, तो निश्चित रूप से आपकी पैदावार 30 क्विंटल तक छू सकती है।
जो पैदावार आपको 20 से 22 क्विंटल तक मिल रही है, वह पैदावार आपको 28 से 30 क्विंटल या 32 क्विंटल तक मिल सकती है, तो वो कौन से कारक हैं? वो कौन से पोषक तत्व हैं? जिनकी आप पूर्ति नहीं करते हैं, अगर आप गेहूं की खेती (Wheat farming) में सही समय पर सही पोषण प्रबंधन करते हैं, तो आप गेहूं की अच्छी और बंपर पैदावार पा सकते हैं। तो हम प्रत्येक विषय को विस्तार से कवर करेंगे हैं,
गेहूं बोवाई की सही समय :-
सबसे पहले बात करते हैं समय यानी टाइमिंग की। तो Gehu ki kheti के लिए सही समय 25 अक्टूबर से 25 नवंबर के बीच गेहूं बो सकते हैं। लेकिन 10 से 20 नवंबर के बीच का समय भी बहुत अच्छा माना जाता है, यानी आप 10 से 20 नवंबर के बीच में बो सकते हैं और फिर देखिए, वह एक अच्छा समय है, जैसे ही आप बुवाई में देरी करते हैं, यानी नवंबर महीने के बाद बुवाई करते हैं, तो दिन-प्रतिदिन आप जितनी देरी करते हैं, उतना ही उत्पादन और उपज क्विंटल के हिसाब से कम होती जाती है,
तो इसीलिए अगर मक्का, धान या कोई भी खरीफ सीजन की फसल कट गई है, तो आपको जल्द से जल्द खेत तैयार कर लेना चाहिए और अच्छा गेहूं बो देना चाहिए, इसलिए आपको गेहूं बोने के लिए सही समय का चुनाव करना चाहिए, अगर आपका खेत खाली है, तो आपको ज्यादा समय बर्बाद नहीं करना चाहिए, आपको तुरंत खेत तैयार कर लेना चाहिए और गेहूं बो देना चाहिए।
गेंहूं के बुआई के समय खाद का बेसल डोज :-
दोस्तों ,Gehu ki kheti के लिए दूसरा बिंदु उर्वरक की बेसल डोज है, जो महत्वपूर्ण है। बुवाई के समय उर्वरक, यानी बेसल डोज कहीं न कहीं प्राथमिक पोषक तत्व है। गेहूं की बुवाई के समय अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए, बुवाई के समय आवश्यक उर्वरकों और तत्वों की आपूर्ति की जानी चाहिए।
बुवाई के समय बेसल डोज के समय कौन सा तत्व दिया जाना चाहिए ताकि दाने में भराव अच्छा हो, दाना ठोस, चमकदार और भारी हो। वैसे तो यूरिया और डीएपी के अलावा आप जिंक का इस्तेमाल लगातार करते आ रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही आपको पोटेशियम, सल्फर और बोरोन को नहीं भूलना चाहिए।
इसके लिए हमें एसएसपी दानेदार (सिंगल सुपर फास्फेट) 50 किलो लेना चाहिए। अब इस एसएसपी में सल्फर 11%, कैल्शियम 19%, फॉस्फोरस 16% के साथ-साथ जिंक और बोरोन भी है। इसके साथ ही दोस्तों हम 50 किलो डीएपी खाद ले रहे हैं इसके साथ ही हम 35 किलो MOP खाद (म्यूरेट ऑफ पोटाश) लेंगे। इसमें 60% पोटाश होता है और आप 5 से 10 किलो सल्फर भी ले सकते हैं।
वैसे तो SSP में सल्फर होता है लेकिन अगर आप थोड़ा सल्फर सही से देते हैं तो भविष्य में जब गर्म हवाएं चलेंगी तो आपकी गेहूं की फसल को बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलेगी और गर्म हवाओं से लड़ने के लिए थोड़ी और ताकत मिलेगी। सल्फर फसल को बीमारियों से लड़ने की ताकत भी देता है। तो आप इन खादों का इस्तेमाल एक एकड़ में बुवाई के समय कर सकते हैं।
दोस्तों अब आप कहेंगे कि SSP, DAP, MOP और सल्फर के इस्तेमाल में भी बहुत बड़ा खर्च आएगा लेकिन यकीन मानिए दोस्तों एक एकड़ में ये बेसल डोज इस्तेमाल करके देखिए उत्पादन कमाल का होने वाला है।
