paddy Variety Vikram-TCR, Safari-17 and Indira Aerobic 1: छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए की नई किस्में

हाय दोस्तों! अगर आप छत्तीसगढ़ में खेती करते हैं या धान की फसल (paddy crop)से जुड़े हैं, तो आज हम बात करेंगे तीन ऐसी धान की किस्मों की, जो आपके लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती हैं।

Vikram-TCR, Safari-17 and Indira Aerobic 1 paddy Variety
Vikram-TCR, Safari-17 and Indira Aerobic 1 paddy Variety

ये हैं *Vikram-TCR, **Safari-17, और *Indira Aerobic 1। ये किस्में न सिर्फ ज्यादा पैदावार देती हैं, बल्कि सूखा, कीट, और रोगों के खिलाफ भी मजबूत हैं। इस ब्लॉग में हम इन तीनों किस्मों की पूरी डिटेल्स, फायदे, और इन्हें उगाने का तरीका आसान तरीके के बारे जानेंगे। तो चलो, शुरू करते हैं!

छत्तीसगढ़ में धान की खेती का महत्व

छत्तीसगढ़ को “धान का कटोरा” यूं ही नहीं कहा जाता। यहां की ज्यादातर आबादी खेती पर निर्भर है, और धान सबसे बड़ी फसल है। हर साल छत्तीसगढ़ में लाखों टन धान पैदा होता है, जो न सिर्फ स्थानीय जरूरतें पूरी करता है, बल्कि देश के दूसरे हिस्सों में भी जाता है।

लेकिन अनियमित बारिश, सूखा, और कीट-रोगों की वजह से किसानों को कई बार नुकसान उठाना पड़ता है। यही वजह है कि *विक्रम-TCR, **सफरी-17, और *इंदिरा एरोबिक 1 जैसी उन्नत किस्में इतनी जरूरी हो गई हैं।

इन किस्मों को खास तौर पर छत्तीसगढ़ की जलवायु, मिट्टी, और बारिश आधारित खेती को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है। इनके पीछे भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (IGKV) जैसे बड़े संस्थानों की मेहनत है। तो चलो, इन तीनों किस्मों को एक-एक करके समझते हैं।

1.Paddy Variety विक्रम-TCR: सूखे का डटकर मुकाबला करने वाली किस्म

विक्रम-TCR धान की एक ऐसी किस्म है, जिसे 2020 में छत्तीसगढ़ के लिए खास तौर पर जारी किया गया। इसे BARC और IGKV ने मिलकर बनाया है।

इस किस्म का नाम स्वर्गीय डॉ. विक्रम साराभाई, जो परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष थे, के सम्मान में रखा गया। 2019-20 में उनकी जन्म शताब्दी के मौके पर इसे “विक्रम” नाम दिया गया। ये एक उत्परिवर्ती (म्यूटेंट) किस्म है, यानी इसे वैज्ञानिक तरीके से और बेहतर बनाया गया है।

खासियतें:

  • परिपक्वता (अवधि): 118-123 दिन (कम समय में फसल तैयार)।
  • पौधे की ऊंचाई: 101-106 सेमी (मध्यम ऊंचाई, गिरने का डर कम)।
  • उपज क्षमता: 60-65 क्विंटल/हेक्टेयर (6-6.5 टन/हेक्टेयर)।
  • खास विशेषता: सूखा सहनशील, बारिश आधारित खेती के लिए बेस्ट।
  • अनाज का प्रकार: मध्यम पतला, जो बाजार में अच्छी कीमत लाता है।

क्यों चुनें विक्रम-TCR?

  1. ज्यादा पैदावार: इसकी उपज 60-65 क्विंटल/हेक्टेयर है, जो पारंपरिक किस्मों से कहीं ज्यादा है।
  2. सूखा सहनशील: छत्तीसगढ़ में जहां बारिश अनियमित होती है, वहां ये किस्म कम पानी में भी अच्छी फसल देती है।
  3. कम समय में फसल: 118-123 दिन में फसल तैयार हो जाती है, जिससे दूसरी फसल के लिए समय बचता है।
  4. बाजार में डिमांड: इसका मध्यम पतला अनाज खाने में स्वादिष्ट और बाजार में पसंद किया जाता है।
  5. मजबूत पौधा: मध्यम ऊंचाई की वजह से तेज हवा या बारिश में गिरता नहीं।

किसके लिए बेस्ट?

