Rajya Poshit Yojna 2025 DBT Scheme : किसानों को सशक्त करने वाली कृषि विभाग की DBT योजनाएं|

भारत सरकार और राज्य सरकार ने मिलकर किसानों की जिंदगी को बेहतर करने और खेती को आसान बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। अब सरकार की योजनाओं में एक खास बात है प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) की व्यवस्था, जिसके जरिए अनुदान और नकद राशि सीधे किसानों के आधार से जुड़े बैंक खातों में पहुंचाई जाती है।

इससे न सिर्फ पारदर्शिता बढ़ी है, बल्कि किसानों को समय पर पैसा भी मिल रहा है। साथ ही, खेती में मशीनों का इस्तेमाल बढ़ाने और किसानों को सशक्त करने में भी मदद मिल रही है। आइए, इन योजनाओं को आसान भाषा में समझते हैं और जानते हैं कि ये कैसे किसानों के लिए फायदेमंद हैं।

DBT का मतलब और फायदा

DBT यानी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर, एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें सरकार की योजनाओं (Government schemes) का पैसा बिना किसी बिचौलिए के सीधे आपके बैंक खाते में आता है। पहले कई बार अनुदान या सहायता राशि पहुंचने में देरी हो जाती थी या गलत हाथों में चली जाती थी।

लेकिन अब DBT के जरिए पैसा सीधे आपके खाते में आता है, जिससे भ्रष्टाचार कम हुआ है और आपको समय पर मदद मिलती है। इससे खेती में इस्तेमाल होने वाले संसाधनों की बचत हुई है और किसानों का सरकार की योजनाओं पर भरोसा भी बढ़ा है।

कृषि विभाग (Agriculture Department) की केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं में DBT लागू होने से खेती ज्यादा प्रभावी और किसान-केंद्रित हो गई है। अब न तो आपको लंबी लाइनों में लगना पड़ता है और न ही कागजी कार्रवाई के चक्कर में पड़ना पड़ता है। बस आपके आधार से जुड़ा बैंक खाता होना चाहिए, और पैसा सीधे आपके पास पहुंच जाता है। आइए, अब उन योजनाओं को विस्तार से देखें जो राज्य सरकार चला रही है और जिनमें DBT का इस्तेमाल हो रहा है।

1. कृषक समग्र विकास योजना

यह योजना किसानों के समग्र विकास के लिए बनाई गई है। इसके तहत कई छोटी-छोटी योजनाएं हैं जो अलग-अलग तरीकों से किसानों की मदद करती हैं।

Rajya Poshit Yojna 2025
Rajya Poshit Yojna 2025

1.1 अक्ती बीज संवर्धन योजना

अगर आप धान, गेहूं, कोदो, कुटकी या रागी जैसे फसलों के आधार या प्रमाणित बीज का उत्पादन या वितरण करते हैं, तो आपको प्रति क्विंटल 500 रुपये का अनुदान मिलेगा। वहीं, अगर आप तिलहनी फसलों (जैसे सोयाबीन, मूंगफली, तिल आदि) के बीज उत्पादन या वितरण में लगे हैं, तो आपको 1000 रुपये प्रति क्विंटल की सहायता मिलेगी। इससे अच्छे बीजों का उत्पादन बढ़ेगा और फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।

1.2 रामतिल उत्पादन प्रोत्साहन योजना

यह योजना खास तौर पर अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों जैसे जगदलपुर, कोंडागांव, दंतेवाड़ा, सुकमा, कांकेर, जशपुर, सरगुजा, सूरजपुर और बलरामपुर में लागू है। यहां किसानों को रामतिल की खेती के लिए मुफ्त बीज मिनिकिट, उर्वरक, फसल प्रदर्शन और प्रशिक्षण दिया जाता है।

अगर आप खंड प्रदर्शन करते हैं, तो आपको प्रति एकड़ 500 रुपये या सामग्री की कीमत का 50% (जो भी कम हो) अनुदान मिलेगा। यह योजना स्थानीय किसानों को नई तकनीक और बेहतर खेती के तरीके सिखाने में मदद करती है।

1.3 दलहन बीज उत्पादन प्रोत्साहन योजना

दलहन फसलों (जैसे चना, मसूर, अरहर आदि) के बीज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए यह योजना है। अगर आप 10 साल से ज्यादा पुरानी अधिसूचित दलहन प्रजाति के बीज का उत्पादन करते हैं, तो आपको 1000 रुपये प्रति क्विंटल अनुदान मिलेगा।

वहीं, 10 साल से कम पुरानी अधिसूचित प्रजाति के बीज के लिए 5000 रुपये प्रति क्विंटल की सहायता दी जाएगी। इससे किसानों को अच्छी क्वालिटी के बीज तैयार करने और दलहन उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।

