Gilki ki Kheti Kaise Karen.

पोषक तत्वों से भरपूर सब्जी की फसल के रूप में Gilki ki Kheti महत्वपूर्ण महत्व स्थान रखती है। इसमें विटामिन सी, जिंक, आयरन, राइबोफ्लेविन, थायमिन, फॉस्फोरस और फाइबर सहित विभिन्न प्रकार के आवश्यक पोषण गुण होते हैं। इसके अतिरिक्त, इसमें वसा, कोलेस्ट्रॉल अपेक्षाकृत कम होता है।

कैलोरी, जो इसे वजन प्रबंधन के लिए अनुकूल बनाती है। अपने पोषण मूल्य के अलावा, गिलकी विभिन्न बीमारियों से राहत देने के लिए जानी जाती है। चिकनी तुरई की खेती देश के लगभग हर राज्य में की जाती है, इसके कोमल फल सबसे प्रमुख हैं। विशेष रूप से, सब्जी की तासीर ठंडी होती है, और इसके सूखे बीजों का उपयोग तेल निकालने के लिए किया जा सकता है।

Gilki ki Kheti :-

गिलकी की खेती हमारे किसान भाई कब और कैसे करना चाहिए। कई प्रकार की समस्याएं आती हैं इस पर शैड्यूल, खाद का शैड्यूल और साथ ही बात करेंगे कब कौन से न्यूट्रिएंट की पूर्ति करना है और साथ ही इस आर्टिकल के माध्यम से सरल और आसान शब्दों में समझेंगे कि कौन सी बीमारियां आती हैं।

उनका प्रबंधन हम सस्ती कीटनाशक दवाइयों के रूप में कौन सी दवाइयों का प्रयोग करना है और साथ ही बात करें कितनी लागत लगती है लाभ मुनाफा, नेट प्रॉफिट, लाइफ साइकल। क्योंकि कम जगह पर, कम लागत पर ज्यादा ज्यादा मुनाफा आप गिलकी की खेती से कैसे निकाल सकते हैं?

Gilki ki Kheti के लिए अनुकूल समय :-

सबसे पहले बात करते हैं Gilki ki Kheti के लिए अनुकूल समय की,तो इसके लिए गर्मियों में आप जनवरी से लेकर फरवरी के माह पर जो अनुकूल समय माना जाता काफी बढ़िया माना जाता है। इसके अलावा बरसात के लिए आप जुलाई से अगस्त अंत तक में आप गिलकी की खेती कर सकते हैं।

बरसात के लिए जो अगस्त का महीना है एक काफी उपयुक्त और काफी अनुकूल माना जाता है। इन महीने पर यदि आप गिलकी की खेती करते हैं तो यकीनन बाजार भाव सबसे ज्यादा आपको प्राप्त होने वाला है।

जलवायु :-

Gilki ki Kheti के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता है। इसकी खेती ख़रीफ़ और जायद दोनों मौसमों में आसान होती है। गिलकी की खेती के लिए 35-38 डिग्री तापमान सबसे अच्छा माना जाता है। यह उचित जल निकासी वाली विभिन्न जैविक मिट्टी के लिए अच्छी तरह से अनुकूल हो जाती है, और इष्टतम उपज के लिए, 6-7 पीएच मान वाली बलुई दोमट या दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है।

खेत की तैयारी :-

Gilki ki Kheti के लिए सर्वप्रथम मीडियम गहराई में चलने वाले कल्टीवेटर के माध्यम से पहली और दूसरी जुताई कराना है और रोटावेटर या फिर हैरो से आपको ठीक तरीके से मिट्टी को भुरभुरी करा लेना है। जब खेत की तैयारी करा लेते हैं तो अंतिम जुताई के बाद पाटा लगाकर खेत को समतल करा लीजिए।

Gilki ki Kheti
Gilki ki Kheti

फिर खेत के चारों तरफ साफ सफाई होना बहुत ही जरूरी है। तो इस प्रकार किसान भाई अपने खेत की तयारी करा लें । यदि बरसात के दिनों पर यदि आप गिलकी की खेती कर रहे हैं तो मंडप विधि से करना है।

उन्नतशील वैरायटी :-

सबसे पहले बात करते हैं कि कौन कौन सी वैरायटी सर्वाधिक उत्पादन देती हैं तो वीएनआर की आलोक संकर किस्म ज्यादा उत्पादन देती आती है। इसके गिलकी की नूतन और एनएस 441 किस्म के नाम से आती है। इसके साथ ही आप गिलकी की हरिता और वाणी संकर किस्में को आप लगा सकते है।

Gilki Ki Kheti
Gilki Ki Kheti

इसके अलावा जो वेस्ट वैरायटी आपके एरिया के क्लाइमेट कंडीशन के हिसाब से वेस्ट वैरायटी है,उन वैरायटी का आप सलेक्शन कर सकते हैं। यदि आपके एरिया में लीफ कर्ल वायरस आता है, तो जो वायरस के खिलाफ रजिस्टेंस वैरायटी है आपको सलेक्शन और चुनाव करना चाहिए।

