हरेली त्योहार भारतीय संस्कृति (Indian culture)का महत्वपूर्ण त्योहार है, जो हरियाली और प्रकृति की प्रशंसा करता है। इसे प्रायः ग्रामीण क्षेत्रों में मनाया जाता है और यह सावन मास के आमावस्या को आयोजित किया जाता है। भारत में इसे “Hareli Tihar” या “हरियाली आमावश्या” के रूप में मनाया जाता है। वैसे यह त्योहार सावन मास के आमावस्या को मनाया जाता है, जो अक्सर जुलाई या अगस्त में आती है। छत्तीसगढ़ में इसे पहला festival के रूप में मनाया जाता है। अब छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा विशेष त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ के सभी गौठानों में हरेली त्यौहार की विशेष पूजा अर्चना साथ “रोका छेका” कार्यक्रम की शुरुआत किया गया है।
Hareli Tiha का महत्व:-
Hareli Tihar पेड़-पौधों के महत्व को प्रोत्साहित करता है और लोगों को प्रकृति की रक्षा करने के लिए प्रेरित करता है। हरियाली के दिनों में, लोग पेड़-पौधों की पूजा करते हैं, वन बागीचों का अवलोकन करते हैं और पेड़-पौधों की बचत के लिए संकल्प लेते हैं। इसके द्वारा, हम पेड़-पौधों के महत्व को समझते हैं और अपने पर्यावरण की देखभाल करने के लिए सक्रिय योगदान देते हैं।
प्रथाएं:
भारत के विभिन्न भागों में हरेली त्योहार (Hareli Tihar) की अलग-अलग प्रथाएं होतीहैं। यह भारतीय संस्कृति (Indian culture) की अनेकता में एकता है।आमतौर पर, लोग गांव में एकत्रित होते हैं और एक साथ पेड़ लगाते हैं। वन्य जीवों की संरक्षण के लिए जंगलों में नहीं छोड़ने की एक परंपरा की शुरुआत किया जाता है। छत्तीसगढ़ में इसी प्रथा को आगे बढ़ाते हुए 10 जुलाई 2022 को खरीफ फसल की सुरक्षा के लिए प्रदेशव्यापी “रोका छेका अभियान ” चलाया गया,जो 20 जुलाई तक चलता है। इसके अलावा, शिक्षा संस्थानों में भी पेड़-पौधों के बारे में जागरूकता प्रोत्साहित की जाती है, और पौधरोपण आयोजन और संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
हरेली त्योहार (Hareli Tiha) का महत्व भारतीय कृषि समृद्धि और हरियाली के लिए प्रशंसा करना है। इस festival के दौरान, लोग पेड़-पौधों की पूजा करते हैं, गांव के चारों ओर हरियाली का आनंद लेते हैं और उनकी रक्षा करते हैं। यह त्योहार प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता और उपयोगी वनस्पतियों के संरक्षण को प्रोत्साहित करता है।
हरेली त्योहार को मनाने की धारणा है कि पेड़-पौधों का मानव जीवन में महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह धारणा व्यक्ति को प्रेरित करती है कि उसे पेड़-पौधों की रक्षा करनी चाहिए और उनके प्रदूषण को कम करने के लिए संकल्प लेना चाहिए।
आधुनिकता में हरेली त्योहार:-
वर्तमान में, Hareli Tihar एक पर्यावरण संरक्षण अभियान के रूप में बदल चुका है। इसे लोग अपने शहरों और गांवों में पेड़-पौधों की बचत, पेड़ लगाने, और पौधरोपण आयोजनों के माध्यम से मनाते हैं। यह सामाजिक संगठनों, वातावरणिक संगठनों, और स्कूलों के सहयोग से संभव होता है। इससे पेड़-पौधों के संरक्षण, प्रकृति की देखभाल और पर्यावरणीय जागरूकता को बढ़ावा मिलता है।
पर्यावरणीय प्रभाव:-
Hareli Tihar को वर्तमान में पर्यावरणीय प्रभाव के रूप में देखा जाता है। इस त्योहार के दौरान पेड़-पौधों के विकास और संरक्षण को बढ़ावा मिलता है। यह लोगों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझने के लिए प्रेरित करता है और उन्हें इसमें सक्रिय योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करता है। वनस्पति के संरक्षण से अच्छी हवा और जल संसाधन की सुरक्षा होती है, जो अविश्वसनीय प्रभाव प्रदान करता है।
सामाजिक महत्व:-
Hareli Tihar एक सामाजिक महत्वपूर्ण अवसर भी है, जहां लोग सामूहिक रूप से एकत्रित होते हैं और पर्यावरण संरक्षण के लिए संगठित होते हैं। इसके माध्यम से, सामाजिक संबंधों का मजबूत होने के साथ-साथ लोगों को पर्यावरण से संबंधित मुद्दों के प्रति जागरूक किया जाता है। इससे सामुदायिक सहयोग बढ़ता है और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का भाव विकसित होता है।
अभिनव आयाम:-
हरेली त्योहार(hareli tihar) को वर्तमान में नई आयाम दिए गए हैं। विभिन्न प्लेटफॉर्मों और सोशल मीडिया के माध्यम से, लोग इसे और व्यापक रूप से प्रमोट कर रहे हैं। वन्य जीवों की संरक्षा, पेड़ लगाने की अभियान, पौधरोपण संघ आयोजन, और भी बहुत कुछ हरेली त्योहार के दौरान संचालित हो रहा है। इससे युवा पीढ़ी को पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति जागरूक किया जा रहा है और उन्हें सक्रिय योगदान करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
यहां पर्यावरण के महत्व को ध्यान में रखते हुए हरेली त्योहार के महत्व, प्रथाएं, और आधुनिकता में इसका स्थान दिया गया है। इस त्योहार को मनाने से हम पेड़-पौधों के संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं और एक पर्यावरण संरक्षण की जागरूकता का संदेश प्रसारित कर सकते हैं।
तो आईये हम सब मिलकर पेड़ लगाए और पर्यावरण को सुरक्षित रखें !