दोस्तों, प्याज की फसल (Onion Crop) पर कीट -व्याधि नियंत्रण हेतु स्प्रेइंग शेड्यूल बहुत ही इंपोर्टेंट है क्योंकि थ्रिप्स जैसी समस्या , बैगनी धब्बा और जड़ संबंधित समस्याएं आती हैं। ये प्याज की खेती पर बहुत ही बड़ी समस्या हैं. तो आइए जानते हैं प्याज की फसल पर कौन-कौन सी बीमारी आती हैं और उनको कंट्रोल किस प्रकार किया जा सकता है।
- (1) थ्रिप्स (Thrips) :-
- (2)प्याज़ मक्खी (Onion Fly) :-
- (3) प्याज की कटवर्म (Cutworm) :-
- (4) बैंगनी धब्बा (अल्टरनेरिया पोरी):-
- (5) स्टेमफिलियम ब्लाइट (Stemphylium Blight):-
- (6) डाउनी मिल्ड्यू (पेरोनोस्पोरा डिस्ट्रक्टर):-
- (7) बेसल रॉट (फ्यूसैरियम ऑक्सीस्पोरम):-
- कीट -व्याधि नियंत्रण हेतु स्प्रेइंग शेड्यूल :-
- चौथा छिड़काव :-
(1) थ्रिप्स (Thrips) :-
थ्रिप्स प्याज की फसल पर पत्ती की सतह पर अंडे देते हैं, और इसके लार्वा प्याज के पौधे के रस चूसकर अपना भोजन करते हैं।इसके वयस्क छोटे लगभग 1 से 2 मिमी के होते है और ये पीले-भूरे रंग के होते हैं। थ्रिप्स गर्म और शुष्क परिस्थितियों में अधिक बढ़ती है।
प्रकोप का तरीका :- प्याज के पौधे के रस चूसने के कारण पत्तियों पर पीली या चांदी जैसी धारियाँ बन जाती है। जिसके कारण पत्तियां मुड़ जाती है और बाद मुरझा जाते है। जिससे पौधे की वृद्धि रुक जाती और प्याज का का आकार कम हो जाना।
(2)प्याज़ मक्खी (Onion Fly) :-
इसके वयस्क मक्खियाँ पौधों के बेस पर या मिट्टी में अंडे देती हैं।जब अंडों से लार्वा (कीड़े) निकलते हैं जो प्याज के गाँठ (बल्बों) में घुस जाते हैं। कीड़े जड़ों और बल्बों को खाते हैं, जिससे सड़न होती है और पौधे मुरझा जाते हैं। संक्रमित प्याज के गाँठ (बल्बों) से दुर्गंध आ सकती है।जिससे प्याज की फसल (onion crop) में उत्पादन प्रभावित होती है।
(3) प्याज की कटवर्म (Cutworm) :-
इसके पतंगे मिट्टी या खरपतवारों पर अंडे देते हैं, और लार्वा (कटवर्म) रात के समय भोजन करते हैं और वे दिन के समय मिट्टी में छिपे रहते हैं। इसके लार्वा रात के समय प्याज फसल की नए पौधों के जड़ को मिट्टी के पास काट देते हैं। जिससे पौधे गिर सकते हैं और मर सकते हैं।
नियंत्रण उपाय:- रोपण से पहले खरपतवार और फसल के अवशेषों को हटा दें। इसके नियंत्रण के लिए उपयोग किये जाने वाल कीटनाशक के साथ चोकर और गुड़ का प्रयोग करें।
(4) बैंगनी धब्बा (अल्टरनेरिया पोरी):-
इस रोग के कारण प्याज की पत्तियों पर छोटे, पानी से लथपथ घाव जैसे धब्बे दिखाई देते है, जो बैंगनी-भूरे रंग के धब्बों में बदल जाते हैं और संकेंद्रित छल्ले बन सकते हैं। जिससे पत्तियाँ सूख जाती हैं। प्याज की गाँठे (बल्ब) की वृद्धि कम हो जाती है।
(5) स्टेमफिलियम ब्लाइट (Stemphylium Blight):-
प्याज की पत्तियों पर प्रारम्भिक अवस्था में छोटे- छोटे पीले-भूरे रंग के धब्बे बन जाते है। जो बाद में धब्बे बड़े क्षेत्रों में फैल जाते हैं। जिससे पत्तियाँ धब्बेदार दिखाई देती है। जिसके कारण समय से पहले पत्तियों का सूख जाना और जो गाँठ (बल्ब) के निर्माण को प्रभावित करता है।
(6) डाउनी मिल्ड्यू (पेरोनोस्पोरा डिस्ट्रक्टर):-
प्याज के पत्तियों पर हल्के हरे से पीले धब्बे बन जाते है।और साथ ही पत्तियों के नीचे बैंगनी-भूरे रंग का फफूंद दिखाई देता है। जिसके कारण अधिक संक्रमित पत्तियाँ गिरकर मर जाती हैं।
(7) बेसल रॉट (फ्यूसैरियम ऑक्सीस्पोरम):-
इस रोग के कारण प्याज के गाँठ (बल्ब) निचे से सड़ जाते हैं, जिसके कारण गाँठें नरम और पानीदार हो जाते हैं।पत्तियाँ पीली हो जाती हैं और समय से पहले ही मुरझा जाती हैं।इससे संक्रमित प्याज की गाँठों (बल्बों) पर सफ़ेद फफूंद की वृद्धि दिखाई देती है।
कीट -व्याधि नियंत्रण हेतु स्प्रेइंग शेड्यूल :-
