Tamatar ki kheti : टमाटर की ये किस्म लगाए लाखों रुपये कमाएँ !
वैसे टमाटर फसल की पहली बार पैदावार दक्षिण अमेरिका की गई थी। अब वर्तमान में tamatar ki kheti भारत में वृहद् रूप में की जाती है और यह देश महत्तवपूर्ण व्यापारिक फसल बन गयी है। वैसे देखा जाय तो सब्जी की खेती में दुनिया भर में आलू के बाद टमाटर की खेती दूसरे नंबर की सब से महत्तवपूर्ण फसल है। क्योकि इसे आप कच्चा में सलाद में और पकाकर भी खाया जा सकता है। टमाटर में विटामिन ए, सी, पोटेशियम और अन्य खनिज पदार्थ का भरपूर मात्रा में पाया जाता है और इसे इनका बेहतर स्रोत माना जाता है ।
सामन्यतः इसका सब्जी में तो उपयोग करते ही है लेकिन इसका प्रयोग जूस, सूप, पाउडर और कैचअप बनाने के लिए भी व्यापारिक तरीके से किया जाता है। हमारे देश में टमाटर की खेती प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, बिहार, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, महांराष्ट्र, और पश्चिमी बंगाल में की जाती है और अच्छी पैदावार की जाती है।
- उपयुक्त जलवायु :-
- Tamatar ki kheti के लिए भूमि का चुनाव कैसे करें ?
- टमाटर की खेती का सही समय -
- अधिक उत्पादन देने वाली टमाटर की किस्में :-
- नर्सरी में टमाटर के पौधों को कैसे तैयार करे-
- कैसे करे खेत की तैयारी:-
- उर्वरक और खाद का उपयोग:-
- बीज की मात्रा और बुवाई:-
- पौध रोपाई कैसे करें ?
- टमाटर खेती में सिंचाई कब कब करें -
- पौधों का स्टेकिंग करना :-
- खरपतवार नियंत्रण :-
- फलों की तुड़ाई कब करें :-
उपयुक्त जलवायु :-
दोस्तों यदि आलू, गोभी के बाद यदि कोई सब्जी का जिक्र किया जाता है तो वह है टमाटर। क्योकि सब्जियों का जायका बढ़ाने में टमाटर काफी मददगार होता है। इसके साथ ही टमाटर त्वचा की देखभाल के लिए भी प्रयोग किया जाता है। टमाटर एक सेंसेटिव फसल होने के कारण tamatar ki kheti पाला नहीं सहन कर सकती है।
टमाटर की खेती हेतु तापमान 18 से 27 डिग्री से.ग्रे. उपयुक्त होती है। tamatar ki kheti के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण है पकने का समय इस समय 21-24 डिग्री से.ग्रे तापक्रम पर टमाटर मे लाल रंग सबसे अच्छा विकसित होता है। इन्ही वजहों से सर्दियो मे टमाटर मीठे और गहरे लाल रंग के होते है। लेकिन तापमान 38 डिग्री से.ग्रे. से अधिक होने पर टमाटर अपरिपक्व फल एवं फूल गिर जाते है।
Tamatar ki kheti के लिए भूमि का चुनाव कैसे करें ?
