ये विदेशी कीड़ा(Insects) मक्के की फसल को बर्बाद कर देगा ! समय पर नियंत्रण करें।

राज्य भर में मक्के की खेती लगभग तीनों मौसमों में की जाती है। फिलहाल हम बात कर रहे हैं जायद मक्का की फसल की. मक्का फसल पर प्रारंभिक अवस्था से ही कई प्रकार के कीटों (Insects) का आक्रमण होता है, जो फसल के उत्पादन को प्रभावित करते हैं। तो इन कीटों को कैसे रोकें? हमने इस ब्लॉग पोस्ट में इसके बारे में जानकारी देने का प्रयास किया है। तो इस आर्टिकल को एक बार जरूर पढ़ें. हो सकता है, जो जानकारी आप खोज रहे हैं वह इस ब्लॉग पोस्ट में मिल सकती है।

ये विदेशी कीड़ा(Insects) मक्के की फसल को बर्बाद कर देगा !

ग्रीष्मकालीन मक्के की फसलें (Maize Crops) विभिन्न प्रकार के कीटों ((Insects) के प्रति संवेदनशील होती हैं जो उपज और गुणवत्ता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती हैं। तो दोस्तों, इस लेख में हम कुछ सर्वाधिक संक्रमित करने वाले कीड़ों के साथ-साथ उनकी विशेषताओं और उनसे होने वाले नुकसान की पहचान करेंगे

Insects attack on maize crop
Insects attack on maize crop

हालाँकि ग्रीष्मकालीन मक्का फसलों में अधिकतर तीन कीड़ों का आक्रमण होता है। जिसमें फॉल आर्मी वर्म, स्पॉटेड स्टेम बोरर और पिंक स्टेम बोरर मक्के की फसल को अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं। हाल के दिनों में विदेशी कीड़ा(Insects) फॉल आर्मीवर्म का प्रकोप अधिक देखने को मिल रहा है।

फॉल आर्मी वर्म (fall armyworm) जो इस समय मक्के की फसल पर ज्यादा दिखाई देता है, पहले यह कीट हमारे देश भारत में नहीं था। इस कीट का आक्रमण भारत में पांच-छह वर्ष पूर्व हुआ और अब इस कीट का आक्रमण बहुत ज्यादा हो गया है । जिस खेत में फॉल आर्मी नामक कीट का हमला होता है, वह खेत की पूरी मक्के की फसल (Maize Crops)को 100% नुकसान पहुंचाता है।

तो हम फॉल आर्मी वर्म सहित अन्य कीटों (Other Insects) को कैसे पहचाने जिससे हम अपनी फसल को सुरक्षित रख सके और इन्हे पहचानना बहुत जरूरी है. तभी इस कीट पर उचित नियंत्रण संभव हो सकेगा।

मक्का फसल पर लगने वाले कीड़े (Insects) :-

तो दोस्तों अब आईये मक्का फसल पर लगने वाले कीटों के बारें में जानते है। मक्का फसल पर लगने कीटों पहचान का तरीका क्या है और उनको शुरुआती दौर पर कैसे करेंगे। इस सब बातों को इस ब्लॉग पोस्ट जानेंगे।

(1) फ़ॉल आर्मीवर्म (स्पोडोप्टेरा फ्रुगिपरडा) :-

यह अत्यधिक विनाशकारी कीट है। इसकी लार्वा पत्तियों, तनों और भुट्टों को खाता है, जिससे फटे हुए छेद हो जाते हैं और उपज कम हो जाती है। यह एक आक्रामक कीट है जो हाल के वर्षों में एक बड़ी समस्या बन गया है। इसलिए समय पर नियत्रण करने और क्षति को कम करने के लिए अपनी मक्के की फसल पर फॉल आर्मीवर्म (FAW) की पहचान करना महत्वपूर्ण है। तो आईये इसके बारे में जानते है :-

फ़ॉल आर्मीवर्म की पहचान –

फॉल आर्मीवर्म की अंडे:- फॉल आर्मीवर्म की मादाएं की अंडे मलाईदार सफेद से हल्के पीले रंग की होती हैं, जो पत्तियों के नीचे की तरफ, विशेषकर मध्य शिरा और व्होरल के पास 50-200 के समूह में स्थित होती हैं।बारीक, सफ़ेद शल्कों से ढका हुआ होता है।अंडे 2-3 दिनों के भीतर फूट जाते हैं।

