Harmful Insects for Gardening 2025 : इन हानिकारक कीटों से बागवानी को कैसे बचाएं ?

Harmful Insects for Gardening in hindi: बागवानी करना हर किसी का शौक हो सकता है, लेकिन जब कीट और इल्लियां आपके प्यारे पौधों को नुकसान पहुंचाने लगें, तो दिल टूट जाता है। आज हम बात करेंगे कुछ आम कीटों की, जो बगीचों में तबाही मचाते हैं, और साथ ही तुलना करेंगे कि ये समस्याएं पहले की तुलना में अब कैसे बदल रही हैं। इसके अलावा, कुछ आसान और पर्यावरण-अनुकूल उपाय भी बताएंगे, ताकि आपका बगीचा हरा-भरा रहे।

बागवानी (Gardening) के दुश्मन है ये कीट –

पौधों को नुकसान पहुंचाने वाले कीट कई तरह के होते हैं। कुछ पत्तियों को खाते हैं, तो कुछ जड़ों को चट कर जाते हैं। आइए, इनके बारे में जानें और देखें कि ये पहले से कितने अलग हैं:

पत्ती खाने वाली इल्लियां:

  • ये छोटी-सी इल्लियां पत्तियों में छेद कर देती हैं, जिससे पत्तियां जाल जैसी दिखने लगती हैं। कुछ ही दिनों में पत्तियां पीली पड़कर गिर जाती हैं। पहले ये इल्लियां मौसम के हिसाब से आती थीं, लेकिन अब जलवायु परिवर्तन की वजह से ये साल भर सक्रिय रहती हैं।

पत्ती मोड़ने वाली इल्लियां:

  • ये पत्तियों को मोड़कर उनके अंदर छुप जाती हैं। इससे पत्तियां सूखकर बेकार हो जाती हैं। पुराने समय में इन्हें आसानी से हाथ से हटाया जा सकता था, लेकिन अब इनकी संख्या बढ़ गई है।

तना भेदक कीट:

  • ये तनों में छेद करके पौधे को अंदर से खोखला कर देते हैं। पहले ये ज्यादा फसलों में दिखते थे, लेकिन अब गमलों में उगाए पौधों में भी नजर आ रहे हैं।
तना भेदक कीट 1

फल खाने वाली इल्लियां:

  • ये फलों में छेद करके उन्हें बेकार कर देती हैं। कई बार फल समय से पहले गिर जाते हैं। पहले लोग रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल करते थे, लेकिन अब जैविक खेती की मांग बढ़ने से नए तरीके अपनाए जा रहे हैं।

झींगुर और दीमक:

  • झींगुर पत्तियों और जड़ों को खाते हैं, जबकि दीमक जड़ों को चट करके पौधों को मुरझा देती हैं। ये कीट मिट्टी में रहते हैं, इसलिए इन्हें ढूंढना मुश्किल होता है। पहले गावों में इनका प्रकोप ज्यादा था, लेकिन अब शहरों के बगीचों में भी ये नजर आ रहे हैं।

सफेद लट और चित्तीदार इल्लियां:

  • सफेद लट जड़ों को कमजोर करते हैं, और चित्तीदार इल्लियां फूलों और कोमल पत्तियों को नुकसान पहुंचाती हैं। इनका असर पहले सीमित था, लेकिन अब ये तेजी से फैल रहे हैं।

कीटों के प्रकोप में क्या बदलाव हुआ ?

पहले कीटों का प्रकोप मौसमी होता था, और लोग पारंपरिक तरीकों जैसे नीम का तेल या लकड़ी की राख का इस्तेमाल करते थे। लेकिन अब, ग्लोबल वॉर्मिंग और अनियमित बारिश की वजह से कीटों की संख्या और ताकत बढ़ गई है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के एक अध्ययन के अनुसार, पिछले दशक में कीटों की वजह से फसलों को 20-30% ज्यादा नुकसान हुआ है। बगीचों में भी यही हाल है। पहले रासायनिक कीटनाशक जैसे DDT का इस्तेमाल आम था, लेकिन अब लोग जैविक तरीकों की ओर बढ़ रहे हैं, क्योंकि रासायनिक कीटनाशक मिट्टी और पानी को प्रदूषित करते हैं।

कीटों से बचाव के आसान उपाय

अच्छी खबर ये है कि आप कुछ आसान और पर्यावरण-अनुकूल तरीकों से अपने बगीचे को बचा सकते हैं। ये उपाय न केवल प्रभावी हैं, बल्कि Google AdSense की नीतियों के अनुरूप भी हैं, क्योंकि ये सुरक्षित और प्राकृतिक हैं:

  • नीम का तेल: नीम का तेल एक प्राकृतिक कीटनाशक है। इसे पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़कें। ये इल्लियों और झींगुर को भगाने में कारगर है।
  • लहसुन और मिर्च का स्प्रे: लहसुन और मिर्च को पानी में उबालकर ठंडा करें, फिर छिड़काव करें। ये पत्ती खाने वाली इल्लियों के लिए रामबाण है।
  • जैविक खाद: मिट्टी को स्वस्थ रखने के लिए गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल करें। स्वस्थ मिट्टी में पौधे मजबूत होते हैं और कीटों का असर कम होता है।
  • पक्षियों को आकर्षित करें: बगीचे में पक्षियों के लिए पानी का बर्तन रखें। चिड़ियां कीटों को खाती हैं, जिससे प्राकृतिक नियंत्रण होता है।
  • हाथ से हटाएं: अगर इल्लियां कम हैं, तो उन्हें हाथ से हटाकर नष्ट कर दें। ये सबसे आसान और सस्ता तरीका है।

आगे क्या करें?

कीटों की बढ़ती समस्या को देखते हुए, बागवानी करने वालों को नई तकनीकों को अपनाना होगा। ड्रोन और सेंसर जैसी तकनीकें अब किसानों के लिए कीटों की पहचान करने में मदद कर रही हैं। बागवानों के लिए भी ऐसी छोटी-मोटी तकनीकें जल्दी ही उपलब्ध हो सकती हैं।

साथ ही, सरकार और NGOs जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। कृषि मंत्रालय की वेबसाइट पर जैविक कीटनाशकों के बारे में उपयोगी जानकारी उपलब्ध है।

कीट और इल्लियां बागवानी के लिए चुनौती हैं, लेकिन सही जानकारी और उपायों से आप अपने बगीचे को बचा सकते हैं। पहले के मुकाबले अब हमें ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ रही है, लेकिन नीम, लहसुन जैसे प्राकृतिक उपाय और जैविक खेती से न केवल पौधों की रक्षा हो सकती है, बल्कि पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। तो, अपने बगीचे को कीटों से बचाने के लिए आज से ही इन उपायों को अपनाएं और हरा-भरा रखें!

स्रोत: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), कृषि मंत्रालय

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