Moong ki unnat kheti 2023 | moong been farming in hindi |

 मूंग खरीफ और रबी दोनों मौसम में उगाई जाती है, मूंग प्रमुख दलहनी फसल में से एक है ,जिसे मूंग बीन के रूप में भी जाना जाता है| ग्रीष्मकालीन मूंग की उन्नत खेती (Moong ki unnat kheti) कब और कैसे करें? ग्रीष्मकालीन मूंग की उन्नत खेती (Moong ki unnat kheti 2023) की बेस्ट तरीका क्या है ? और अधिक उत्पादन और अच्छी आमदनी के मूंग की उन्नत खेती ( moong been farming ) की वैज्ञानिक तरीका का जानकारी देंगे | वैसे मूंग गर्म मौसम वाली फली है जो आमतौर पर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाई जाती है।

मूंग को प्रमुख रूप से दाल के लिये उपयोग किया जाता है | इसमें पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होती है ,जिसमें 24-26% प्रोटीन,55-60% कार्बोहाइड्रेट एवं 1.3%वसा होता है। यह एक दलहनी फसल है जिसके  कारण इसकी जड़ो में गठाने पाई जाती है | यह जड़ें  वायुमण्डलीय नत्रजन का मृदा में स्थिरीकरण करता है जिससे हमारी जमीन  में 38-40 कि.ग्रा. नत्रजन प्रति हैक्टयर संरक्षित हो जाती है |

 इसकी कटाई उपरांत खेत में शेष जड़ो एवं पत्तियो के रूप में प्रति हैक्टयर 1.5टन जैविक पदार्थ भूमि में छोड़ा जाता है | इससे भूमि में जैविक कार्बन का अनुरक्षण होता है एवं मृदा की उर्वराशक्ति बढाती है। अतः कृषक भाई उन्नत प्रजातियो एवं उत्पादन की उन्नत तकनीक को अपनाकर Moong ki unnat kheti से पैदावार को 8-10 क्विंटल प्रति हैक्टयर तक प्राप्त कर सकते है।

ग्रीष्मकालीन मूंग की उन्नत खेती कब और कैसे करें?

तो दोस्तों जिन किसान भाइयों के पास सिंचाई सुविधा है वे रबी की फसल सरसों, चना, आलू, मटर और गेहूं की कटाई के बाद ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती करके कम समय में अच्छा लाभ व मुनाफा कमा सकते हैं। वैसे मूंग की खेती ( moong been farming) हमारे देश में सबसे अधिक लोकप्रिय दलहन की खेती में से एक मानी जाती है जिसमें किसानों को कम मेहनत में भी फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है। 

moong ki unnat kheti

और इसके साथ साथ गर्मी में खेत में मूंग की बुवाई करने से खेत की उर्वरक शक्ति बढ़ती है, जिससे उत्पादन भी बढ़ता है। इसलिए गर्मियों में दलहन की फसलों में मूंग की खेती का विशेष स्थान है। ग्रीष्मकालीन मूंग की उन्नत खेती ( moong ki unnat kheti )के फायदों को देखते हुए, इसकी खेती करने से अतिरिक्त आय, खेतों का खाली समय में सदुपयोग, भूमि की उपजाऊ शक्ति में सुधार, पानी की सदुपयोग जैसे कई फायदे है।

मूंग के स्वास्थ्य लाभ –

यदि हम स्वास्थ्य दृष्टि से बात करें तो , मूंग की दाल स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है ! क्योकि मूंगदाल में प्रोटीन बहुत अधिक मात्रा में होता है। मूंग की दाल में मैग्नीज, पोटैशियम, मैग्नीशियम, फॉलेट, कॉपर, जिंक और विटामिन जैसे अनेक स्वास्थ पोषक तत्व पाए जाते हैं। हमारे शरीर के लिए जरुरी है | इसकी दाल का सेवन करने से शरीर में सभी प्रकार के जरुरी पोषक तत्वों की कमी को पूरा किया जा सकता है। मूंगदाल का पानी पीकर आप कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निदान पा सकते हैं। इसकी पानी डेंगू जैसी खतरनाक बीमारी से भी शरीर का बचाव करती है।इसलिए अच्छी कमाई के लिए moong been farming बेस्ट विकल्प में से एक हो सकती है।

moong ki unnat kheti
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दोस्तों ,Moong ki unnat kheti ब्लॉग से हम खेत की चुनाव,बोनी समय ,उपयुक्त खाद की मात्रा , सुनिश्चित सिचांई की सामान्य दिशा-निर्देश के बारे में विस्तार से जानते है –

