दोस्तों, हम सभी जानते हैं कि खाद या उर्वरक (Fertilizers) पौधों का राशन है, जिससे वे अपना भोजन तैयार करते हैं। इसलिए हर तरह की खेती में खाद (Fertilizers) का विशेष महत्व है। लेकिन इस आधुनिक युग में खाद के इतने प्रकार हैं कि हर किसान हमेशा असमंजस की स्थिति में रहता है कि किस फसल में कौन सी खाद और कितनी मात्रा में डाली जाए।
हालांकि, मिट्टी में इस्तेमाल होने वाले उर्वरकों के निरंतर उपयोग के कारण किसान डीएपी, यूरिया, एसएसपी और एमओपी जैसे उर्वरकों को कुछ हद तक जानते हैं, लेकिन ड्रिप या स्प्रे के माध्यम से दिए जाने वाले घुलनशील उर्वरकों (Soluble Fertilizers) जैसे 19:19:19, 12:61:0, 13:0:45, 0:52:34, 17:44:0, 0:0:50 आदि के बारे में किसानों की जानकारी बहुत कम और अधूरी है।
इस जानकारी के बिना आपके मन में कई तरह के सवाल उठेंगे, जिनका जवाब आपको नहीं मिलेगा। जैसे कि बुवाई के समय डीएपी उपलब्ध न हो या किसी कारणवश खाद न मिल पाए। तो फिर फसल की जरूरतें कैसे पूरी होंगी? ऐसे सवालों के जवाब और घुलनशील उर्वरकों(Soluble Fertilizers)के बारे में विस्तृत जानकारी के साथ-साथ इस ब्लॉग पोस्ट में आपको हर तरह की फसल के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घुलनशील उर्वरकों के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी।
चूँकि किसानों के बीच एनपीके घुलनशील खादों के बारे में भ्रम रहती है , तो आईये जानते वास्तव घुलनशील खादों के भ्रम को तोड़ते है –
एनपीके खादों (NPK Fertilizers) के बारे में भ्रम को तोड़ना :-
तो दोस्तों, हम एक भ्रम को तोड़कर शुरुआत करेंगे। दोस्तों, एनपीके की संख्या को देखते हुए, लोगों को लगता है कि इन घुलनशील उर्वरकों में केवल नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश होगा। उदाहरण के लिए, एनपीके 19:19:19 नाम सुनकर, हमें लगता है कि इसमें 19 प्रतिशत नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश है, जबकि वास्तव में इसमें क्लोरीन, सोडियम, बोरॉन, जिंक और अन्य तत्व भी मौजूद हैं।
लेकिन उनकी मात्रा 1 प्रतिशत से कम या पीपीएम में है, इसलिए उन्हें नहीं दिखाया गया है। लेकिन 1 प्रतिशत से कम उपलब्ध इन तत्वों की उपस्थिति यह तय करती है कि किस कंपनी का एनपीके बेहतर है। उदाहरण के लिए, घुलनशील उर्वरक में क्लोरीन और सोडियम की मात्रा जितनी कम होगी, वह उतना ही बेहतर है। इसी तरह, घुलनशील उर्वरक का सॉल्ट इंडेक्स जितना कम होगा, वह मिट्टी के लिए उतना ही बेहतर है।
लेकिन दोस्तों, इस घुलनशील खाद (Soluble Fertilizers) के बारे में बाजार में हर कोई सिर्फ इसके फायदे ही बताते है, कमियां नहीं। इसलिए अगर कोई कंपनी इस बात का ध्यान रखती भी है तो वो ये बता देती है कि उसके खाद में क्लोरीन या सोडियम नहीं है या उसका साल्ट इंडेक्स कम है।