Insect attack on maize crop
Insect attack on maize crop

फ़ॉल आर्मीवर्म की लार्वा :- इनकी लार्वा अवस्था के आधार पर रंग हरा, जैतून, भूरा से लेकर ग्रे तक हो सकता है।इनके उदर खंड पर चार काले धब्बे होते हैं। पीछे की ओर तीन पीली रेखाएँ हैं। इसके सिर की बात करें तो इसका सिर काला रंग का होता है, जिस पर पीले, उल्टे वाई-आकार के निशान होते हैं और अंतिम शरीर खंड पर एक वर्ग बनाते हुए चार काले धब्बे होते हैं।

Insect attack on maize crop
Insect attack on maize crop

नुकसान का तरीका –

दरअसल इसके लार्वा की छह स्टेजेस होती हैं जिनका नुकसान करने का तरीका और कैपेसिटी स्टेज के साथ चेंज होती है। उदाहरण के लिए पौधों पर लंबे लंबे कागज की तरह सफेद सफेद धब्बे दिखाई दे रहे हैं। मतलब लार्वा पहली और दूसरी स्टार में है। इस समय लार्वा का जबड़ा कमजोर होता है, इसलिए वह पत्तियों को खुरचकर खाता है या छोटे छोटे छेद कर देता है। पत्ती की सतह को खरोचने के कारण पारदर्शी धब्बे बन जाते हैं और जो खिड़कीनुमा दिखती हैं।

इसके पुराने लार्वा ( चौथी और छठी स्टार ) भुट्टों के अंदर और भुट्टों को खाते हैं, जिससे दरारें पड़ जाती हैं और व्यापक क्षति होती है। वे पत्तियों और छतरियों पर चूरा जैसी बूंदें छोड़ते हैं जिन्हें “फ़्रास” कहा जाता है। फॉल आर्मीवर्म (FAW) के सभी चरण नुकसान पहुंचा सकते हैं, पुराने लार्वा (इंस्टार 4-6) आपकी मकई की फसल के लिए अब तक सबसे विनाशकारी हैं।

Insect attack on maize crop
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हानि स्तर:-

Insect attack on maize crop
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  1. पत्तियों को नुकसान:- फॉल आर्मीवर्म के छोटे लार्वा बड़े लार्वा की तुलना में कम खाते हैं। उनकी क्षति को अक्सर “विंडोइंग” के रूप में जाना जाता है, जहां वे पत्ती की सतह को खरोंचते हैं, जिससे पारदर्शी धब्बे निकल जाते हैं। हालाँकि इससे पौधा कमजोर हो सकता है, लेकिन इससे उपज में कोई खास नुकसान नहीं होता है। शुरुआती स्टार लार्वा मुख्य रूप से पत्तियों को खाते हैं, जो विकासशील प्रजनन भागों की तुलना में उपज के लिए कम महत्वपूर्ण होते हैं।
  2. मकई को नुकसान:– जैसे ही लार्वा परिपक्व होता है, अर्थात लार्वा 4-6 स्टार का होता है। वे पौधे के मध्य भाग में चले जाते हैं जहां पत्तियां मिलती हैं और बढ़ रहे भुट्टे पर हमला करते हैं। यह उपज के लिए सबसे महत्वपूर्ण चरण है, और यहां क्षति का सीधा मतलब अनाज उत्पादन में कमी है और पुराने लार्वा (4-6 स्टार) को इसके लिए जाना जाता है।

पुराने लार्वा झुंड में बड़ी मात्रा में पत्ती के ऊतकों का उपभोग करते हैं और अक्सर फटे हुए छेद छोड़ देते हैं जो प्रकाश संश्लेषण में बाधा डालते हैं। इससे दानों को सीधा नुकसान हो सकता है, उपज कम हो सकती है और संभावित रूप से इनके विष्टा (कैटरपिलर ड्रॉपिंग) से अनाज दूषित हो सकता है। अपने युवा लार्वा की तुलना में, पुराने लार्वा का जीवन काल लंबा होता है और वे अधिक भोजन खाते हैं, जिससे उनके नुकसान की संभावना बढ़ जाती है।