उपयुक्त जलवायु –

मूंग की उन्नत खेती [moong ki unnat kheti ] के लिए नम एंव गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है। इसकी खेती खरीफ और रबी   में की जा सकती है। मूँग फसल की अच्छे अंकुरण और समुचित बढ़वार हेतु 25-32 °C तापमान अनुकूल पाया गया हैं। पकने के समय साफ मौसम तथा 60% आर्दता होना चाहिये। 

उपयुक्त भूमि-

मूंग की उन्नत खेती [moong ki unnat kheti] हेतु दोमट से बलुअर दोमट भूमियाँ सबसे अधिक उपयुक्त होती है|मूंग की अच्छी उपज के लिए पी. एच. 7.0 से 7.5 होना उत्तम हैं। खेत में जल निकास भी अच्छी होना चाहिये।

ऐसे हो खेत की तैयारी –

खरीफ मौसम में मूंग की उन्नत खेती [moong ki unnat kheti ]की फसल हेतु हैरो या मिटटी पलटने वाली हल से गहरी जुताई करना चाहिए | खेत को खरपतवार रहित करने के लिए 2-3 बार देशी हल या कल्टीवेटर से जुताई करें | इसके उपरान्त खेत में पाटा चलाकर समतल करें। इससे भूमि में नमी बनी रहती है | जुताई के समय दीमक से बचाव के लिये क्लोरपायरीफॉस 1.5 % चूर्ण 10 से -12 किलोग्राम प्रति एकड़ मिट्टी में मिलाना चाहिये।

ग्रीष्मकालीन मूंग की उन्नत खेती [moong ki unnat kheti]के लिये रबी फसलों के कटने के तुरन्त बाद खेत की तुरन्त जुताई कर 4-5 दिन छोड कर पलेवा करना चाहिए। पलेवा के बाद 2-3 जुताइयाँ देशी हल या कल्टीवेटर से कर पाटा लगाकर खेत को समतल एवं भुरभुरा बनावे। इससे उसमें नमी संरक्षित हो जाती है व बीजों से अच्छा अंकुरण मिलता हैं।

बुआई का समय –

आईये जानते है मूंग की उन्नत खेती ( moong been farming ) कब और कैसे करें |
खरीफ मौसम में मूंग की उन्नत खेती ( moong ki unnat kheti ) के लिए बुआई का उपयुक्त समय जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई प्रथम सप्ताह सही समय है |
ग्रीष्मकालीन मूंग की उन्नत खेती ( moong ki unnat kheti )के लिए बुवाई का उत्तम समय मार्च का महीना होता है, वैसे 15 मार्च से 15 अप्रैल तक बोनी करनी चाहिए। जिन किसान भाइयों के पास सिंचाई की सुविधा है वे फरवरी के अंतिम सप्ताह से भी बुवाई शुरू कर सकते हैं। बोनी में देरी होने पर फूल आते समय तापमान में वृद्धि के कारण फलियां कम बनती है या बनती ही नहीं है,इससे इसकी पैदावार प्रभावित होती है।

मूंग की अधिक उपज देने वाली उन्नत किस्में –

हम इस लेख के माध्यम से मूंग की उन्नत खेती ( moong ki unnat kheti ) से अधिक उपज देने वाली उन्नत किस्मों के बारें में बताएँगे जिनसे किसान भाई कम समय में अधिक उत्पादन ले सके |