दोस्तों, प्याज की फसल (Onion Crop) पर उपरोक्त कीट -व्याधि नियंत्रण हेतु स्प्रेइंग शेड्यूल बहुत ही इंपोर्टेंट है क्योंकि थ्रिप्स जैसी समस्या , बैगनी धब्बा और जड़ संबंधित समस्याएं आती हैं। ये प्याज की खेती पर बहुत ही बड़ी समस्या हैं. तो आइए जानते हैं प्याज की फसल (Onion Crop) पर कीट -व्याधि नियंत्रण (pest control guide) किस प्रकार किया जा सकता है।
प्याज में थ्रिप्स, एफड्स, जेसिस और पर्पल ब्लज जिसे हमर वैगनी धब्बा के नाम से जानते हैं। रस चूस कीट और चबाने वाले कीटों के साथ-साथ थ्रिप्स और फंगस प्याज की फसल पर बहुत ज्यादा परेशान करते हैं।
पहला छिड़काव :-
प्याज की फसल (Onion Crop) के लिए किसानों का बड़ा दुश्मन थ्रिप्स है , तो आइए इनका निपटारा हम करते हैं किस प्रकार स्प्रे शेड्यूल चलाना है। जब आपकी फसल 15 से 20 दिन के आसपास की होती है तो फर्स्ट स्प्रे प्रोपिनेब 70 प्रतिशत डब्ल्यूपी जैसे एंट्राकोल के नाम से बाज़ार में आती है , उसे 300 ग्राम लेना है और Thiamethoxam 25% WG जो सिजेंटा कंपनी की एकतारा के नाम से आती है, इसका मात्र 50 ग्राम 200 लीटर पानी घोल करके स्प्रे कर ले। इससे सभी कीट एकदम कंट्रोल हो जाएंगे।
दूसरा छिड़काव :-
सेकंड स्प्रे की बात करें तो सेकंड स्प्रे जब प्याज के फसल (Onion Crop) 25 से 30 दिन के आसपास हो तब आप प्रोफेक्स सुपर (प्रोफेनोफोस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% ईसी) 250 एमएल, सिजेंटा की कवचफ्लो फंगी साइट (क्लोरोथेलोनिल 40% + डाइफेनोकोनाज़ोल 4%) और इसके साथ NPK 19:19:19 को एक किग्रा लेकर इन सभी को 200 लीटर पानी घोल करके स्प्रे करना चाहिए।
जब भी आप प्याज की फसल (Onion Crop) पर स्प्रे शेड्यूल चला रहे हैं तो ध्यान रखिए दोस्तों सिलिकॉन चिप को बेस्ट कंपनी का स्टीकर स्प्रेडर मिलाकर स्प्रे करें ताकि दवाई अच्छे से पत्तों में चिपक जाए बरसात हो या ना हो सिलिकॉन चिप को मिलाकर ही आपको स्प्रे शेड्यूल चलाना चाहिए।
तीसरा छिड़काव:-
प्याज की फसल (Onion Crop) में कीटों और बीमारियों को नियंत्रित (pest management tips) करने के लिए तीसरा छिड़काव तब करें जब फसल लगभग 40 से 50 दिन की हो जाए। इसके लिए डॉवएग्रो डेलीगेट कीटनाशक (स्पिनटोरम 11.7% एससी) 150 मिली, कराटे कीटनाशक (लैम्बडेहेलोथ्रिन 5% ईसी) 200 मिली और एमिस्टारटॉप फफूंदनाशक (एजोक्सीस्ट्रोबिन 18.2% + डाइफेनोकोनाजोल 11.4% एससी) 200 मिली लें और इन सभी दवाओं को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव शुरू करें। यह सभी प्रकार के फफूंद और कीटों को नियंत्रित करने के लिए एक बेहतरीन मिश्रण है।
चौथा छिड़काव :-
जब प्याज की फसल 65 से 70 दिन की अवधि की होती है और यदि लग रहा कि इलियो या कीटों का प्रकोप है और इस समय यदि लग रहा है कि फसल की कंडीशन को चेक कर लीजिए। तभी आप चौथा स्प्रे शेडूअल चलाइये। इसके लिए आप बायर कंपनी के सोलीमन इंसेक्टिसाइड (बीटा-साइफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड 300 ओडी (8.49 +19.81% ww) 150 एमएल स्वाधीन फंगीसाइड्स (Tebuconazole 10% + Sulphur 65% WDG) 400 ग्राम और एनपीके 0:0:50 का एक किलोग्राम मात्रा लें।
इस सभी दवाइयों को 150 से 200 लीटर पानी घोल करके स्प्रे करें। ये स्प्रे शेड्यूल जो कि लगभग सभी प्रकार की कीटों और फंगस को कंट्रोल क्र सकेगी । यह कॉम्बिनेशन जड़ संबंधित सभी प्रकार के फंगस को अच्छे तरीके से कंट्रोल कर पाएगी। चाहे आपके फसल के जड़ों में लगने वाले ,पत्तों में लगने वाले और तना में लगने वाले फंगस और कीटों को कंट्रोल करने के लिए और प्याज की फसल के ग्रोथ के लिए भी बहुत ही बढ़िया कॉमिनेशन वाला स्प्रे शेड्यूल है।
तो किसान भाईयों थोड़ा सा लॉजिक लगाइए फसल को भी देखते रहिए कि क्या डिमांड फसल कर रही है ,क्या एकदम स्वस्थ है तो फिर उस हिसाब से आप शेड्यूल को कम ज्यादा या फिर आगे पीछे थोड़ा सा घटा बढ़ा भी सकते हैं। इस प्रकार प्याज की फसल पर कीट-व्याधि नियंत्रण के लिए और फसल की ग्रोथ के लिए स्प्रे शेड्यूल चलाएंगे ,तो निश्चित तौर पर आपकी प्याज की खेती अच्छी उत्पादन और मोटा कमाई कर सकते है।