How to Prepare Paddy Nursery in 20 Days? धान की नर्सरी कैसे तैयार करें?

धान की नर्सरी (Paddy Nursery)लगाते समय किसान के मन में कई सवाल आते हैं. जैसे How to prepare Paddy Nursery?, कितने किलो बीज कितने क्षेत्र में बोना चाहिए. एक एकड़ के लिए कितने किलो बीज की आवश्यकता होगी. खेत की तैयारी कैसे करनी चाहिए? कौन सी खाद का उपयोग करना चाहिए? खरपतवार को कैसे नियंत्रित करें? बीज उपचार का सबसे अच्छा तरीका क्या है? नर्सरी में कब और कितना पानी देना चाहिए?

How to prepare Paddy Nursery
How to prepare Paddy Nursery

और सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि नर्सरी में विभिन्न रोगों की रोकथाम कैसे करें? तो दोस्तों,ऐसे ही धान की नर्सरी(Paddy Nursery)से जुड़े कई सवालों के जवाब के साथ-साथ हम इस ब्लॉग पोस्ट में कई अन्य सावधानियां भी जानेंगे. क्योंकि बिना स्वस्थ नर्सरी के धान की अच्छी पैदावार प्राप्त करना असंभव है.

धान की नर्सरी कैसे तैयार करें? How to prepare Paddy Nursery?

धान की खेती से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए धान के लिए नर्सरी कैसे तैयार करें महत्वपूर्ण है और इसके साथ नर्सरी प्रबंधन भी महत्वपूर्ण है। क्योकि स्वस्थ और मजबूत पौधे तैयार करने के लिए उचित नर्सरी तकनीकों अपनाना आवश्यक है।

How to prepare Paddy Nursery
How to prepare Paddy Nursery

इसके लिए नर्सरी स्थल का उचित चयन, नर्सरी के लिए स्थल की तैयारी, बीज का उपचार, बुवाई तकनीक ,उचित समय में समुचित सिंचाई प्रबंधन ,खरपतवार नियंत्रण और रोग एवं कीट नियंत्रण महत्त्वपूर्ण कारक है। तो दोस्तों आईये इन सब कारक को समझते है।

धान नर्सरी स्थल का चयन कैसे करें –

तो दोस्तों सबसे पहला काम नर्सरी लगाने के लिए होता है कि जिस खेत में आपको नर्सरी लगानी हो, वह अच्छी जल निकासी वाली भूमि होनी चाहिए। जल-भराव वाली भूमि से बचें, क्योंकि इससे पौधे सड़ सकते हैं।मिट्टी की ढलान थोड़ी होनी चाहिए, ताकि पानी आसानी से निकल सके।

नर्सरी लगाने के 15 से 20 दिन पहले ही आपको खेत में जैविक खाद डालकर कल्टीवेटर से एक जुताई करा देनी चाहिए और फिर उसमें अच्छे से पानी भर देना चाहिए और ऐसा करने से मिट्टी और जैविक खाद में मौजूद खरपतवार के अधिकतर बीज जमाव ले लेंगे।

How to prepare Paddy Nursery
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क्योंकि खेत इस समय पूरी तरीके से खाली होता है इसलिए खरपतवार बिना रोक टोक के आराम से जमाव ले सकते हैं और इसके 15 से 20 दिन बाद जब भी हम नर्सरी लगाने के लिए दुबारा जुताई करेंगे तो ये सभी खरपतवार नष्ट हो जाएंगे और ऐसे में हमारी धान की नर्सरी खरपतवार मुक्त होगी।

इसके लिए उपजाऊ और भुरभुरी मिट्टी का चयन करें। मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा अच्छी होनी चाहिए। मिट्टी की pH 6.5 से 8.5 के बीच होनी चाहिए।

नर्सरी के लिए सही जगह –

अब चूंकि धान के एक पौधे को नर्सरी के दौरान 20 से 30 दिनों तक अच्छे से बढ़ने के लिए कम से कम एक वर्ग इंच जगह की जरूरत होती है, दोस्तों, यह समझने के लिए कि एक किलो धान के बीज के लिए कितनी जगह की आवश्यकता होगी,

आपको कुछ बातें जाननी होंगी जैसे हमारे देश में धान की विभिन्न किस्मों के अनुसार, धान के एक हजार दाने का वजन आमतौर पर 20 ग्राम से 28 ग्राम तक पाया जाता है। इस प्रकार यदि सभी बीजों का औसत निकाला जाए तो यह 24 ग्राम के आसपास आएगा। तो इस हिसाब से एक किलो वजन में करीब 41666 बीज होंगे।

अब इनमें से कम से कम 5 से 8% बीज हल्के होंगे. इसी तरह कम से कम 10% बीज अंकुरित नहीं होंगे और जो बीज अंकुरित हुए भी हैं, उनमें से कम से कम 5% बीज मिट्टी में डालने के बाद कड़ी धूप में सूख कर मर जाते हैं या पक्षियों द्वारा खा लिए जाते हैं.