किसान भाइयों मूंग की लाभकारी खेती ( Moong ki unnat kheti ) के लिए अधिक उत्पादन देने वाली उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए, ताकि अपनी आय में अच्छी वृद्धि कर सके | अगर मूंग की लाभकारी खेती से अच्छी उत्पादन चाहिए तो जरुरी है किसान भाई उन्नत किस्मों का चयन करें | यहाँ कुछ उन्नत किस्मों की जानकारी दिया गया है –

खरीफ और ग्रीष्म दोनों के लिए उपयुक्त किस्में – टी.जे.एम.-3, जवाहर मूंग -721, के -851, एच.यू.एम.-1, पी.डी.एम.-11, पूसा विशाल, पंत मूंग-5,आई.पी.एम.2-3 इत्यादि किस्में |

खरीफ के लिए उपयुक्त किस्में -पूसा 9531, एम.एच.2-15, नरेंद्र मूंग -1, सुनैना ,पी.दी.एम.139, मूंग-3, गुजरात मूंग -4,के.एम.2241,पूसा 9072 इत्यादि|

मूंग की अधिक उपज देने वाली उन्नत किस्में की जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करे –मूंग की उन्नत किस्में |

बीज दर एवं बोवाई विधि –

मूंग की उन्नत खेती (Moong ki unnat kheti ) और अच्छी उत्पादन के लिए खरीफ मौसम में 15-20 किलो बीज/हेक्टेयर पंक्तियों में 45 सेंटीमीटर की दूरी पर बोवाई करना चाहिए| जबकि ग्रीष्मकालीन के दौरान 25-30 किलोग्राम बीज/हेक्टेयर पंक्तियों में 30 सेंटीमीटर की दूरी पर बोया जाना चाहिए। बुवाई देशी हल के पीछे या सीड ड्रिल की मदद से की जा सकती है।

बीज उपचार –

मूंग की उन्नत खेती (Moong ki unnat kheti) के लिए बीजोपचार महत्वपूर्ण कारक है | मिट्टी और बीज जनित रोग को नियंत्रित करने के लिए बीज को थीरम (29) + कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम) या कार्बेन्डाजिम और कैप्टन (1 ग्राम + 2 ग्राम) से उपचारित करें।

रस चुसक कीट नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 70 डब्ल्यूएस @ 7 ग्राम/किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें। उसके बाद बीज कोजैव उर्वरक राइजोबियम और पीएसबी कल्चर (5 ग्राम/किलोग्राम बीज) से उपचारित करना भी वांछनीय है।

उर्वरक उपयोग –

मूंग दलहनी फसल होने के कारण अन्य खाद्यान फसल की अपेक्षा कम नत्रजन की आवश्यकता होती है | मूंग आमतौर पर मिट्टी की मूल उर्वरता पर उगाई जाती है। यदि उपलब्ध हो तो 8-10 टन गोबर की सदी हुई कम्पोस्ट या वर्मी खाद बुवाई के 15 दिन पहले डालना चाहिए।

मूंग का उन्नत खेती (Moong ki unnat kheti ) के लिए संतुलित रासायनिक उर्वरक में 20-25 किलोग्राम नाइट्रोजन (एन), 30-40 किलोग्राम फास्फोरस एवम 20 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर बोवाई के समय पूरी मात्रा डालें। साथ में जिंक सल्फेट 25 किलोग्राम/हेक्टेयर की दर से डालें|

सिंचाई

आमतौर पर खरीफ फसल को एक जीवन रक्षक सिंचाई की आवस्यकता होती है |खरीफ मौसम में बोई गई मूंग फसल को तब तक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती जब तक कि खरीफ मौसम के दौरान सूखा न हो।

वैसे खरीफ मौसम में फली आने के समय सिचाई हो जाय तो उत्पादन में अच्छी वृद्धि होती है| ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल में मिट्टी की किस्म के अनुसार सिंचाई करनी चाहिए। ग्रीष्मकाल में सिंचाई का अन्तराल 8-10 दिन का होना चाहिए। मूंग फसल को फूल आने और फली भरने के समय सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण चरण हैं।