अगर पिछले साल आपके खेत में दीमक ने आपको बहुत परेशान किया है। तो जिन इलाकों में दीमक या सफेद ग्रब की समस्या है उन किसानों को बुवाई के समय 2 किलो से 3 किलो रीजेंट अल्ट्रा का इस्तेमाल करना चाहिए
गेंहूं की उन्नत किस्में :-
गेहूं की बेस्ट वैरायटी जो कि तीसरा मेन पॉइंट है।तो दोस्तों 2024 -25 में गेंहूँ की खेती(Wheat farming 2024) से बंपर पैदावार निकालने के लिए गेहूं की ऐसी किस्मों का चुनाव करना चाहिए जो कि उत्पादन के मामले में सबसे आगे हो और बेस्ट हो, तो आइए हम गेंहूँ के पांच -सात किस्मों के बारे में जानते है। जिनकी ओवरऑल उत्पादन क्षमता काफी ज्यादा है, तो इन किस्मों को आप अपने खेत में बोवाई कर सकते हैं।
1.श्रीराम सुपर 303:-
Gehu ki kheti के लिए पहले पायदान पर हमने श्रीराम सुपर 303 गेहूं की वैरायटी को रखा है, जो कि 135 दिन के आसपास में तैयार हो जाती है और 22 क्विंटल से लेकर के 28 क्विंटल तक पैदावार आप निकाल सकते हैं।
2. DBW 187 (करण वंदना ):-
Gehu ki kheti के लिए दूसरे नंबर पर हमने DBW 187 (करण वंदना )गेहूं की वैरायटी को रखा है, जो 25 क्विंटल से लेकर के 27 क्विंटल तक पैदावार निकाल सकते हैं 140 से 150 दिन में तैयार हो जाती है।
3. एचआई 8759 (पूसा तेजस):-
गेंहूँ की खेती(Wheat farming 2024) के लिए तीसरे नंबर पर हमने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए एचआई 8759 (पूसा तेजस) वैरायटी को रखा है। जो कि 130 से 135 दिन में पककर तैयार हो जाती है। यदि आप बहुत अच्छे से खेती करते हैं, तो 30 क्विंटल से अधिक का उत्पादन बड़ी ही आसानी से निकाल सकते हैं, इसके पौधे की ऊंचाई मध्यम होती है। इसमें गिरने की समस्या नहीं आती है।
4. DBW 303 (करण वैष्णवी ):-
Gehu ki kheti के लिए चौथे पायदान पर हमने DBW 303 (करण वैष्णवी )गेहूं की वैरायटी को रखा है, जो कि 155 दिन में तैयार हो जाती है। यह किस्म 28 से लेकर के 33 क्विंटल तक पैदावार दे सकते हैं, यानी DBW303 गेहूं की वैरायटी को सही समय पर और सही तरीके से सिंचाई करते हैं और खाद का बढ़िया सा बेसल डोज का प्रयोग करते हैं और निश्चित दूरी पर बुवाई करते हैं, तो DBW303 अब तक की सबसे बेस्ट या सर्वश्रेष्ठ गेहूं की वैरायटी है।
5. WH 1270:-
इसके अलावा WH 1270 गेहूं की वैरायटी भी अच्छी है , ये किस्म बहुत ज्यादा पुरानी तो नहीं है। लेकिन पिछले साल जैसा इस किस्म ने परफॉर्मेंस किया काफी किसानों का दिल जीत लिया है। यह किस्म 150 दिन के आसपास लगभग पककर तैयार हो जाती है। या किस्म 28 से लेकर के 30 क्विंटल तक पैदावार आप एक एकड़ से निकाल सकते हैं।
6. गेहूं की DBW 327 वैरायटी :-
इसी प्रकार गेहूं की DBW 327 वैरायटी जो 125 दिन में तैयार हो जाती है, लगभग 26 से लेकर के 30 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से पैदावार देती हैं।
7. HD 2967 गेहूं की वैरायटी:-
HD 2967 गेहूं की वैरायटी 140 दिन में तैयार हो जाती है, जो 24 से लेकर के 29 क्विंटल तक पैदावार देती हैं।
तो दोस्तों आप इ पांच से सात गेहूं की बेस्ट किस्मों का चयन कर सकते है। जो ना केवल मध्य प्रदेश पर बल्कि छत्तीसगढ़ , राजस्थान , गुजरात, पंजाब और हरियाणा इन जगहों पर यह वैरायटी बहुत ही अच्छा उत्पादन दे सकती है।