वैसे टमाटर की खेती अलग-अलग मिट्टी की किस्मों में की जा सकती है। इसके लिए उचित जल निकास वाली बलुई दोमट भूमि उपयुक्त होती है,जिसमे पर्याप्त मात्रा में जीवांश उपलब्ध होती है। इसके अतिरिक्त रेतली, चिकनी, काली, लाल मिट्टी में tamatar ki kheti किया जा सकता है जिसमें पानी के निकास का सही प्रबंध हो।इसके लिए मिट्टी की पी एच मान 7 से 8.5 होनी चाहिए।
Tamatar ki kheti खारी मिट्टी में भी किया जा सकता है। हां लेकिन ज्यादा तेजाबी मिट्टी में खेती ना करें। वैसे यदि आप टमाटर अगेती फसल लेना चाहते है तो इसके लिए हल्की मिट्टी लाभदायक है, जबकि अच्छी पैदावार के लिए चिकनी, दोमट और बारीक रेत वाली मिट्टी बहुत अच्छी होती है।
टमाटर की खेती का सही समय –
Tamatar ki kheti में अधिक उत्पादन और आमदनी प्राप्त करने के लिए सही समय पर खेती करना महत्त्वपूर्ण है। वैसे हमारे देश में टमाटर की खेती साल में दो बार की जाती है. पहली खेती जुलाई और अगस्त से शुरू होकर फरवरी और मार्च तक चलती है. वही साल का महत्त्वपूर्ण और टमाटर दूसरी खेती नवंबर-दिसंबर से लेकर जून-जुलाई तक की जा सकती है|
अधिक उत्पादन देने वाली टमाटर की किस्में :-
वैसे आज कल बाजारों में Tamatar ki kheti के लिए कई किस्मे मिल जाती है | ये किस्मे अलग – अलग वातावरण और जलवायु के लिए उपयुक्त होती है | इसके अतिरिक्त व्यावसायिक दृष्टि की खेती के लिए टमाटर की विभिन्न संकर (Hybrid) किस्मे भी मौजूद है जिनका कृषक उपयोग कर अधिक पैदावार और आमदनी कमा सकते है | टमाटर की खेती से अच्छी आमदनी कमाने के लिए ऐसी ही कुछ किस्मों (Varieties) की संग्रह किया गया है:-
टमाटर की खेती में अच्छी उत्पादन देनी वाली देशी किस्म- पूसा रूबी, पूसा – 120, पूसा शीतल, पूसा गौरव , अर्का सौरभ , अर्का विकास और सोनाली है। जिसकी किसान भाई खेती कर अच्छी आमदनी कमा सकते है।
टमाटर की व्यावसायिक दृष्टि लिए अधिक उत्पादन देने वाली संकर किस्म- पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड -2, पूसा हाइब्रिड -4, अविनाश-2, रश्मि तथा निजी क्षेत्र से शक्तिमान, रेड गोल्ड, 501, 2535 उत्सव, अविनाश, चमत्कार, यू.एस. 440 आदि।
नर्सरी में टमाटर के पौधों को कैसे तैयार करे-
टमाटर की खेती से अच्छी आमदनी लेने के लिए के बीजो को खेत में सीधा न डाले,बल्कि नर्सरी में पौधा तैयार करें | इसके लिए बेड में बीज बोवाई से पहले उपयुक्त मिट्टी को एक महीना धुप में खुला छोड़ दे। ताकि मिटटी कीट और रोगाणु रहित हो जाए। इसके बाद नर्सरी लगाने के लिए बेड को 1.5 सेमी चौड़े औरऔर 20 सैं.मी. ऊंचे बैडों तैयार करें और बीज की बोवाई करें।
बिजाई के बाद बैडों को प्लास्टिक शीट से ढककर रखें। नमी बनाये रखने के लिए समय-समय पर सिंचाई करें। नर्सरी में 10-15 दिन बाद 19:19:19 के साथ सूक्ष्म तत्वों की 2.5 से 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर स्प्रे करें।
नर्सरी में यदि कोई पौधे प्रभावित या क्षतिग्रस्त हो तो उसे निकाल दे स्वस्थ पौधे ही रखे। नर्सरी में पौधों को स्वस्थ और मजबूत बनाये रखने के लिए नर्सरी लगाने के 20 दिन बाद लीहोसिन 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर स्प्रे करें।
कैसे करे खेत की तैयारी:-
Tamatar ki kheti के लिए खेत की अच्छी जोताई करने की आवश्यकता होती है साथ ही मिट्टी भुरभुरी और खेत समतल कर ले । वैसे खेत की मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए कल्टीवेटर या देशी हल से 4-5 बार जोताई कर ले । फिर मिट्टी को समतल करने के लिए पाटा चलाये ।
उर्वरक और खाद का उपयोग:-
यदि आप साधारण तरीके से खेती करते हैं तो फिर कोई भी न्यूट्रिशन की पूर्ति करने से पहले बहुत ज्यादा जरूरी है कि आप फसल की केयर कैसे करते हैं, कैसे आपकी भूमि है, कैसी आपकी स्वायल है, मिट्टी कितने दिन तक पानी को पकड़कर रखती है.