यानी कि एक किलो बीज में करीब 20 से 22 प्रतिशत बीज में पौधे नहीं बन पाते. यानी हमें एक किलो में मौजूद कुल 41666 बीजों में से करीब 9166 बीज पौधे नहीं बन पाएंगे और इस हिसाब से एक किलो में करीब 32500 धान के पौधे तैयार होंगे।

इसका मतलब है कि 32500 पौधों के लिए 32500 वर्ग इंच जगह होनी चाहिए. दोस्तों अगर इसे वर्ग फीट में बदलें,तो यह 225 वर्ग फीट होगा यानी कि 15 फीट लंबाई और 15 फीट चौड़ाई का जगह एक किलो धान के बीज के लिए सबसे उपयुक्त क्षेत्र होगा।

तो इस प्रकार सामान्यतः श्री विधि से एक एकड़ खेत में धान पौध रोपण हेतु नर्सरी के लिए छः किलोग्राम धान बीज की आवश्यकता होती है और नर्सरी के लिए 90 x 90 फीट जगह की जरूरत होगी।

खेत की तैयारी :-

धान की नर्सरी (Paddy Nursery)लगाने के लिए खेत की तैयारी मुख्य रूप से दो तरीकों से की जाती है। पहला तरीका है कि सूखे खेत में दो बार रोटावेटर से जुताई की जाती है और मेड़ बंदी करके उसमें बाद में पानी भर दिया जाता है और उसके बाद उसमें बीज बो दिए जाते हैं। दूसरे विधि में एक बार सूखे खेत में जुताई की जाती है और फिर मेड़बंदी करके खेत में पानी भर दिया जाता है। इसके बाद दूसरी जुताई इस भरे पानी में की जाती है जिसको सामान्य भाषा में लेवा विधि भी कहते हैं।

How to prepare Paddy Nursery
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दोस्तों वैसे तो यह दोनों तरीके अलग-अलग प्रकार की मिट्टी के लिए होते हैं जैसे सूखे वाला तरीका भारी और चिकनी मिट्टी के लिए ज्यादा उचित होता है क्योंकि ऐसी मिट्टी में पानी लंबे समय तक भरा रहता है। लेकिन लेवा विधि हल्की और मध्यम बालू वाली मिट्टी के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिसमें पानी जल्दी रिसकर सूख जाता हो।

लेकिन कई बार नर्सरी डालते समय बारिश हो जाने के कारण हमें मजबूरी में भी लेवा विधि अपनानी पड़ती है। हालांकि इसका कोई घाटा नहीं है क्योंकि लेवा करने से मिट्टी की ऊपरी परत के नीचे मौजूद बारीक नालियां कीचड़ से बंद हो जाती हैं। जिसके कारण ऊपर से दिया हुआ पानी नीचे की तरफ जल्दी नहीं रिसता और खेत में लंबे समय तक नमी बनी रहती है।

यही कारण है कि पूरे विश्व में अधिकतर धान की खेती लेवा विधि से ही होती है। क्योंकि धान को अत्याधिक पानी की जरूरत होती है और ऐसे में अगर पानी वाष्पित होकर और रिसकर यानी दोनों तरफ से कम होगा तो इसकी पूर्ति करना मुश्किल हो जाता है।

धान की नर्सरी (Paddy Nursery)के लिए सावधानी:-

लेकिन लेवा विधि से धान की नर्सरी (Paddy Nursery) डालने में यह सावधानी जरूर रखनी चाहिए कि लेवा करने के 2 से 3 घंटे बाद ही बीजों को उसमें डालें। क्योकि 2 से 3 घंटे बाद ही पानी में घुली हुई मिट्टी नीचे बैठ गई होती है और पानी साफ हो गया होता है।जिससे बीज मिट्टी के ऊपर पड़ती है।

यदि अगर आपने लेवा करने के बाद तुरंत बीजों को खेत में डाल दिया तो बीज पहले ही नीचे चले जाएंगे और जब पानी में घुली हुई मिट्टी भी नीचे बैठेगी तो बीज काफी नीचे हो जाएगा जिससे जमाव में भी दिक्कत आ सकती है और जो पौधे ऊगा भी लेंगे,तो उनको भी नर्सरी से निकालते समय काफी दिक्कत आएगी और जबरदस्ती निकालने पर काफी मात्रा में इनकी जड़ें टूट जाएंगी।