  • बारिश आधारित खेती करने वाले किसान।
  • जिन इलाकों में सूखे की समस्या रहती है।
  • जो कम समय में ज्यादा पैदावार चाहते हैं।

2. Paddy Variety सफरी-17: विक्रम-TCR की जनक किस्म

सफरी-17 वो मूल (जनक) किस्म है, जिससे विक्रम-TCR को विकसित किया गया। ये एक पारंपरिक किस्म है, जो पहले छत्तीसगढ़ में काफी लोकप्रिय थी। लेकिन इसकी कुछ कमियां, जैसे ज्यादा समय लेना और कम उपज, की वजह से वैज्ञानिकों ने इसे और बेहतर करके विक्रम-TCR बनाया। फिर भी, कुछ किसान आज भी सफरी-17 उगाते हैं, खासकर उन इलाकों में जहां पारंपरिक खेती को प्राथमिकता दी जाती है।

खासियतें:

  • परिपक्वता (अवधि): 145-150 दिन (लंबी अवधि की फसल)।
  • पौधे की ऊंचाई: 160-165 सेमी (लंबा पौधा)।
  • उपज क्षमता: 45-50 क्विंटल/हेक्टेयर (4.5-5 टन/हेक्टेयर)।
  • खास विशेषता: स्थानीय जलवायु के लिए अनुकूल, लेकिन सूखे के प्रति कम सहनशील।

क्यों चुनें सफरी-17?

  1. पारंपरिक स्वाद: इसका अनाज स्थानीय लोगों के बीच खाने के लिए पसंद किया जाता है।
  2. स्थानीय अनुकूलता: छत्तीसगढ़ की मिट्टी और जलवायु के लिए अच्छा।
  3. कम लागत: ज्यादा उन्नत तकनीक की जरूरत नहीं, पारंपरिक तरीके से उगाया जा सकता है।

3. इंदिरा एरोबिक 1: रोगों से लड़ने वाली किस्म

इंदिरा एरोबिक 1 एक और शानदार धान की किस्म है, जिसे 28 जनवरी 2015 को IGKV ने विकसित किया। ये किस्म खास तौर पर उन किसानों के लिए बनाई गई है, जो कम पानी में धान उगाना चाहते हैं।

इसे “एरोबिक” इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसे खेत में लगातार पानी भरे रहने की जरूरत नहीं पड़ती, जैसे पारंपरिक धान की खेती में होती है। ये किस्म रोगों और कीटों के खिलाफ भी काफी मजबूत है।

खासियतें:

  • विकास तिथि: 28 जनवरी 2015।
  • उपज क्षमता: 50-55 क्विंटल/हेक्टेयर।
  • परिपक्वता (अवधि): 115-120 दिन।
  • पौधे की ऊंचाई: मध्यम (90-100 सेमी)।
  • रोग प्रतिरोधकता:
  • नेक ब्लास्ट और शीथ रोट: पूरी तरह प्रतिरोधी।
  • लीफ ब्लास्ट, शीथ ब्लाइट, ब्राउन स्पॉट, चावल टंग्रो रोग: मध्यम प्रतिरोधी।
  • गैल मिज बायोटाइप 4: फील्ड में प्रतिरोधी।
  • खास विशेषता: कम पानी में उगने वाली, बारिश आधारित और सिंचित दोनों तरह की खेती के लिए उपयुक्त।

क्यों चुनें इंदिरा एरोबिक 1?

  1. कम पानी की जरूरत: पारंपरिक धान की खेती में खेत में पानी भरा रहता है, लेकिन
    ये किस्म कम पानी में भी अच्छी फसल देती है।
  2. रोगों से सुरक्षा: नेक ब्लास्ट, शीथ रोट, और गैल मिज जैसे रोगों-कीटों से फसल सुरक्षित रहती है।
  3. जल्दी तैयार: 115-120 दिन में फसल तैयार, यानी समय की बचत।
  4. अच्छी उपज: 50-55 क्विंटल/हेक्टेयर की पैदावार, जो स्थानीय बाजार के लिए अच्छी है।
  5. मजबूत पौधा: मध्यम ऊंचाई की वजह से गिरने का खतरा कम।

किसके लिए बेस्ट?

