क्या दोस्तों आप लोगों के मिर्च के फसल (chilli cultivation)में फल-फूल आने की समस्या देखने को मिलती है। जैसे कि फल-फूल का कम आना या फिर फल-फूल तो आता है फिर भी किसी कारण से गिर जाता है। तो दोस्तों, हम इस ब्लॉग पोस्ट में बात करेंगे कि मिर्च की खेती (Chilli Cultivation)में आप लोग ज्यादा फल-फूल कैसे ला सकते हैं और अगर फल-फूल आने के बाद किसी कारण से गिरता है तो उसका क्या कारण हो सकता है। तो दोस्तों, उसको हम लोग कैसे मैनेजमेंट करेंगे ? इस ब्लॉग पोस्ट में पूरे विस्तार में बात करेंगे।
सबसे पहले बात कर लेते हैं मिर्च की खेती (Chilli Cultivation)में कैसे आप लोग ज्यादा फल-फूल कैसे ला सकते हैं। तो मिर्च के खेती में अगर आप लोगों को फल-फूल ज्यादा पाना है, तो शुरू से आप लोगों को पौधे के ऊपर ध्यान रखना चाहिए जैसे कि जिस जगह पे अगर आप लोग नर्सरी डालते हैं, तो वहां पे आप लोगों को सही से देखना चाहिए कि मिट्टी में कोई रोग बीमारी का प्रकोप शुरू से है या नहीं है। अगर आप लोगों का मिट्टी साफ सुधरा है तो उसी जगह पर आप लोगों को नर्सरी को डालना है।
मिर्च की खेती में अधिक फल-फूल कैसे लाएं?
तो दोस्तों हमें मिर्च की खेती (Chilli Cultivation) में ज्यादा फल-फूल पाने के लिए कुछ मुख्य बातें ध्यान में रखनी चाहिए:-
(1) नर्सरी के लिए मिट्टी की तैयारी:-
मिर्च विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है, लेकिन बलुई -दोमट और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी उपयुक्त होती है। इसके लिए मिट्टी की pH मान की बात करें तो मिट्टी का pH 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
(2) नर्सरी तैयार करना:-
मिर्च की खेती के लिए नर्सरी ऐसी जगह पर तैयार करना चाहिए जहाँ अच्छी धूप, जल निकासी और हवा का प्रवाह अच्छा हो।नर्सरी में आद्रगलन बीमारी से बचाव हेतु नियमित निरीक्षण करें और समय पर उपयुक्त उपचार करें।
(3) बुवाई का समय:-
मिर्च की खेती के लिए नर्सरी के समय आपके क्षेत्र जलवायु पर निर्भर करता है।
यदि आप गर्मियों में मिर्च की खेती ले रहे है ,तो जनवरी-फरवरी में नर्सरी डालना उपयुक्त है।
यदि आप बरसात की फसल ले रहे है ,तो नर्सरी जून-जुलाई में डाल सकते है।और रबी फसल में मिर्च की खेती कर रहे है , तो सितंबर-अक्टूबर में मिर्च की नर्सरी डाल सकते है।
(4)बुवाई की विधि:-
मिर्च की खेती (Chilli Cultivation) के लिए नर्सरी तैयारकरते समय ही बीजों को 24 घंटे के लिए पानी में भिगो दें।इसके लिए नर्सरी में 10 सेमी x 10 सेमी के आकार में क्यारियां बनाकर उनमें बीज बोएं।
इस बात को ध्यान रखे कि मिर्च की बीजों (Cilli Seeds) को 1 सेमी की गहराई पर बोएं और 2-3 सेमी की दूरी पर रखें।बोवाई के बाद क्यारियों को पतले कपड़े या घास से ढक दें। नर्सरी को नियमित रूप से सिंचाई करें, ताकि मिट्टी में नमी बने रहे।
(5) पौधों की देखभाल:-
जब नर्सरी में पौधे 5-6 सेमी ऊंचे हो जाएं, तो घना जगह को पौध निकल कर उन्हें पतला कर दें, तथा खरपतवारों को नियमित रूप से निकालते रहें। पौधों को समय-समय पर संतुलित मात्रा में खाद और उर्वरक दें। नर्सरी में समय पर कीट-व्याधि का नियंत्रण करें।
(6)पौधों को खेत में स्थानांतरित करना:-
नर्सरी में जब पौधे 15 से 20 सेमी ऊंचाई और 4 से 5 पत्तियों वाले हो जाएं, तब उन्हें खेत में स्थानांतरित कर दे।
पौध रोपण के लिए खेत की तैयारी:-
मिर्च की खेती के लिए चयनित खेत की 3 से 4 गहरी जुताई कर लें। खेत की जुताई के बाद 10-15 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट डालें और जुताई कर पाटा चलाये। इसके साथ ही रासायनिक खादों का भी प्रयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर करें।
जल निकासी के लिए खेत में 1-2 फीट ऊँची और 2-3 फीट चौड़ी मेड़ बनाएं। मिर्च रोपाई से पहले खेत में हल्की सिंचाई करें।
रोपाई की विधि:-
मिर्च की खेती से अच्छी उत्पादन के लिए जब पौधे 15 से 20 सेमी ऊंचे हो जाए और पौधे 4 से 5 पत्तियों वाले हो जाएं, तब उसे खेत में रोपाई के लिए तैयार माना जाता है।खेत में रोपाई से पहले हल्की सिंचाई करें।
मिर्च पौधों की रोपाई के लिए पौधों को 60 सेमी x 45 सेमी की दूरी पर रोपाई करें ।और रोपाई करते समय इस बात ध्यान रखें कि पौधों की जड़ों को कोई नुक्सान न हों।रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करें।
खाद एवं उर्वरक उपयोग :-
सामान्य तौर पर, मिर्च की खेती के लिए प्रति एकड़ निम्नलिखित मात्रा में खाद और उर्वरक का प्रयोग किया जाता है:-
गोबर की खाद 40 से 50 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग कर सकते है। यदि आप वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग कर रहे है ,तो 8 -10 क्विंटल प्रति एकड़ उपयोग कर सकते है।
अपनी खेत की मिटटी परीक्षण के आधार पर अनुशंसित रासायनिक उर्वरक का उपयोग करें। लेकिन समान्य तौर पर ,आप नाइट्रोजन: 20-24 किलोग्राम,फॉस्फोरस: 16 -20 किलोग्राम और पोटाश: 12 -16 किलोग्राम प्रति एकड़ उपयोग कर सकते है।
खाद और उर्वरक को अच्छी तरह खेत में मिलाकर समान रूप से फैलाएं।खाद और उर्वरक को मिट्टी में अच्छी तरह मिलाने के लिए जुताई करें। लेकिन रोपाई से 15 से 20 दिन पहले ही खाद और उर्वरक डालें।
ध्यान देने योग्य बातें –
ध्यान रखे यदि आपकी मिट्टी रेतीली है, तो आपको थोड़ी अधिक मात्रा में खाद और उर्वरक उपयोग करें। इससे आपको अच्छी उत्पादन मिलेगी।
यदि आपकी खेत मिट्टी भारी है, तो थोड़ी कम मात्रा में उर्वरकका उपयोग करें।
इसके लिए आप अपनी खेत का मिट्टी परीक्षण जरूर करवाएं और अपनीखेत के मिट्टी की उर्वरता का पता लगा ले और मिट्टी परीक्षण के आधार पर अनुशंसित अनुसार खाद और उर्वरक की मात्रा का उपयोग कर सकते हैं।