जो कंपनियां इस बात पर ध्यान नहीं देती वो ये सब बातें बताती ही नहीं हैं, इसलिए एक समझदार किसान को NPK खरीदते समय हमेशा ये अतिरिक्त बातें जान लेनी चाहिए, तभी आप इतने सारे खादों में से सबसे अच्छा खाद ढूंढ पाएंगे।
Top 5 Soluble Fertilizers for Crops:-
दोस्तों, हर एनपीके के अपने कुछ गुण होते हैं, इसलिए आइए सबको एक-एक करके जानते है –
(1) संतुलित एन.पी.के. :-
संतुलित एन.पी.के जैसे 18:18:18, 19:19:19, और 20:20:20 इत्यादि। इन संतुलित एनपीके खादों (Balanced NPK fertilizers) में सबसे प्रसिद्ध 19:19:19 है और मिक्स खाद का यह सबसे अच्छा रूप है। क्योंकि इसमें नाइट्रोजन तत्व तीनों रूपों में मौजूद होता है यानी एमाइड, अमोनिकल और नाइट्रिक रूपों में।
इसलिए यह नाइट्रोजन लंबे समय तक पौधों में काम करता है। इसके साथ ही इसमें बराबर मात्रा में फास्फोरस और पोटाश होने के कारण इस खाद से पौधे का संपूर्ण विकास होता है। इसलिए पौधरोपण के बाद हर कोई इसी संतुलित एनपीके की सलाह देते है।
इसलिए पौधरोपण के बाद हर कोई इसी संतुलित एनपीके की सलाह देते है, यानि हर फसल की पहली खाद के लिए यह सबसे अच्छा विकल्प है ,लेकिन फलदार वृक्षों पर इसका छिड़काव फल लेने के बाद करना चाहिए क्योंकि बागवानी में यही से अगले सीजन की शुरुआत होती है।
दोस्तों वैसे तो बैलेंस एन.पी.के. को फसल अवधि के दौरान ,कभी भी दिया जा सकता है, लेकिन इसका ज्यादातर इस्तेमाल फूला अवस्था तक ही सीमित रहता है। क्योंकि फूल अवस्था के बाद कई तत्वों की जरूरत काफी बढ़ जाती है और इसलिए उस समय दूसरे विकल्प दिए जाते हैं जिनको आप आगे जानेंगे –
अगला विकल्प एनपीके 12:61:0: मोनो अमोनियम फॉस्फेट है।
(2) मोनो अमोनियम फॉस्फेट :-
अगला विकल्प यानी NPK 12:61:0 जिसे वैज्ञानिक भाषा में मोनो अमोनियम फॉस्फेट कहते हैं, इसमें 12 प्रतिशत अमोनिकल नाइट्रोजन और 61 प्रतिशत फॉस्फोरस पेंटॉक्साइड होता है। यानी इसमें 12 प्रतिशत नाइट्रोजन और 61 प्रतिशत फॉस्फोरस होता है।
दोस्तों, 12:61:0 NPK में फॉस्फोरस की मात्रा सबसे ज़्यादा होती है। अन्य सभी तरह के घुलनशील उर्वरकों (Soluble Fertilizers) की तुलना में इसमें मौजूद अमोनिकल नाइट्रोजन मिट्टी और पानी के pH को कम करता है, इसलिए पौधे अम्लीय माध्यम में इस फॉस्फोरस को जल्दी ग्रहण कर पाते हैं।
तो चाहे आपके पौधों में फूल गिरने की समस्या हो या कम फल या उत्पादन में कमी, तो NPK इन सभी समस्याओं का इलाज है। इसके साथ ही यह तनों को भी मज़बूत बनाता है और जड़ों को भी बढ़ाता है और इसलिए यह NPK आपको फूल आने की अवस्था में हमेशा चमत्कार दिखाएगा।
इसके अलावा इस फॉर्मूले में क्लोरीन की मात्रा भी बहुत कम होती है। इसलिए तटीय क्षेत्रों के लिए यह फॉस्फोरस का एक बेहतरीन स्रोत है या अगर आपकी मिट्टी या पानी का pH ज़्यादा है, तो भी यह आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है।