इसी तरह एक और सावधानी रखनी चाहिए कि यदि भारी और चिकनी मिट्टी में लेवा विधि से नर्सरी डाल रहे है,तो नर्सरी के चारो तरफ दो मेड़ जरूर बनाये जिससे नर्सरी से पानी आसानी से निकाला जा सके। ऐसा करना रब और आवश्यक है जब आपके खेत के चारो तरफ की खेत खाली नहीं है। क्योकि ज्यादा समय तक नर्सरी पानी रुकने से नए अंकुरित बीज मर भी सकते है। इसलिए भारी मिट्टी में सावधानी रखना जरुरी है।

नर्सरी के लिए खाद उपयोग :-

धान की नर्सरी ((Paddy Nursery)के लिए खेत की दुबारा जुताई करने से पहले ही जैव नियंत्रकों का प्रयोग कर लेना चाहिए जैसे ट्राइकोडर्मा, पीएसबी, एनपीके कंसोर्टिया बायोफर्टिलाइज़र इत्यादि। ताकि ये सभी मिट्टी में अच्छे से मिल जाएं और रासायनिक खादों का प्रयोग हमेशा जुताई के बाद ही करेंताकि ये मिट्टी के बिल्कुल ऊपरी सतह में मौजूद रहें क्योंकि धान की नर्सरी लगाने के सभी तरीकों में पानी जरूर भरा जायेगा।

खेत में और साथ ही सभी धान के बीज (Paddy Seed) मिट्टी की बिल्कुल ऊपरी सतह पर डाले जाते हैं। इसलिए यदि आप रासायनिक खादों को मिट्टी में नीचे मिला देंगे तो बार बार पानी भरने के कारण ये रिसकर मिट्टी में और नीचे चले जाएंगे और पौधों को बिल्कुल भी उपलब्ध नहीं हो पाएंगे।

इसी तरह धान की नर्सरी (Paddy Nursery) के लिए सभी रासायनिक खादों में सबसे अच्छा होता है। एनपीके 12:32:16 और दानेदार सागारिका गोल्ड का मिश्रण धान की नर्सरी के लिए उपयोग करना चाहिए। इसलिए प्रति किलो धान के बीज के लिए मात्र 300 ग्राम एनपीके 12 :32:16 और 200 ग्राम दानेदार सागरिका गोल्ड पर्याप्त होती है।

दोस्तों एनपीके 12:32:16 और दानेदार सागारिका गोल्ड खादें पूरी तरीके से घुलनशील होने के कारण धीरे धीरे रिसकर पौधों को उपलब्ध होती रहेंगी।

नर्सरी के लिए बीज चयन –

धान नर्सरी (Paddy Seed) के लिए ऐसे धान के बीज लें जिनमें वे सभी गुण मौजूद हों जो एक अच्छे और उच्च गुणवत्ता वाले बीज में मौजूद होने चाहिए। ऐसे धान के बीज जो जीवाणु पत्ती झुलसा रोग के प्रति प्रतिरोधी हों तथा प्रत्येक पौधे से कम से कम 12 से 15 उच्च उत्पादकता वाले कल्ले प्राप्त हों, जिससे इसकी उपज प्रति एकड़ 30 से 36 क्विंटल तक हो सकती है। यानि इससे हमें बहुत अच्छी उपज मिल सकती है।

इसके अलावा, अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करने से दानों में अच्छी मात्रा में भराव होता है। जिसके कारण इसे पीसने पर 70% से अधिक चावल की मात्रा निकल जाती है। जिससे आप इसे बाजार में आसानी से अच्छे दामों पर बेच सकते हैं।

धान नर्सरी (Paddy Seed) के लिए बीज की सही मात्रा –

दोस्तों,धान की नर्सरी (Paddy Seed)के लिए प्रति एकड़ के लिए बीज की मात्रा प्रजातियों के हिसाब से अलग अलग होती है।इसलिए यह सभी कंपनियों और विभिन्न संस्थानों द्वारा बताया जाता है कि उनके बीज की प्रति एकड़ के लिए कितनी मात्रा लगेगी।

लेकिन यदि आप अपने घर का बीज लगा रहे हैं तो आपको बताई हुई मात्रा से 25% ज्यादा बीज लेना चाहिए क्योंकि घर के बीजों की ग्रेडिंग नहीं हुई होती है और इसलिए बाजार के बीज की अपेक्षा घर वाले बीज में खराब बीजों की संख्या ज्यादा होती है। हालांकि इनको आराम से अच्छे बीजों से अलग किया जा सकता है।

अब दोस्तों, जिस क्षेत्र में या जो कोई किसान धान की कोई भी संकर प्रजाति की श्री विधि से पौध रोपण लगाते है,तो प्रति एकड़ छः किलो बीज पर्याप्त होता है। लेकिन यदि आप प्रमाणित धान बीज को डीएसआर विधि यानी सीधी रोपाई करते है,तो आपको प्रति एकड़ 10 किलो बीज नर्सरी के लिए जरूरत पड़ेगी।

नर्सरी में पौधों का घनत्व सबसे अधिक क्यों मायने रखता है?