बीज दर :-
दोस्तों Gehu ki kheti के लिए एक एकड़ में कितने बीज की आवश्यकता होती है, आपको अपने खेत में प्रति एकड़ 40 किलो से 50 किलो बीज बोना चाहिए। एक एकड़ में अधिकतम 50 किलोग्राम का उपयोग किया जा सकता है। अगर आप नवंबर के बाद बुवाई कर रहे हैं,
तो एक एकड़ में 55 से 60 किलो बीज बो सकते हैं यानी अगर आप देर से बुवाई करते हैं तो आपको करीब 10 से 12 किलो बीज अतिरिक्त बोना पड़ेगा। इसलिए अगर आप गेहूं के पौधों में अच्छी ग्रोथ चाहते हैं ज्यादा हरियाली चाहते हैं, ज्यादा पैदावार चाहते हैं, तो 50 किलो से ज्यादा बिल्कुल न बोएं।
बीज उपचार :-
अगर आपके क्षेत्र में गेहूं की खेती (Wheat farming)बहुत अधिक मात्रा में हो रही है और गेहूं की जड़ों में जड़ से संबंधित रोग लग जाते हैं तो इसका मतलब है कि मिट्टी में कोई समस्या है, क्योंकि अगर जड़ों में रोग लग जाते हैं तो मिट्टी में दिक्क्त हैं। तो कहीं न कहीं बीज को उपचारित तो करना ही पड़ेगा और बीज उपचार सबसे अच्छे फफूंदनाशक से करना चाहिए।
जिसमें एक उत्पाद में दो से तीन तकनीकी हो और यह गेहूं की फसल पर बहुत अच्छे परिणाम देगा। अगर आप गेहूं के बीज को किसी भी प्रचलित फफूंदनाशक से उपचारित करते हैं तो एक एकड़ का खर्च लगभग ₹200 आने वाला है तो बीज उपचार के लिए कौन सा फफूंदनाशक इस्तेमाल करें?
ध्यान रखें कि अगर जड़ से संबंधित कोई समस्या है या फफूंद का हमला होता है तभी आपको बीज को उपचारित करना चाहिए। वैसे तो बीज उपचार से बहुत अच्छे परिणाम मिलते हैं, अंकुरण अच्छा होता है, अंकुरण में कोई समस्या नहीं आती है, जड़ों पर फफूंद का हमला नहीं होता है।
इसके लिए आप इलेक्ट्रॉन फफूंदनाशक (एजोक्सीस्ट्रोबिन 2.5% + थायोफैनेट मिथाइल 11.25% + थाइमेथोक्सम 25% FS) (कीटनाशक + फफूंदनाशक) का प्रयोग कर सकते हैं। इस फफूंदनाशक से आप 2 मिली प्रति किलोग्राम की दर से बीज का उपचार कर सकते हैं।
यानि अगर आप एक क्विंटल गेहूं के बीज का उपचार कर रहे हैं तो आपको 150 से अधिकतम 200 मिली इलेक्ट्रॉन फफूंदनाशक की जरूरत पड़ेगी। बीज उपचार के लिए बीजों पर हल्का पानी छिड़क कर उन्हें उपचारित करें।
दूसरा सबसे अच्छा फफूंदनाशक सिंजेन्टा कंपनी का वाइब्रेंस इंटीग्रल है जिसके एक मिली से एक किलोग्राम बीज का उपचार किया जा सकता है। इस तरह बीजों को उपचारित करने से हमें काफी अच्छी हरियाली देखने को मिलती है और जड़ों पर हमला करने वाला फफूंद बहुत कम या बिल्कुल नहीं लगता।
बुवाई :-
गेंहूँ की बुवाई आपको सीडड्रिल विधि से ही करनी चाहिए। गेहूं को कतारों में बोने के लिए आपको कतारों के बीच की दूरी 16 से 18 सेमी रखनी चाहिए और पौधों के बीच की दूरी 3 से 4 सेमी होनी चाहिए और गेहूं के बीज 6 से 7 सेमी की गहराई पर बोने चाहिए। आपको गेहूं को अधिक गहराई पर नहीं बोना चाहिए।
यानी बहुत ज्यादा गहराई में भी ना बोये और बहुत ज्यादा ऊपर भी ना बोये यानी 67 सेंटीमीटर गहराई बहुत अच्छी मानी जाती है तथा अच्छे अंकुरण के लिए तथा कल्लों की संख्या बढ़ाने के लिए 16 से 18 सेमी की दूरी पर गेहूं बोना उत्तम दूरी मानी जाती है। आप गेहूं को 16 सेमी पर भी बो सकते हैं।
