Farming Tips 2025: धान की फसल में कल्लों की संख्या बढ़ाने का आसान और सस्ता फॉर्मूला!

Farming Tips: धान की खेती (Paddy cultivation) भारत में किसानों की आजीविका का एक बड़ा आधार है। अच्छी पैदावार के लिए धान के पौधों में ज्यादा कल्ले (टिलर्स) होना बहुत जरूरी है, क्योंकि यही कल्ले बाद में बालियों में बदलते हैं और पैदावार बढ़ाते हैं।

Paddy Farming tips
Paddy Farming tips

लेकिन क्या आप जानते हैं कि सही समय पर सही पोषक तत्वों का इस्तेमाल करके आप धान की फसल में कल्लों की संख्या को आसानी से बढ़ा सकते हैं? आज हम एक ऐसे चमत्कारी और किफायती फॉर्मूले के बारे में बात करेंगे, जो धान की फसल को हरा-भरा, मजबूत और ज्यादा उपज देने वाला बनाता है। साथ ही, हम इसकी तुलना कुछ अन्य तरीकों से भी करेंगे ताकि आपको सही दिशा मिले।

धान में कल्लों (tillers in paddy)की संख्या क्यों महत्वपूर्ण है?

कल्ले धान के पौधे की वह शाखाएं हैं, जो बाद में अनाज से भरी बालियों में बदलती हैं। ज्यादा कल्लों का मतलब है ज्यादा बालियां और ज्यादा अनाज। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अनुसार, एक स्वस्थ धान का पौधा 20 से 50 कल्ले तक दे सकता है, बशर्ते उसे सही पोषण और देखभाल मिले। लेकिन कई बार मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी या गलत खाद का इस्तेमाल फसल को कमजोर कर देता है, जिससे कल्ले कम निकलते हैं।

Farming Tips: जैविक और रासायनिक का मिश्रण

15 से 18 दिन की रोपाई के बाद धान की फसल में जड़ों और तनों का विकास तेजी से होता है। इस समय सही पोषक तत्व देना फसल की ग्रोथ को कई गुना बढ़ा सकता है। आइए, इस खास फॉर्मूले को समझते हैं, जो सस्ता, आजमाया हुआ और बेहद प्रभावी है।
सामग्री (प्रति एकड़):

  • सरसों की खली (25 किलो): यह मिट्टी को गर्मी देती है, जड़ों का विकास करती है और पौधों को गहरी हरियाली प्रदान करती है। यह तनों को भी मजबूत बनाती है।
  • पुराना गुड़ (5 किलो): गुड़ जड़ों की ग्रोथ को बढ़ावा देता है और मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को तेज करता है।
  • ह्यूमिक एसिड (500 ग्राम, 98% शुद्ध): जड़ों के विकास में यह सबसे प्रभावी है। यह मिट्टी के पोषक तत्वों को पौधों तक पहुंचाने में मदद करता है।
  • फिटकरी (2 किलो): मिट्टी के पीएच को संतुलित करती है और पोषक तत्वों को उपलब्ध कराने में सहायक है।
  • सागरिका दानेदार (10 किलो): समुद्री शैवाल से बनी यह खाद पौधों की ग्रोथ को बूस्ट करती है।
    यूरिया (25 किलो): नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए जरूरी, जो पौधों को हरा-भरा रखता है।

बनाने और इस्तेमाल का तरीका:

एक 200 लीटर के ड्रम में सरसों की खली, गुड़, ह्यूमिक एसिड, फिटकरी और सागरिका डालें।
ड्रम को पानी से लबालब भरें और ढक्कन से ढककर 2-3 दिन के लिए रख दें। दिन में दो बार अच्छे से मिलाएं।
इस्तेमाल के समय 25 किलो यूरिया मिलाएं।
इस घोल को खेत में सिंचाई के दौरान या पानी भरे खेत में बाल्टी से छिड़क दें। इसे स्प्रे नहीं करना है, बल्कि मिट्टी में मिलाना है।
2-3 दिन में आपको फसल में हरियाली, मजबूत तने और ज्यादा कल्लों का अंतर दिखेगा।

इस फॉर्मूले की लागत प्रति एकड़ लगभग 1600-1800 रुपये है, जो अन्य रासायनिक खादों की तुलना में काफी किफायती है।

अन्य तरीकों से तुलना:-

  • रासायनिक खादों का इस्तेमाल: कई किसान केवल यूरिया, डीएपी या एनपीके जैसे रासायनिक खादों पर निर्भर रहते हैं। लेकिन ये मिट्टी की उर्वरता को लंबे समय में कम कर सकते हैं। वहीं, इस फॉर्मूले में जैविक और रासायनिक खाद का संतुलित मिश्रण मिट्टी को नुकसान नहीं पहुंचाता।
  • केवल जैविक खेती: कुछ किसान गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट का इस्तेमाल करते हैं। ये तरीके अच्छे हैं, लेकिन धीमी गति से काम करते हैं। इस फॉर्मूले में सरसों की खली और गुड़ जैसे जैविक तत्व तेजी से असर दिखाते हैं।
  • महंगी बायो-प्रोडक्ट्स: बाजार में कई महंगे बायो-प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं, जो 3000-5000 रुपये प्रति एकड़ तक खर्च करवाते हैं। लेकिन यह फॉर्मूला सस्ता और उतना ही प्रभावी है।

क्यों है यह फॉर्मूला खास?

  • सस्ता और प्रभावी: 1600-1800 रुपये में आप फसल की गुणवत्ता और पैदावार बढ़ा सकते हैं
  • जैविक और रासायनिक का मिश्रण: यह मिट्टी की सेहत को बनाए रखता है और तुरंत परिणाम देता है।
  • आसान उपलब्धता: सरसों की खली, गुड़ और फिटकरी जैसे तत्व आसानी से स्थानीय बाजार में मिल जाते हैं।
  • पैदावार में वृद्धि: ज्यादा कल्लों से 20-30% तक पैदावार बढ़ सकती है, जैसा कि कृषि विश्वविद्यालयों के अध्ययनों में देखा गया है।

सही समय (रोपाई के 15-18 दिन बाद) पर इस फॉर्मूले का इस्तेमाल करें।
ड्रम को अच्छे से ढकें ताकि घोल खराब न हो।
ज्यादा मात्रा में खाद का इस्तेमाल न करें, इससे पौधों को नुकसान हो सकता है।

कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि जैविक और रासायनिक खादों का संतुलित उपयोग भविष्य की खेती का आधार होगा। भारत सरकार की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने के लिए जैविक खादों का उपयोग बढ़ाने की जरूरत है। यह फॉर्मूला इस दिशा में एक छोटा लेकिन प्रभावी कदम है।
निष्कर्ष
अगर आप धान की फसल में ज्यादा कल्ले, गहरी हरियाली और बेहतर पैदावार चाहते हैं, तो यह सस्ता और आजमाया हुआ फॉर्मूला आपके लिए है। इसे आजमाएं और अपने खेत में फर्क देखें। अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी कृषि केंद्र या विश्वसनीय स्रोतों से संपर्क करें।

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