  • कम पानी वाले इलाकों में खेती करने वाले किसान।
  • जो रोगों और कीटों से फसल बचाना चाहते हैं।
  • बारिश आधारित और सिंचित दोनों तरह की खेती करने वाले।

तीनों किस्मों की तुलना

विशेषताविक्रम-TCRसफरी-17इंदिरा एरोबिक 1
उपज क्षमता60-65 क्विंटल/हेक्टेयर45-50 क्विंटल/हेक्टेयर50-55 क्विंटल/हेक्टेयर
परिपक्वता118-123 दिन145-150 दिन115-120 दिन
पौधे की ऊंचाई101-106 सेमी160-165 सेमी90-100 सेमी
तनाव सहनशीलतासूखा सहनशीलकम सहनशीलकम पानी, रोग प्रतिरोधी
रोग प्रतिरोधकतासामान्यसामान्यनेक ब्लास्ट, शीथ रोट, गैल मिज प्रतिरोधी
उपयुक्त स्थितिबारिश आधारितबारिश आधारित, सिंचितबारिश आधारित, कम पानी
विशेषताजल्दी तैयार, ज्यादा उपजपारंपरिक स्वादकम पानी, रोगों से सुरक्षित

खेत की तैयारी :-

  • मिट्टी: धान के लिए दोमट या चिकनी मिट्टी बेस्ट है। मिट्टी का pH 5.5-7.5 होना चाहिए।
  • जुताई: खेत को 2-3 बार अच्छे से जोतें और समतल करें। इंदिरा एरोबिक 1 के लिए खेत को ज्यादा गीला न करें।
  • खाद: 5-10 टन/हेक्टेयर गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट डालें।
  • पानी: विक्रम-TCR और सफरी-17 के लिए खेत में 5-10 सेमी पानी बनाए रखें। इंदिरा एरोबिक 1 के लिए पानी की जरूरत कम है।

2. बीज की तैयारी

  • बीज की मात्रा:
  • विक्रम-TCR: 30-40 किलो/हेक्टेयर।
  • सफरी-17: 40-50 किलो/हेक्टेयर।
  • इंदिरा एरोबिक 1: 25-35 किलो/हेक्टेयर।
  • बीज उपचार: बीज को बाविस्टिन (2 ग्राम/किलो बीज) या थाइरम से उपचारित करें ताकि फंगस से बचाव हो।
  • अंकुरण: बीज को 24 घंटे पानी में भिगोकर 48 घंटे छाया में रखें।

3. बुवाई

  • समय: खरीफ मौसम (जून-जुलाई) में बुवाई करें। मानसून शुरू होने पर बेस्ट।
  • तरीका: प्रत्यक्ष बुवाई: बीज को सीधे खेत में छिड़कें या लाइन में बोएं (इंदिरा एरोबिक 1 के लिए खास तौर पर)।
  • रोपाई: नर्सरी में 20-25 दिन पुराने पौधों को खेत में रोपें (विक्रम-TCR और सफरी-17 के लिए)।
  • दूरी: पौधों के बीच 20×15 सेमी की दूरी रखें।

4. खाद और उर्वरक

  • नाइट्रोजन (N): 100-120 किलो/हेक्टेयर (3 बार में: बुवाई, टिलरिंग, और फूल आने के समय)।
  • फॉस्फोरस (P): 50-60 किलो/हेक्टेयर (बुवाई के समय)।
  • पोटाश (K): 40-50 किलो/हेक्टेयर।
  • जैविक खाद: नीम की खली या वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल करें।

कटाई:

  • विक्रम-TCR: 118-123 दिन बाद।
  • सफरी-17: 145-150 दिन बाद।
  • इंदिरा एरोबिक 1: 115-120 दिन बाद।
  • तरीका: जब 80% दाने पक जाएं, तब कटाई करें।
  • भंडारण: दानों को 10-12% नमी पर सुखाकर जूट के बोरे में स्टोर करें।

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