(3) एनपीके 0:52:34:-
एनपीके 0:52:34, जिसे वैज्ञानिक भाषा में मोनो पोटैशियम फॉस्फेट कहते हैं, इसमें 52 प्रतिशत फॉस्फोरस और 34 प्रतिशत पोटाश होता है। यह फॉर्मूला क्लोरीन से भी मुक्त है और तटीय क्षेत्रों के लिए भी उपयुक्त है।
इस एनपीके के सबसे अच्छे परिणाम तब मिलते हैं जब इसे पौधों की चार मुख्य अवस्थाओं के समय दिया जाता है। ये चार अवस्थाएँ हैं – फूल आने से पहले, फूल आने की अवस्था के दौरान, फल लगने के दौरान और फल विकसित होने के दौरान।
दोस्तों, इस समय फसल में कई तरह की बीमारियाँ भी लगती हैं। अगर आप किसी सिस्टमिक फफूंदनाशक के साथ इस एनपीके का एक प्रतिशत घोल देते हैं तो इससे दवा की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है और इसलिए यह एनपीके हाल के दिनों में बहुत मशहूर हो गया है।
दोस्तों यह एनपीके खाद ( NPK fertilizers) न सिर्फ बीमारियों से बचाता है बल्कि फसल की चमक, वजन और स्वाद भी बढ़ाता है। जिससे आपको पैदावार का अच्छा दाम मिलेगा, इसलिए इन अवस्थाओं में एक बार इसे आजमा कर देखें, आपको खुद फर्क नजर आएगा।
(4) एनपीके 13:0:45 :-
एनपीके 13:0:45 जिसे वैज्ञानिक भाषा में पोटैशियम नाइट्रेट भी कहते हैं, इसमें 13.5 प्रतिशत नाइट्रिक नाइट्रोजन तथा 45 प्रतिशत पोटैशियम ऑक्साइड यानि पोटाश होता है। इसका प्रयोग फूल आने के बाद फल भरने के दौरान सबसे उपयुक्त होता है।
इस एनपीके खाद ( NPK fertilizers) में सोडियम और क्लोरीन भी बहुत कम मात्रा में मौजूद होता है और इसका पीएच न्यूट्रल यानि सात के आसपास होता है, इसलिए इसका प्रयोग हर प्रकार की फसल में किया जा सकता है। इस एनपीके के प्रयोग से पौधे जड़ों से कैल्शियम और मैग्नीशियम को अच्छे से अवशोषित कर पाते हैं और पोटैशियम आयन यानि K+ सोडियम के जहर को भी बेअसर कर देता है।
इसके साथ ही यह पौधों को जैविक और अजैविक तनाव से भी बचाता है यानि पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है और सबसे महत्वपूर्ण कार्य भोजन को इधर-उधर पहुंचाना होता है। क्योंकि जब तक भोजन यानि ग्लूकोज पत्तियों तक नहीं पहुंचेगा, तब तक दाना नहीं भरेगा।
इसलिए फसल पकने के दौरान पोटाश की बहुत जरूरत होती है और इस एनपीके उर्वरक (NPK fertilizers)में मौजूद हल्का नाइट्रोजन पत्तियों को भी स्वस्थ रखता है। इसलिए, पोटाश के स्रोत के रूप में 13:0:45, 0:0:50 और 0:0:60 से बेहतर प्रतीत होता है।
(5) एनपीके 0:0:50: पोटेशियम सल्फेट:-
एनपीके 0:0:50 में 50 प्रतिशत पोटाश और 17 प्रतिशत सल्फर होता है। इस एनपीके का साल्ट इंडेक्स अन्य पोटाश उर्वरकों से कम है, इसलिए यह मैदानी क्षेत्रों के साथ तटीय क्षेत्रों के लिए भी उपयुक्त है।
दोस्तों, फसल में फूल आने के बाद यह एनपीके उर्वरक (NPK fertilizers) देने से फसल फफूंद जनित रोगों से भी सुरक्षित रहती है।सल्फर के कारण इसमें पोटाश के सभी गुण भी दिखेंगे जैसे उपज में वृद्धि, स्वाद में वृद्धि और आंतरिक क्षमता में विकास कुछ प्रमुख कार्य हैं।