1.4 राज्य गन्ना विकास योजना

गन्ना किसानों के लिए यह योजना बहुत फायदेमंद है। अगर आप गन्ने के बीज खरीदते हैं, तो प्रति हेक्टेयर 5000 रुपये का अनुदान मिलेगा। बीज को राज्य के अंदर लाने के लिए 800 रुपये प्रति टन और राज्य के बाहर से लाने के लिए 1200 रुपये प्रति टन की सहायता दी जाएगी।

बीज उपचार के लिए 100 रुपये प्रति हेक्टेयर, पौध संरक्षण के लिए चलित यंत्र पर 2000 रुपये और मानव चलित यंत्र पर 800 रुपये का अनुदान है। इसके अलावा, टिश्यू कल्चर पौधों के लिए 5 रुपये प्रति पौधा और पोली बैग पौधों के लिए 3 रुपये प्रति पौधा की सहायता मिलती है।

2. जैविक खेती मिशन

जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए यह मिशन चलाया जा रहा है। इसके तहत जैविक फसल प्रदर्शन, प्रशिक्षण, शैक्षणिक भ्रमण, जैविक प्रमाणीकरण और नाडेप/वर्मी टांका निर्माण की सुविधा दी जाती है। यह योजना रायपुर, रायगढ़, बालोद, कोरिया और दंतेवाड़ा जैसे 5 जिलों में 6200 एकड़ क्षेत्र में लागू है। साथ ही, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर और गरियाबंद को पूर्ण जैविक जिला बनाने और 22 विकासखंडों को जैविक विकासखंड में बदलने का लक्ष्य है। चयनित क्लस्टर में 10,000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से प्रदर्शन आयोजित किए जाते हैं।

3. द्विफसलीय क्षेत्र विस्तार (रबी फसल प्रदर्शन)

रबी सीजन में फसल उत्पादन को बढ़ाने के लिए यह योजना है। गेहूं, चना, मटर और मसूर की खेती के लिए 5000 रुपये प्रति हेक्टेयर, सरसों और सूरजमुखी के लिए 4000 रुपये प्रति हेक्टेयर, और अलसी, अरंडी, कुसुम, तिवड़ा के लिए 3000 रुपये प्रति हेक्टेयर का अनुदान मिलता है। इससे किसान साल में दो फसलें आसानी से उगा सकते हैं।

4. ग्रीष्मकालीन धान के बदले दलहन/तिलहन/मक्का

गर्मी के मौसम में धान की जगह दलहन, तिलहन या मक्का उगाने वाले किसानों को 2000 रुपये प्रति एकड़ (अधिकतम 2 हेक्टेयर) का अनुदान मिलता है। इससे पानी की बचत होती है और मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है।

5. पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन

धान की रोपाई के लिए पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए 4 हेक्टेयर के क्लस्टर में 3000 रुपये प्रति एकड़ (अधिकतम 2 हेक्टेयर) का अनुदान दिया जाता है। इससे समय और मेहनत दोनों की बचत होती है।

6. कृषक उन्नति योजना

इस योजना में किसानों को धान की बिक्री पर मिलने वाली कीमत और 3100 रुपये के बीच के अंतर की राशि दी जाती है। इससे किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम मिलता है और उनकी आय बढ़ती है।

Rajya Poshit Yojna 2025 -DBT
Rajya Poshit Yojna 2025 -DBT

कृषि विभाग की ये सभी योजनाएं DBT के जरिए किसानों तक पहुंच रही हैं, जिससे पारदर्शिता, समयबद्ध भुगतान और खेती में मशीनों का इस्तेमाल बढ़ा है। इन योजनाओं से छोटे से लेकर बड़े किसानों तक, सभी वर्गों को फायदा हो रहा है। सरकार का मकसद है कि हर किसान सशक्त हो और खेती से उसकी जिंदगी बेहतर बने। अगर आप कृषक उन्नति योजना का लाभ लेना चाहते हैं, तो अपने आधार से जुड़े बैंक खाते को तैयार रखें और स्थानीय कृषि विभाग से संपर्क करें।


डिस्क्लेमर:
यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है और इसमें दी गई जानकारी राज्य सरकार और कृषि विभाग की योजनाओं पर आधारित है। योजनाओं के नियम, शर्तें और अनुदान की राशि में समय-समय पर बदलाव हो सकता है। सटीक और नवीनतम जानकारी के लिए कृपया अपने नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय या संबंधित सरकारी वेबसाइट से संपर्क करें।

इस लेख का उद्देश्य सिर्फ जागरूकता बढ़ाना है और इसे किसी भी तरह के कानूनी या आधिकारिक दस्तावेज के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

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