identify poisonous mushrooms in hindi : छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड के जंगलों में मशरूम (mushrooms) की कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं, लेकिन इनमें से कुछ इतने जहरीले होते हैं कि जानलेवा हो सकते हैं। चटक लाल, सफेद, या पीले रंग के मशरूम खासतौर पर खतरनाक हो सकते हैं। हर साल बागेश्वर और बस्तर जैसे इलाकों में गलत मशरूम खाने से लोग बीमार पड़ते हैं या उनकी जान भी चली जाती है।

लेकिन कुछ आसान और वैज्ञानिक तरीकों से आप जहरीले और खाने योग्य मशरूम में फर्क कर सकते हैं। इस लेख में हम मशरूम की पहचान के तरीके, खासकर स्पोर प्रिंट टेस्ट, और इनकी तुलना अन्य प्राकृतिक खाद्य पदार्थों की पहचान से करेंगे।
मशरूम का खतरा: जहरीले बनाम खाने योग्य
छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड के जंगलों में मशरूम प्राकृतिक खजाना हैं, लेकिन इनमें से कुछ में अमैटॉक्सिन या मस्करिन जैसे जहर होते हैं, जो लीवर और किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। उदाहरण के लिए, डेथ कैप मशरूम (Amanita phalloides) बेहद जहरीला है और इसका सेवन जानलेवा हो सकता है। भारतीय वन अनुसंधान संस्थान के अनुसार, भारत में हर साल मशरूम की गलत पहचान के कारण सैकड़ों लोग प्रभावित होते हैं।

Identifying poisonous mushrooms
कुछ खास लक्षणों से आप जहरीले मशरूम(poisonous mushrooms) को पहचान सकते हैं:
- रंग: चटक लाल, सफेद, या पीले रंग के मशरूम से सावधान रहें। खाने योग्य मशरूम आमतौर पर हल्के भूरे या क्रीम रंग के होते हैं।
- गलफड़े (Gills): मशरूम की टोपी के नीचे सफेद गलफड़े हों, तो यह अमानिता प्रजाति का हो सकता है, जो ज्यादातर जहरीला होता है।
- डंठल (Stem): मोटा और झुर्रीदार डंठल वाले मशरूम से बचें। खाने योग्य मशरूम का डंठल पतला और चिकना होता है।
- गंध: जहरीले मशरूम में अक्सर तेज या अजीब गंध होती है, जबकि खाने योग्य मशरूम की गंध मिट्टी जैसी होती है।
अन्य प्राकृतिक खाद्य पदार्थ की पहचान की तरीका
मशरूम की पहचान की चुनौती अन्य जंगली खाद्य पदार्थों, जैसे जंगली जामुन या जड़ी-बूटियों, से मिलती-जुलती है। उदाहरण के लिए, हिमाचल प्रदेश में जंगली बेरीज (जैसे काफल) की पहचान रंग और स्वाद से की जाती है। जहरीली बेरीज अक्सर कड़वी होती हैं, ठीक वैसे ही जैसे जहरीले मशरूम की गंध तेज होती है। जड़ी-बूटियों में नीम और धतूरा जैसी जहरीली प्रजातियों को उनकी पत्तियों की बनावट और गंध से पहचाना जाता है। मशरूम की तरह इनकी भी गलत पहचान जानलेवा हो सकती है, लेकिन मशरूम के लिए स्पोर प्रिंट टेस्ट एक वैज्ञानिक तरीका है, जो बेरीज या जड़ी-बूटियों में नहीं है।
स्पोर प्रिंट टेस्ट: आसान और वैज्ञानिक तरीका
स्पोर प्रिंट टेस्ट मशरूम की पहचान का सबसे भरोसेमंद तरीका है। यह ग्रामीण समुदायों में भी लोकप्रिय हो रहा है। इसे करने का तरीका:

कैसे करें:
- मशरूम की टोपी को सावधानी से काटें।
- टोपी को सफेद कागज या कांच पर उल्टा (गलफड़े नीचे) रखें।
- 4-6 घंटे तक ढककर छोड़ दें। मशरूम अपने स्पोर (बीज) छोड़ेगा।
- स्पोर का रंग देखें: सफेद स्पोर प्रिंट अमानिता प्रजाति का हो सकता है, जो ज्यादातर जहरीला होता है। भूरे, काले, या गुलाबी स्पोर वाले मशरूम आमतौर पर सुरक्षित होते हैं।
सावधानी:
- टेस्ट के बाद मशरूम को न खाएँ जब तक विशेषज्ञ इसकी पुष्टि न करें।
- लाभ: यह तरीका सस्ता, आसान, और वैज्ञानिक है। छत्तीसगढ़ के बस्तर में कई आदिवासी समुदाय अब इस टेस्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं।
Mushroom farming: एक विकल्प
जहरीले मशरूम के जोखिम से बचने के लिए छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड में मशरूम की खेती (Mushroom farming) को बढ़ावा दिया जा रहा है। ऑयस्टर और बटन मशरूम की खेती आसान है और यह सुरक्षित है। कृषि मंत्रालय की योजनाएँ, जैसे राष्ट्रीय बागवानी मिशन, मशरूम खेती के लिए प्रशिक्षण और सब्सिडी देती हैं। उदाहरण के लिए:
- ऑयस्टर मशरूम: कम जगह में उगाया जा सकता है। 5,000 रुपये की लागत से 20,000 रुपये तक की कमाई हो सकती है।
- बटन मशरूम: ठंडे मौसम में अच्छा बढ़ता है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में कई किसान इसे उगा रहे हैं।
- तुलना: जंगली मशरूम की तुलना में खेती वाले मशरूम सुरक्षित और ज्यादा लाभकारी हैं, जैसे जैविक सब्जियों की खेती पारंपरिक जंगली सब्जियों से ज्यादा भरोसेमंद है।
टिप्स
- विशेषज्ञ से सलाह: मशरूम खाने से पहले किसी माइकोलॉजिस्ट या स्थानीय कृषि केंद्र से पुष्टि करें।
- लक्षणों से सावधान: जहरीले मशरूम खाने से उल्टी, चक्कर, या पेट दर्द हो सकता है। तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- स्थानीय प्रशिक्षण: छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड के कृषि विज्ञान केंद्र मशरूम की पहचान और खेती पर मुफ्त कार्यशालाएँ आयोजित करते हैं।
- खेती शुरू करें: जंगली मशरूम के जोखिम से बचने के लिए ऑयस्टर या बटन मशरूम की खेती शुरू करें।
छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड के जंगलों में मशरूम की खोज रोमांचक हो सकती है, लेकिन जहरीले मशरूम से बचने के लिए सावधानी जरूरी है। चटक रंग, सफेद गलफड़े, और झुर्रीदार डंठल वाले मशरूम से दूर रहें। स्पोर प्रिंट टेस्ट जैसे वैज्ञानिक तरीके और Mushroom farming जैसे सुरक्षित विकल्प आपको जोखिम से बचा सकते हैं। यह जंगली बेरीज या जड़ी-बूटियों की तुलना में ज्यादा भरोसेमंद है। अधिक जानकारी के लिए भारतीय वन अनुसंधान संस्थान या कृषि मंत्रालय की वेबसाइट देखें।