गेहूं की फसल की सिंचाई:-
गेंहूँ की खेती(Wheat farming 2024) सिंचाई का मुख्य उद्देश्य क्या है, जिसके बारे में हमें बात करनी चाहिए क्योंकि गेहूं की खेती में सिंचाई का बहुत महत्व है। गेहूं की खेती में कुछ किसान सिर्फ गेहूं की फसल को पानी देते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए, अगर आप व्यवस्थित तरीके से और सही अवस्था में सिंचाई करते हैं, तो जड़ों का विकास बहुत अच्छा होता है।
इसलिए सबसे पहले यह समझना होगा कि जहां पर पानी कम है, उन किसानों को जल्दी बुवाई करनी चाहिए और कम दिन वाली किस्मों का चयन करना चाहिए। ऐसी स्थिति में आप सिंचाई करके या सूखे खेतों में भी गेहूं की बुवाई कर सकते हैं। जिन क्षेत्रों में सिंचाई के साधन बहुत अच्छे हैं, उन किसानों को समतल सिंचाई से सिंचाई करनी चाहिए और सही समय पर सिंचाई करनी चाहिए।
पहले पलेवा करें और फिर बुवाई करें। तो अगर आपने पलेवा कर बुवाई कर ली है। तो उसके बाद पहली सिंचाई सी.आर.आई. अवस्था पर करनी चाहिए, यानि पहली सिंचाई 21 दिन से 28 दिन के बीच में करनी चाहिए, लेकिन 21 दिन से पहले आपको बिल्कुल भी सिंचाई नहीं करनी चाहिए, यानि आपको सी.आर.आई. अवस्था पर, यानि गेहूं की क्राउन रूट इनिशिएशन अवस्था पर सिंचाई करनी चाहिए।
इसके अलावा दूसरी सिंचाई 40 से 50 दिन में करनी चाहिए। तीसरी सिंचाई 70 से 80 दिन में करनी चाहिए। अगर जमीन हल्की है और मिट्टी थोड़ी देर तक पानी नहीं रोक पाती है, यानि पानी रोकने की क्षमता बहुत कम है, तो वो किसान थोड़ी-बहुत बार-बार भी सिंचाई कर सकते हैं, लेकिन हर समय नमी नहीं होनी चाहिए, यानि हल्की सिंचाई करते रहें और जब थोड़ी दरार दिखाई दे, तब आप सिंचाई करेंगे, तो आपको बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे।
खरपतवार नियंत्रण :-
गेहूं की फसल पर खरपतवार कंट्रोल कहीं ना कहीं गेहूं फसल बोने वाले किसान के लिए परेशानी का सबब बन जाती है। चाहो वह मंडूस हो या फिर जिद्दी खरपतवार जैसे चिरपोटा ,कृष्णनील ,फुलिकिया ,सफेदमूर्ग़,चरोटा घास ,चिंयारी ,हिरन चरी या बरु घास कहीं ना कहीं ऐसे खरपतवार है, जो कि आसानी से खत्म नहीं होते हैं और काफी ज्यादा किसानों को परेशान भी करते हैं।
तो सबसे पहले यदि आपके गेंहूं के खेत में हल्के फुलके खरपतवार है, तो हम आपको सजेस्ट करेंगे कि मजदूरों की मदद से उनको साफ करा दीजिए। लेकिन जहां पर ज्यादा ही खरपतवार का प्रकोप है वे किसान भाई तीन से चार पत्ती के खरपतवार हो या फिर लगभग 20 से 25 दिन के आसपास की गेहूं की फसल हो तब खेत में अच्छी नमी रखकर उचित खरपतवार नाशक दवाई का प्रयोग कर सकते हैं।
चाहे आपके खेत चौड़ी पत्ती या सकरी पत्ती खरपतवार हो , तो आप सही समय पर उचित खरपतवार नाशक का उपयोग कर अच्छा रिजल्ट प्राप्त कर सकते है।
गेहूं की फसल में चौड़ी व संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए आप क्लोडिनाफॉप प्रोपार्जिल 15% + मेटसुलफ्यूरॉन मिथाइल 1% WP जो कि एक चयनात्मक खरपतवारनाशक है उसका 160 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं।