क्योकि मिट्टी का आधार में बेसल डोज बहुत ज्यादा जरूरी होता है तो बेसल डोज पर कुछ खाद देना बहुत ज्यादा जरूरी है.
वैसे जुताई के समय प्रति एकड़ के हिसाब से चार ट्रॉली गोबर की खाद, पाँच क्विंटल सरसों की खली, तीन किलोग्राम बोरेक्स पाउडर लेना है और 150 किलोग्राम एसएसपी सिंगल सुपर फास्फेट जो पाउडर फॉम वाली खाद आती है और 10 किलोग्राम रीजेंट जीआर एमओपी, म्यूरेट ऑफ पोटाश 25 किलोग्राम इन सभी को मिक्स करना है।
आखिरी बार हल से जोताई करते समय इसमें अच्छी किस्म की रूड़ी की खाद और कार्बोफिउरॉन 4 किलो प्रति एकड़ या नीम केक 8 किलो प्रति एकड़ डालें।
बीज की मात्रा और बुवाई:-
सामान्यतः एक हेक्टेयर क्षेत्र में tamatar ki kheti के लिए या टमाटर फसल उगाने के लिए नर्सरी तैयार करने हेतु लगभग 350 से 400 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। जबकि प्रति हेक्टेयर संकर किस्मों की 150-200 ग्राम बीज की मात्रा पर्याप्त रहती है।वैसे लगभग महीने भर में नर्सरी के पौधे खेतों में लगाने लायक तैयार हो जाते हैं।
पौध रोपाई कैसे करें ?
टमाटर की खेती के लिए लगभग बीज बोवाई के 25 से 30 दिन बाद नर्सरी वाले पौधे तैयार हो जाते हैं और इनके 3-4 पत्ते निकल आते हैं। यदि देरी से ( 30 दिन बाद ) नर्सरी से पौधों को खेत में लगा रहे है तो इसे उपचार कर खेत में लगायें। उपचार के लिए पौधों को मैटालैक्सिल 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में 2-3 बार भिगोयें।नर्सरी से पौधों को उखाड़ने से पहले लगभग 24 घंटे पहले बैडों को पानी लगायें ताकि पौधे आसानी से उखाड़े जा सकें।
तैयार खेत में टमाटर के पौधों को कतार से कतार की दुरी 75 से.मी. रखें एवं पौधों से पौधों की दूरी 60 से.मी रखते हुए पौधो की रोपाई करे। इसके साथ ही फूल खिलने की अवस्था में फल भेदक कीट से बचाव के लिए मेंड़ों पर चारों तरफ गेंदा की रोपाई करें । क्योकि फल भेदक कीट टमाटर की पौधों के बजाय गेदें की फलियों / फूलों में अधिक अंडा देते है।
खेत में रोपाई लगने वाले पौधे बात करें, तो सामान्यतः एक एकड़ खेत में करीब 6,000 पौधे लगाए जा सकते हैं. और टमाटर के पौधों में फल लगने की बात करें ,तो खेतों में पौधे लगने के करीब 2 से 3 महीने बाद फल आना शुरू हो जाता है और टमाटर की फसल लगभग 9 से 10 महीने तक चलती है.