कीट नियंत्रण के उपाए (Measures to Control Insects):-

तो किसान भाइयों अब आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि फाल आर्मीवर्म का इलाज आ गया है। तो आपको इसका इलाज कैसे करना चाहिए? यहां हम आपको कुछ दवाओं के नाम बताएंगे जो आपकी समस्या का समाधान कर देंगे। कैसे करें इसका इस्तेमाल, क्या हैं सावधानियां, क्या हैं इसके फायदे. सब कुछ विस्तार से जानते है. यहां हमने फॉल आर्मीवर्म के लिए कीटनाशक का उल्लेख किया है, यह त्वरित प्रभाव डालता है यानी इस कीट (insets) को तुरंत रोकने में मदद करता है। साथ ही इसका असर काफी लंबे समय तक देखने को मिला है. इसका मतलब यह है कि अगर आप एक बार इसका छिड़काव कर देंगे तो लंबे समय तक इन कीटों (insects) का दोबारा आक्रमण नहीं होगा। जबकि यह कीटनाशक फॉल आर्मी वर्म पर पूरी तरह से असरदार है और उसे पूरी तरह से खत्म कर देता है। इसके साथ ही दोस्तों इसका एक और फायदा यह है कि इससे ना सिर्फ कीड़ों (Insects) से बचाव होता है बल्कि आपको पैदावार भी ज्यादा मिलती है। कुछ किसानों का दावा है कि वे पहले से ही इसका उपयोग कर रहे हैं और इसके उपयोग से केवल उनकी फसलों के उत्पादन में सुधार होता है। इसके अलावा दोस्तों यह एक सुरक्षित रसायन है। यह कीटनाशक मानव शरीर को नुकसान पहुँचाने वाले अन्य उर्वरकों की तुलना में अपेक्षाकृत सुरक्षित रसायन माना जाता है।

तो चलिए दोस्तों बात करते हैं स्पिनेटोरम 11.7% एससी (डेलीगेट) कीटनाशक के बारे में। तो आइए जानते हैं कि इस कीटनाशक का प्रयोग आपको अपनी मक्के की फसल पर कब करना चाहिए। इसे लगाने का सही समय वह है जब आपकी मक्के की फसल 1 से 2 इंच लंबी गोलाकार हो जाए और जब आपको कीड़े (Insects) खाने के लक्षण दिखाई देने लगें तो इसे अपनी मक्के की फसल पर स्प्रे करें।

उपयोग मात्रा :-

अब बात करते हैं कि आपको स्पिनेटोरम 11.7% एससी कीटनाशक का छिड़काव कैसे करना चाहिए। स्पिनेटोरम 11.7% एससी 100 मिली को 200 लीटर पानी में मिलाना है। एक एकड़ खेत की मक्के की फसल में स्प्रे करना है. मक्के की फसल पर समान रूप से छिड़काव करें। सबसे पहली जरूरी बात जो आपको ध्यान रखनी है वो ये है कि स्प्रे ज्यादा या कम नहीं होना चाहिए, बराबर स्प्रे करना चाहिए, जिससे आपको इसका असर ज्यादा दिखेगा और फायदा भी ज्यादा मिलेगा. दूसरी बात आपको इस बात का ध्यान रखना है कि आपको इसका छिड़काव 10 से 14 दिन के अंदर दो बार करना है। जिससे दो स्प्रे में ही आपको दोगुनी सुरक्षा मिल जाएगी और वह कीट पूरी तरह से मर जाएगा और फिर दोबारा कीट उसमें नहीं आएगा।

सावधानियां :-

अब दोस्तों बात करते हैं कि इसमें आपको क्या-क्या सावधानियां बरतनी हैं।

  1. इसका प्रयोग निर्धारित मात्रा के अनुसार ही करना होगा।
  2. दूसरा, दवा को पानी में मिलाने से पहले बोतल को एक बार हिला लें ताकि केमिकल अच्छे से सक्रिय हो जाए और पूरी तरह मिल जाए।
  3. न रखने वाली तीसरी बात ये है कि इसे आप किसी दूसरे केमिकल के साथ न मिलाएं. आपको केवल इसी कीटनाशक का छिड़काव करना है।

तो किसान भाइयों इस रसायन का छिड़काव करने से मक्के की फसल पर लगे कीड़े (Insects) पूरी तरह से नष्ट हो जाएंगे। आपकी उपज बढ़ेगी. पैदावार बढ़ेगी तो आपका मुनाफ़ा भी बढ़ेगा.

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