इसके अलावा दूसरा खरपतवारनाशक सल्फोसल्फ्यूरॉन 75% + मेटसुलफ्यूरॉन 5% WG 16 ग्राम की दर से है। जी हां, एक एकड़ में सिर्फ 16 ग्राम का ही छिड़काव किया जा सकता है। आपको एक एकड़ के लिए 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
जब भी आप खरपतवारनाशक का छिड़काव कर रहे हों तो 200 लीटर के बैरल में पानी भरकर उसमें दवाओं को अलग-अलग करके अच्छी तरह मिला लें और फिर उसे ठीक से मिला लें। 16 ग्राम या इससे कम खरपतवारनाशक दवाओं को मापना मुश्किल होता है
इसलिए इन्हें किसी टैंक वाली बाल्टी या बैरल में अच्छी तरह से मिलाकर ठीक से छिड़काव करें।सबसे जरुरी कौन से खरपतवार का प्रकोप है उस हिसाब से आप खरपतवार नाशक का स्प्रे करेंगे और सही समय पर खरपतवार नाशक का स्प्रे करेंगे और तो रिजल्ट लाजवाब देखने को मिलती है।
गेंहूं फसल की गिरने की समस्या :-
कभी-कभी किसान भाईयों को गेंहूँ फसल गिरने की समस्या का सामना करना पड़ता है, क्योकि जब किसान भाई बहुत ज्यादा यूरिया (नाइट्रोजन )का इस्तेमाल करते हैं और बहुत पासपास में बोवाई कर देते हैं। जिसके कारण हवा चलने पर कहीं-कहीं गेंहूं फसल गिर जाती है। और कुछ ऐसे वैरायटी भी है जिसका हाइट बहुत ज्यादा होती है, तो फिर ऐसी स्थिति पर गिरने की समस्या आती है।
तो इसके लिए हम एक सजेशन आपको देना चाहते हैं जरूरी नहीं कि आप अप्लाई कर ही लें लेकिन यह एकदम रियलिटी है जो किसान भाई ज्यादा उत्पादन निकालना चाहते है और यदि गेहूं गिरने की समस्या आती है तो आपको पता है कि गेहूं के दाने का कलर डिस्टर्ब होने वाला है |
तो इसलिए गेहूं फसल गिरने की समस्या न आये और दाना भी अच्छे से भरे , तो इसके लिए प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर चमत्कार या फिर lihocin का 15 एमएल 15 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करना चाहिए पहला स्प्रे 55 दिन में और दूसरा स्प्रे 85 दिन करना चाहिए।
कीट -व्याधि प्रबंधन –
गेहूं की फसल पर स्प्रे शेड्यूल की हम बात करें तो गेहूं की खेती पर वैसे ज्यादा स्प्रे ज्यादा होते नहीं है , लेकिन अब कहीं ना कहीं रोग बीमारियों का इतना ज्यादा प्रकोप बढ़ गया है, की अब दवाई का स्प्रे शेड्यूल चालाना जरुरी है। क्योकि गेंहूँ फसल पर अब रस्ट , भूरा रतुआ , पीला रतुआ और बहुत सारे रसचूसक कीट या सुंडी का प्रकोप हो ही जाता है.
यदि आपकी गेहूं की फसल पर 40 दिन से लेकर के 65 दिन के बीच में आपको लग रहा है कि गेहूं की फसल पर सुंडी का प्रकोप , रसूस कीटों का प्रकोप या फिर किसी भी प्रकार के फंगस का प्रकोप है। तभी आपको स्प्रे शेड्यूल चलाना जरुरी है। टेबूकोनाज़ोल 25% फंगीसाइड 20 एमएल + NPK -19 :19 :19 एक किलोग्राम + कीटनाशक Beta-Cyfluthrin + Imidacloprid 300 OD (8.49 + 19.81 % w/w)
(बायर की solomon इंसेक्टिसाइड ) 100 एमएल इन तीनो को 150 लीटर पानी घोल बनाये और एक एकड़ में स्प्रे करें।
तो किसान भाइयों, यदि आप इस प्रकार गेहूं की खेती करते हैं, सही समय, उर्वरक की सही आधार मात्रा, उपयुक्त उन्नत किस्मों का चयन, सही बीज दर, बीज उपचार, बुवाई का समय, सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण, कीट रोग प्रबंधन सही समय पर और सही तकनीक से करते हैं, तो निश्चित रूप से आपको गेहूं की खेती में अच्छा उत्पादन और अच्छा मुनाफा मिलने वाला है।