टमाटर खेती में सिंचाई कब कब करें –
यदि आप टमाटर की खेती सर्दियों मे करते है ,तो 10 से 15 दिन के अन्तराल से और गर्मियों में 6 से 7 दिन के अन्तराल से हल्का सिंचाई करें। यदि आपके पास संभव हो सके तो सिंचाई ड्रिप इरीगेशन द्वारा करे। वैसे प्रारम्भ में खेत की सिंचाई खेत में पौधे लगाने के साथ ही कर देना उचित माना जाता है,क्योकि जब तक पौधे अंकुरित न हो जाये तब तक खेत में नमी बनी रहनी चाहिए |
साथ ही पौधों के अंकुरित हो जाने पर नष्ट हुए पौधों को बाहर निकाल देना चाहिए |और जब टमाटर के पौधे से फूल निकल आये तब पानी की मात्रा को सामान्य रखे जिससे फूल ख़राब होने से बच जाये | जब पौधे में फल बनने लगे तब पानी की मात्रा को बढ़ा देना चाहिए ताकि फसल अच्छे से वृद्धि कर सके और जिससे अच्छी उपज प्राप्त हो सके।
पौधों का स्टेकिंग करना :-
टमाटर की खेती से अधिक उपज प्राप्त करने के लिए महत्त्वपूर्ण है स्टेकिंग यानि कि मिट्टी चढाना व पौधों को सहारा देना। टमाटर के पौधों में फूल आने के समय पौधो मे मिटटी चढाना एवं सहारा देना आवश्यक होता है। विशेषकर टमाटर की लम्बी बढने वाली किस्मो को विशेष रूप से सहारा देने की आवश्यकता होती है।
क्योकि टमाटर के पौधो को सहारा देने से फल मिटटी और पानी के सम्पर्क मे नही आ पाते जिससे फल सडने की समस्या नही होती है।पौधों को सहारा देने के लिए रोपाई के 30 से 45 दिन के बाद बांस या लकडी के डंडो मे अलग अलग ऊंचाइयों पर छेद करके तार बांधे,फिर पौधो को तारो के सहारे सुतली से बांधे। और इसी प्रक्रिया को स्टेकिंग कहा जाता है ।
खरपतवार नियंत्रण :-
टमाटर खेती में खरपतवार नियंत्रण के लिए पौध रोपण के 30 दिन बाद एक हाथ से निराई-गुड़ाई करके पूर्व शाकनाशी के रूप में पेंडिमेथालिन 1.0 किग्रा ए.आई. प्रति हेक्टेयर या फ्लुक्लोरालिन 1 किग्रा ए.आई. प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें।
खरपतवार वृद्धि को रोकने के लिए मल्चिंग करें ,इसके लिए लो डेंसिटी पॉलीथीन (एलडीपीई) शीट की दोनों सिरों को 10 सेमी की गहराई तक मिट्टी में गाड़कर मल्चिंग करने से खरपतवार की वृद्धि नहीं होगी।
यदि आप बिना मल्चिंग के टमाटर की खेती करते है ,तो आवश्यकतानुसार फसलो की निराई-गुड़ाई करें। इसके साथ ही ध्यान रखे फूल और फल बनने की अवस्था मे निंदाई-गुडाई नही करनी चाहिए।
रासायनिक दवा के रूप मे खरपतवार नियंत्रण करने के लिए खेत तैयार करते समय फ्लूक्लोरेलिन (बासालिन ) या रोपाई के 7 दिन के अंदर पेन्डीमिथेलिन छिडकाव करे।
फलों की तुड़ाई कब करें :-
वैसे टमाटर फलों की तुड़ाई उसकी उपयोगिता और बाजार की निर्भरता पर निर्भर करती है। और जब टमाटर नजदीक के बाजार बेचना हो तो जब फलों का रंग हल्का लाल होना शुरू हो उस अवस्था मे फलों की तुडाई करें। तुड़ाई के बाद ख़राब फलो, कीट व व्याधि ग्रस्त फलो ,दागी फलो और छोटे आकार के फलो को छाटकर अलग करें। साफ़ सुथरे फलों को कैरेट मे भरकर अपने निकटतम सब्जी मण्डी मे अच्छा भाव बेचें। वैसे टमाटर की औसत उपज 160 -200 क्विंटल प्रति एकड़ होती है तथा संकर टमाटर की उपज 300 से 350 प्रति एकड़ तक हो सकती है ।
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