खरपतवार नियंत्रण-

खरपतवार नियंत्रण मूंग उत्पादन की उन्नत तकनीक का महत्तवपूर्ण चरण है | खरपतवार नियंत्रण सही समय पर नही करने से फसल की उपज में 40-50 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है।

वैसे खरीफ मूंग फसलों में सकरी पत्ती वाले निंदा जैसेः सवा,दूब घास एवं चौड़ी पत्ती वाले पत्थरचटा, हजारदाना, कनकवा सफेद मुर्ग तथा मोथा आदि खरपतवार अधिकतर निकलते है।

बोई गयी फसल और खरपतवार में हमेशा प्रतिस्पर्धा रहती है | मूंग फसल व खरपतवार की प्रतिस्पर्धा का क्रान्तिक अवस्था प्रथम 30 से 35 दिनों तक रहती है। इसलिये मूंग फसल को खरपतवार मुक्त रखने के लिए प्रथम निदाई-गुडाई 15-20 दिनों पर करना अनिवार्य है| आवश्यकतानुसार द्वितीय निंदाई 35-40 दिन पर करना चाहियें।

कतारों में बोई गई फसल में खरपतवार नियंत्रण आसानी से किया जा सकता है। इसके लिए हस्त चालित हो या पॉवर वीडर का उपयोग कर निंदा नियंत्रण किया जा सकता है|

चूंकि खरीफ मौसम में लगातार वर्षा होने पर निदाई गुडाई हेतु समय नहीं मिल पाता साथ ही साथ अधिक मजदुर लगने से फसल की लागत भी बढ जाती है। इन परिस्थितियों में खरपतवार नियंत्रण के लिये रासायनिक नींदानाशक दवा का छिड़काव करने से भी खरपतवारों का प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है। निंदानाशक दवाओ के छिडकाव हेतु हमेशा फ्लैट फेन नोजल का ही उपयोग करें।

घासकुल या चौड़ी पत्ती खरपतवार के लिए पेन्डिमिथिलीन 30%ईसी 700-1000 ग्राम/ हे.की दर से 600 ली.पानी में घोलकर छिडकाव करें|

घासकुल खरपतवारों के प्रभावी नियंत्रण हेतु क्यूजालोफाप ईथाइल दवा 40-50 ग्राम बोवाई के 15-20 दिन बाद उपयोग करें|

कीट नियंत्रण-

moong ki unnat kheti
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मूंग की फसल में प्रमुख रूप से फली भृंग, हरा फुदका, माहू, बिहारी इल्ली,फली भेदक तथा कम्बल कीट का प्रकोप होता है।

पत्ती खानेवाले कीटों के नियंत्रण हेतु क्विनालफास की 1.5 लीटर दवा को 600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति छिडकाव करें |

फसल में लगने वाले हरा फुदका, माहू एवं सफेद मक्खी जैसे रस चूसक कीटो के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल.प्रति 600 लीटर पानी में 125 मि.ली. दवा के हिसाब से प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना लाभप्रद रहता है।

रोग नियंत्रण के उपाय –

उन्नत तकनीक से मूंग का उन्नत खेती ( moong ki unnat kheti ) कर अच्छी उपज लेने के लिए मुंग फसल का नियमित निरीक्षण और समय पर रोग की पहचान करना अत्यंत आवश्यक है| क्योकि मूंग फसल के कई महत्वपूर्ण रोग हैं इनमें से पीला मोजेक, चारकोल विगलन, लीफकर्ल, एन्थ्रेक्नोज, सेर्कोस्पोरा लीफस्पॉट, भभूतिया (पावडरी मिल्डयू) रोग महत्वपूर्ण हैं।

मुंग फसल में इन रोगों की रोकथाम हेतु रोग निरोधक किस्में हम 1, पंत मूंग 1, पंतमूंग 2, टी.जे.एम -3, जे.एम. 721 आदि का उपयोग करना चाहिये।

moong ki unnat kheti
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मूंग के पीले मोज़ेक रोग विषाणु जनित है, जिसका वाहक सफ़ेद मक्खी है| ग्रसित पौधों के कोमल पत्तियों में पीले-पीले धब्बे दिखाई देते हैं, जो कि साथ साथ बढ़ते हैं| प्रारंभिक अवस्था में ही रोग ग्रसित पौधें को उखाड़कर फेक दें |