घुलनशील खाद (soluble fertilizers) की स्प्रे मात्रा एवं समय :-
दोस्तों हमारी मिट्टी में कैल्शियम की कोई कमी नहीं है लेकिन इतना कैल्शियम भी नहीं है कि लगातार फल देने वाले पौधों की जरूरत पूरी हो सके और यही कारण है कि अनाज वाली फसलों में बीमारियों का प्रकोप सब्जियों और फूलों की तुलना में कम होता है।
अगर आप सब्जियों की खेती करते हैं, तो मिट्टी में जिप्सम और स्प्रे के जरिए कैल्शियम नाइट्रेट डालने से आपको काफी स्वस्थ फसल मिलेगी।
दोस्तों शुरुआत में हर 15 दिन में कैल्शियम नाइट्रेट देना और 3 महीने बाद 30 दिन में एक बार देना काफी है।
ध्यान रहे दोस्तों, कैल्शियम की कमी से पौधों पर फूल भी मरने लगते हैं और बाहर भी इस समस्या का समाधान कैल्शियम नाइट्रेट ही है।
दोस्तों, बागवानी में घुलनशील खाद (soluble fertilizers) को पौधों के हिसाब से देना चाहिए, न कि प्रति एकड़ खुराक के हिसाब से, क्योंकि पौधों की स्प्रे से पोषक तत्वों को सोखने की क्षमता पत्तियों की संख्या और आकार पर निर्भर करती है।
इसलिए पहले महीने में सभी एनपीके उर्वरक (NPK fertilizers) की मात्रा एक ग्राम प्रति लीटर ही रखनी चाहिए।
इसी प्रकार दूसरे महीने में मात्रा 2 ग्राम प्रति लीटर तथा तीसरे महीने में 3 ग्राम प्रति लीटर तक रखनी चाहिए, चाहे फसल कोई भी हो।
इसी प्रकार फूल आने की अवस्था के बाद 5 ग्राम प्रति लीटर की मात्रा उचित रहती है तथा 5 ग्राम प्रति लीटर से अधिक मात्रा सामान्य बैट ट्री स्प्रेयर का प्रयोग करके नहीं देनी चाहिए,
लेकिन यदि आप बूम स्प्रेयर या किसी अन्य मशीन द्वारा संचालित पंप का प्रयोग करते हैं, तो फूल आने की अवस्था के बाद फल, फूल, अनाज तथा सब्जियों में 10 ग्राम प्रति लीटर तक की मात्रा महीने में एक बार दी जा सकती है।
हालांकि कई कंपनियां इससे अधिक मात्रा भी बताती हैं, जैसे 30 ग्राम प्रति लीटर तक, लेकिन मेरे अनुभव के अनुसार यह मात्रा केवल पेड़ों के लिए ही उपयुक्त है अथवा बागवानी के लिए उचित है ,लेकिन छोटे पौधों अथवा सामान्य फसलों के लिए यह उचित मात्रा नहीं है। यदि आप ऐसी फसलों को अधिक मात्रा देना चाहते हैं, तो कृपया पैच टेस्ट अवश्य करें।
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दोस्तों, आपको एनपीके को एक दूसरे के साथ मिलाने अथवा एनपीके में कुछ और मिलाने के बारे में हजारों प्रश्न मिलते हैं तथा कई लोगों ने इसके बारे में कई भ्रांतियां भी फैला रखी हैं, जिसका कारण अधूरा ज्ञान है।
दोस्तों, मिट्टी में खाद डालने और स्प्रे से खाद डालने में बहुत अंतर है, क्योंकि मिट्टी में डाले जाने वाले खाद जैसे कि यूरिया, डीएपी, मोपैक, एनपीके 12:32:16 आदि धीमी गति से निकलने वाली तकनीक पर आधारित हैं।
धन्यवाद !!