दोस्तों हमेशा ध्यान रखें कि सही घनत्व एक सफल धान की नर्सरी (Paddy Seed)की मूल मन्त्र है।जानते हैं कि नर्सरी में पौधे का घनत्व सबसे ज्यादा क्यों मायने रखता है। यदि धान के पौधों का घनत्व कम होगा तो खरपतवार लगातार उगते रहेंगे और नर्सरी निकालते समय खरपतवारों को अलग करना एक बहुत बड़ी समस्या हो जाती है। इसके अलावा खाली खेत होने की वजह से पानी भी जल्दी वाष्पित हो जाएगा और इसलिए आपको अधिक पानी की आवश्यकता होगी।

लेकिन साथ ही घनत्व बहुत अधिक नहीं होना चाहिए क्योंकि कम जगह होने की वजह से पौधे पतले और कुपोषित रह जाएंगे। इसके अलावा अधिक घनत्व होने की वजह से फफूंदी जनक रोगों और कीटों के लगने का खतरा भी ज्यादा होता है और अगर कोई रोग या कीट नर्सरी में प्रवेश करता है, तो वह पूरी नर्सरी में बहुत तेजी से फैलने लगता है। जिससे उसे नियंत्रित करने में काफी कठिनाई होती है।

इसके अलावा पौध पासपास होने से जड़े भी एक दूसरे में उलझ जाती हैं और उखाड़ने में ज्यादा मात्रा में टूटती हैं और ऐसे पौधों को रोपित करने पर मृत्युदर भी ज्यादा होती है। लेकिन ऐसे पौधे जो बच भी जाएंगे उनमें भी संभलने में ज्यादा समय लग जाता है और अंततः फसल पीछे हो जाती है जिसके कारण पैदावार में कमी आना स्वाभाविक है। इसलिए नर्सरी में उचित घनत्व का होना बेहद ही जरूरी है।

नर्सरी में खरपतवारनाशक का प्रयोग कब करें?

अगर आप अंकुरित धान के बीजों को खेत में बोने के तुरंत बाद किसी भी खरपतवारनाशक का प्रयोग करते हैं तो इससे धान के अंकुरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, चाहे वह कोई भी खरपतवारनाशक क्यों न हो? क्योंकि इस समय धान के बीज सबसे नाजुक अवस्था में होते हैं और इसलिए अगर खरपतवारनाशक उन्हें मार भी न पाए तो उनकी वृद्धि जरूर धीमी हो जाती है।

तो दोस्तों अगर आपको स्वस्थ नर्सरी चाहिए तो बीज बोते समय खरपतवारनाशक का प्रयोग बिल्कुल न करें बल्कि नर्सरी लगाने के बाद इसका प्रयोग करें। 10 से 15 दिन बाद जब खेत में अधिकांश खरपतवार 2 से 4 पत्तियों की अवस्था में पहुंच जाएं और उस समय यह सबसे अच्छा काम करता है, इसके लिए बिसपाइरीबैक सोडियम 10% एससी (नॉमिनी गोल्ड) जो एक सिस्टेमिक दवा है और खरपतवारों के एक बड़े वर्ग को खत्म करने में सक्षम है।

दोस्तों इसकी मात्रा एक मिली प्रति लीटर पानी के हिसाब से रखनी चाहिए और एक एकड़ क्षेत्र की नर्सरी के लिए दवा के पांच स्प्रेयर पर्याप्त होंगे और खरपतवारनाशक का प्रयोग करते समय सबसे महत्वपूर्ण सावधानी यह है कि खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए।

रोपण के लिए पौध संख्या –

खेत में धान लगाने के लिए पौधों की संख्या मिट्टी के प्रकार और रोपण की विधि पर निर्भर करती है। यदि मेडागास्कर श्री विधि से धान लगाया जा रहा है, तो श्री विधि से 25 x 25 सेमी की दूरी पर एक पौधा लगाने पर प्रति एकड़ 64000 पौधों की आवश्यकता होती है। जबकि, श्री विधि से 25 x 25 सेमी की दूरी पर दो पौधे लगाने पर प्रति एकड़ 128000 पौधों की आवश्यकता होती है। यदि सामान्य रोपण किया जाता है और 15 x 10 सेमी की दूरी पर 3 पौधे लगाए जाते हैं, तो प्रति एकड़ 792000 पौधों की आवश्यकता होगी।

इस प्रकार यदि हम नर्सरी लगाते समय मोटा-मोटी इन बातों के ध्यान रखे, तो हम बहुत बढ़िया तरीके से धान की नर्सरी समय पर तैयार कर सकते है।

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