पीला मोजेक के नियंत्रण हेतु मेटासिस्टॉक्स 25 ईसी 750 से 1000 मि.ली. का 600लीटर पानी में घोल कर प्रति हैक्टर छिड़काव 2 बार 15 दिन के अंतराल पर करे।

फफूंद जनित पर्णदाग (अल्टरनेरिया/सरकोस्पोरा) रोगों के नियंत्रण हेतु डायइथेन एम. 45, 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर वर्षा के दिनों को छोड़ कर खुले मौसम में छिड़काव करें। आवश्यकता अनुसार 12-15 दिनों अन्तराल पुनः छिड़काव करें।

कटाई एंव गहाई-

मूंग कम अवधि की फसल है और लगभग 65-75 दिन में पककर तैयार हो जाता है। अर्थात जुलाई माह में बोई जाती है,तो फसल सितम्बर तथा अक्टूबर के प्रथम सप्ताह तक पककर तैयार जाती है। वही ग्रीष्मकाल में फरवरी-मार्च माह में बोई गई फसल मई में पककर तैयार हो जाती है।

जब मूंग फसल की फलियाँ पक कर हल्के भूरे रंग की होने पर कटाई योग्य हो जाती है। पौधें में अक्सर फलियाँ एक साथ नहीं पकती है,यदि पौधे की सभी फलियों के पकने की इंतज़ार की जाये तो ज्यादा पकी हुई फलियाँ चटकने लगती है इसलिए फलियों की हरे रंग से भूरे या काला रंग होते ही 2-3 बार तुड़ाई में करें एंव बाद में फसल को पौधें के साथ काट लें।

अधपके अवस्था में फलियों की कटाई करने से दानों की गुणवत्ता खराब हो जाते हैं। जिससे उपज काफी प्रभावित होती है | फलियों व बाद में काटे गये पौधों को खलियान में लाकर सुखा लें। अच्छे से सुखने के उपरान्त डडें से पीट कर या बैंलो को चलाकर दाना अलग कर ले| या फिर थ्रेसिंग हेतु थ्रेसर का उपयोग कर गहाई कार्य कर लें।

उपज एंव भड़ारण-

मूंग की उन्नत खेती ( moong ki unnat kheti ) और उन्नत तकनीक अपनाने पर 8-10 क्विंटल/हे.औसत उपज प्राप्त की जा सकती है। इसका मिश्रित फसल लेने पर 3-5 क्विंटल/हे.उपज प्राप्त की जा सकती है। भण्ड़ारण करने से पहले दानों को अच्छी तरह धूप में सुखाने लें और जब उसमें नमी की मात्रा 8-10% रहे,तब सुरक्षित भण्डारण कर लें।

सामान्य प्रश्न ( FAQ) –

(1) प्रश्न :- ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती के लिए कितनी बीज की आवश्यकता होती है ?

उत्तर- ग्रीष्मकालीन मूंग की बुआई हेतु 25-30 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से पर्याप्त होता है।

(2) प्रश्न :- मूँग फसल की अच्छे अंकुरण और समुचित बढ़वार के लिए कितनी तापमान उपयुक्त है ?

उत्तर- मूँग फसल की अच्छे अंकुरण और समुचित बढ़वार हेतु 25-32 °C तापमान अनुकूल पाया गया हैं।

(3) प्रश्न :- मूंग की खेती के लिए कौन कौन सा भूमि उपयुक्त है ?

उत्तर- मूंग की खेती के लिए दोमट भूमि सबसे अधिक उपयुक्त होती है| इसकी खेती मटियार एवं बलुई दोमट में भी की जा सकती है|

(4) प्रश्न :- मूंग की उन्नत खेती हेतु उपयुक्त पी एच मान कितनी होनी चाहिए ?

उत्तर- मूंग की उन्नत खेती हेतु भूमि का पी एच मान 7.0 से 7.5 हो, इसके लिए उत्तम हैं|

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