बीज उपचार :-

बीज उपचार करना बहुत ही जरूरी है। यदि हाइब्रिड वैरायटी है तो उतना आवश्यकता नहीं रहती बीज उपचार करने की। लेकिन यदि जैसे देसी वैरायटी या घर का सीड्स है तो एक किलोग्राम बीजों को कार्बेंडाजिम 12 % + मैंकोजेब 63 % डब्ल्यूपी वेजटेबल पाउडर फॉर्म में जो फफूंदनाशक आती है, आपको पाँच ग्राम फफूंदनाशक से बीजों को उपचार करके 40 मिनट तक छांव में सुखाना है और आपको बुवाई कर देना है।

तो इस प्रकार यदि आप बीजों को उपचारित करते हैं तो अंकुरण काफी अच्छा होता है।

Gilki ki Kheti के लिए उर्वरक :-

Gilki ki Kheti के लिए खेत की तैयारी करते समय बेसल डोज के रूप में कौन कौन से न्यूट्रिएंट खादों की पूर्ति करना है। आइए समझते हैं। तो 2 से 3 ट्रॉली एकदम पकी हुई गोबर की खाद लेना है। इसके अलावा सिंगल सुपर फास्फेट उर्वरक खाद हमको लेना है।

तकरीबन तकरीबन 100 किलोग्राम और डीएपी खाद को हमको 50 किलोग्राम लेना है । इसके अलावा म्यूरेट ऑफ पोटाश 20 किलोग्राम इन तीन चारों को मिक्स करना है। यदि दीमक भी लग रही है तो रीजेंट या फिर क्लोरोपायरीफॉस को भी आप मिक्स कर सकते हैं। इनको सभी को मिक्स करके बेड के ऊपर देकर के आपको बेड तैयार करना है।

मंडप कैसे तैयार करें ?

अब चलिए दोस्तों गिलकी की शाखाएं को ऊपर चढाने के लिए मंडप तैयार के बारे में जानकारी देते हैं। यदि आप सर्दियों पर या गर्मियों पर गिलकी की खेती कर रहे है, तो बिना मंडप के नॉर्मल तरीके से खेती करते है। इसमें मिट्टी पर जो शाखाएं रहती हैं, बेल नीचे ही पड़ी रहती। कोई समस्या नहीं आती है। लेकिन खासकर यदि हम बरसात के दिनों पर गिलकी की खेती करते हैं ,तो फिर शाखाओं को ऊपर ले जाना बहुत ज्यादा जरूरी है।

gilki ki kheti
gilki ki kheti

Gilki ki Kheti के लिए मंडप तैयार करना बहुत ज्यादा जरूरी है। तो मंडप तैयार करने के लिए आपको कौन कौन सी चीजें सामग्री की आवश्यकता पड़ेगी।प्रमुख रूप से जो आवश्यक सामग्री है,उसमें 800 से 2000 मजबूत बांस के टुकड़े आठ फीट ऊंचाई वाले होना चाहिए। प्लास्टिक की रस्सी 25 किलोग्राम की आवश्यकता होगी ।

बुनाई के लिए धागा की आवश्यकत होगी ,लेकिन अब कुछ किसान भाई जाल का इस्तेमाल करते हैं, कुछ किसान शाखाओं को ऊपर चढ़ाने के लिए अलग अलग चीजों का इस्तेमाल करते हैं। कुछ किसान भाई झाड़ीनुमा डालियों का भी इस्तेमाल करते हैं। लेकिन धागा सस्ते पर बहुत ही बेहतरीन हो सकता है शाखाओं को ऊपर चढ़ाने के लिए। धागा टूटता नहीं है ,बिल्कुल नहीं। इसका काम केवल शाखा को ऊपर चढ़ाना रहता है।

वैसे आपको स्ट्रक्चर तैयार करने के लिए लगभग रोपण से 15 दिन पहले ही आपको पूरा जो बांस है, बंबू की मैनेजमेंट कर लेना चाहिए। जैसे आपने पौध रोपण कर दिया और 15 दिन के आसपास की फसल हो गई तो आपको बांस सब्बल की मदद से 15-15 फिट की दूरी पर आपको बांस गड़ाने चाहिए।

छत बनाने के लिए एक बांस को आड़े में बांधें। मंडप की ऊंचाई सात फिट रखें और मंडप के दोनों साइड चार रस्सी खींचनी है जो कि प्लास्टिक की आती मजबूत रहती है। धागे से आपको ठीक तरीके से बुनाई करनी है। धागा का प्रयोग केवल शाखाओं को ऊपर चढ़ाने के लिए किया जाता है। ज्यादा उसमें वजन नहीं आता, टूटता बिल्कुल भी नहीं है।

छत में जो मंडप है, उसमें चार रस्सी और कम से कम तीन बार खींचना बहुत ज्यादा जरूरी है। क्योकि मंडप के ऊपर वजन होता है। कंट्रोल करने के लिए बांस को मजबूती से गड़ाए , जो कि हवा चलने पर, तूफान आने पर मंडप जमीन पर ना गिरे । इस प्रकार आप स्ट्रक्चर तैयार कर सकते हैं।

कीट प्रबंधन:-

गिलकी खाद्य फलों के लिए उगाई जाने वाली एक लोकप्रिय सब्जी फसल है। हालाँकि, गिलकी के पौधे विभिन्न कीटों के हमलों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जो पत्तियों, फलों और इसके उपज को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। यहां हम गिलकी के कुछ सामान्य कीट और उनके नियंत्रण के बारे में जानते हैं:

  1. फल मक्खियाँ :- गिलकी की खेती पर फल मक्खियाँ का प्रकोप आपको काफी नुकसान पहुँचा सकते है। क्योकि ये विकसित हो रहे फलों के अंदर अंडे देती हैं, जिससे वे सड़ जाते हैं और समय से पहले गिर जाते हैं।

नियंत्रण के उपाय:-

  1. गिलकी के प्रभावित फलों को तोड़ कर नष्ट कर दें।
  2. रासायनिक नियंत्रण के लिए डेल्टामैथ्रिन 1 मिली दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करे। क्विनोलफोस 2 मिली दवा प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करे। प्रोफेनोफोस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% ईसी 2 मिली दवा प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव कर सकते है।
  3. विकासशील फलों को जाली या कागज़ की थैलियों में रखें।
  4. नीम का तेल या पाइरेथ्रम साबुन जैसे जैविक कीटनाशकों का छिड़काव करें।

2. पत्ती खाने वाली इल्लियाँ:- गिलकी की फसल में कैटरपिलर पत्तियों को खाते हैं, जिससे पौधे की प्रकाश संश्लेषण क्षमता कम हो जाती है और फल उत्पादन प्रभावित होता है।

नियंत्रण के उपाय:-

  1. कैटरपिलर को हाथ से चुनें और नष्ट करें।
  2. लेडीबग, लेसविंग और परजीवी ततैया जैसे प्राकृतिक कीटों को प्रोत्साहित करें।
  3. नीम का तेल या बैसिलस थुरिंजिएन्सिस (बीटी) कीटनाशक का छिड़काव करें।
  4. पत्ती खाने वाले इल्लियों के नियंत्रण के लिए एनपीवी 250 एलई का 1% गुड़ के साथ 28, 35 और 42 दिनों में रोपाई के बाद शाम के समय में छिड़काव करें ।

3. थ्रिप्स:- थ्रिप्स गिलकी के पत्तियों और फूलों से रस चूसते हैं, जिससे वे मुड़ जाते हैं, उनका रंग उड़ जाता है और गिर जाते हैं।

4. एफिड्स:- एफिड्स पत्तियों और तनों पर जमा हो जाते हैं, रस चूसते हैं और वायरस फैलाते हैं।जिससे गिलकी उत्पादन प्रभावित होती है।

नियंत्रण के उपाय:

  1. पानी की तेज धार से एफिड्स को नष्ट करें।
  2. कीटनाशक साबुन या नीम के तेल के घोल का छिड़काव करें।
  3. लेडीबग्स और लेसविंग्स जैसे प्राकृतिक शिकारियों को प्रोत्साहित करें।

5. लाल कद्दू भृंग:- इसके वयस्क और लार्वा पत्तियों, फूलों और फलों को खाते हैं, जिससे पौधें मुरझा जाते हैं और विकृत हो जाते हैं। जिसके कारण उत्पादन प्रभावित होते है।

नियंत्रण के उपाय:-

  1. भृंगों को हाथ से चुनें और नष्ट करें।
  2. युवा पौधों को पंक्ति कवर से ढकें।
  3. नीम के तेल या पाइरेथ्रम साबुन के घोल का छिड़काव करें।

इस प्रकार से यदि दोस्तों आप Gilki ki Kheti करते हैं तो बहुत अच्छा लाभ मिलेगा। गिल्की की खेती किसानों को रिटर्न का वादा करती है। इसकी उच्च लाभ क्षमता के साथ, गिल्की की खेती में समय और संसाधनों का निवेश करना एक बुद्धिमान निर्णय साबित होता है।

इस पोषण मूल्य फसल की मांग एक स्थिर बाजार और पर्याप्त वित्तीय लाभ सुनिश्चित करती है। अनुकूल बाज़ार स्थितियों और अपेक्षाकृत सरल खेती प्रक्रिया का संयोजन गिल्की को लाभदायक उद्यम चाहने वालों के लिए एक विकल्प बनाता है।

इसलिए, भरपूर लाभ पाने की चाहत रखने वाले किसान के लिए, Gilki ki Kheti करना केवल एक खेती का प्रयास नहीं है, बल्कि यह एक वित्तीय समृद्धि और सफलता का मार्ग भी है।
तो दोस्तों “Giki ki Kheti” ब्लॉग पोस्ट आपको कैसे लगा कमेंट करके जरूर बताईयेगा और इस पोस्ट को पूरा पढ़ने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद् दोस्तों !

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