Trump Tariff aur bharat ki agriculture and food processing : भारत का खाद्यान्न उत्पादन 33 करोड़ टन से ज्यादा होने का अनुमान है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और कृषि निर्यात ट्रंप की टैरिफ चुनौती का जवाब देने के लिए तैयार हैं। जानिए कैसे भारत की खेती और ग्रामीण अर्थव्यवस्था देश की ताकत बन रही है.

Trump Tariff aur Bharat ki agriculture and food processing :
दोस्तों, आज हम बात करेंगे भारत की खेती और खाद्य प्रसंस्करण की उस ताकत की, जो न सिर्फ देश को खाद्यान्न की कमी से बचाती है, बल्कि ट्रंप की टैरिफ चुनौती जैसे बड़े आर्थिक झटकों का भी जवाब देने की कूवत रखती है। साल 2024-25 में भारत का खाद्यान्न उत्पादन 33 करोड़ टन से भी ज्यादा होने का अनुमान है। ये कोई छोटी-मोटी बात नहीं है! चावल, गेहूं, मक्का, मूंगफली, सोयाबीन, तुअर और चना जैसी फसलों का रिकॉर्ड उत्पादन होने की उम्मीद है। इतना ही नहीं, फल और सब्जियों का उत्पादन भी तेजी से बढ़ रहा है।
इसके साथ-साथ, खाद्य प्रसंस्करण यानी फूड प्रोसेसिंग का सेक्टर भी भारत की आर्थिक ताकत का एक बड़ा हथियार बन रहा है। ये सेक्टर न सिर्फ देश की जीडीपी में योगदान दे रहा है, बल्कि विदेशी निवेश और निर्यात के मामले में भी धमाल मचा रहा है। तो चलिए, इस पूरी कहानी को आसान और देसी अंदाज में समझते हैं।
भारत की खेती ने मारा छक्का!
पहले भारत को “भूखा देश” कहा जाता था। आज हम दुनिया का पेट भर रहे हैं। सरकार के अनुमान के मुताबिक, इस साल हमारा खाद्यान्न उत्पादन 33 करोड़ टन से ज्यादा होगा। इसमें चावल, गेहूं, मक्का, दालें और तिलहन शामिल हैं। सब्जियों और फलों का उत्पादन भी बढ़ रहा है।
ये सिर्फ संख्याएं नहीं हैं, बल्कि इसका मतलब है:
- किसानों की आमदनी बढ़ेगी।
- गांवों में रोजगार बढ़ेगा।
- देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
ट्रंप की टैरिफ चुनौती: क्या है माजरा?
अब बात करते हैं ट्रंप की टैरिफ चुनौती की। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और संभावित भविष्य के नेता डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ यानी आयात शुल्क बढ़ाने की बात कही है। इससे भारत जैसे देशों के निर्यात पर असर पड़ सकता है। लेकिन भारत इस चुनौती का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है। कैसे? क्योंकि हमारी खेती और खाद्य प्रसंस्करण का सेक्टर इतना मजबूत हो चुका है कि ये वैश्विक बाजार में अपनी धाक जमा सकता है।
2025 में वैश्विक स्तर पर खाद्यान्न उत्पादन में कमी की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में भारत का 33 करोड़ टन से ज्यादा का खाद्यान्न उत्पादन एक बड़ा मौका है। ट्रंप के टैरिफ से अगर जीडीपी में 3 से 3.5% की कमी भी आए, तो खाद्य प्रसंस्करण और कृषि निर्यात इसकी भरपाई कर सकते हैं।
फूड प्रोसेसिंग: भारत का गुप्त हथियार
फूड प्रोसेसिंग का मतलब है कच्चे अनाज, फल और सब्जियों को प्रोसेस करके उनकी वैल्यू बढ़ाना। जैसे:
- आम को कच्चा बेचने के बजाय जूस या अचार बनाकर बेचना।
- गेहूं से बिस्कुट या पास्ता बनाना।

इस सेक्टर में पिछले 10 साल में 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का विदेशी निवेश आ चुका है। यानी दुनिया भारत के फूड प्रोसेसिंग सेक्टर पर भरोसा करती है।
निर्यात में जबरदस्त बढ़त:-
2013-14 में भारत ने कृषि और प्रोसेस्ड फूड का 39 अरब डॉलर का निर्यात किया था। 2022-23 में ये बढ़कर 52 अरब डॉलर हो गया। अब तो प्रोसेस्ड फूड की हिस्सेदारी 24% तक पहुंच गई है। यानी हम सिर्फ कच्चा माल नहीं, बल्कि बना-बनाया सामान भी दुनिया को बेच रहे हैं।
2030 तक यह सेक्टर 700 अरब डॉलर का हो जाएगा।
2047 तक यानी आजादी के 100 साल पूरे होने तक यह 2150 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है!
चुनौतियां क्या हैं?
- कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउस की कमी।
- गांवों तक अच्छी टेक्नोलॉजी न पहुंचना।
- किसानों को सही दाम न मिलना।
लेकिन सरकार और प्राइवेट कंपनियां मिलकर इन समस्याओं को दूर कर रही हैं।
ट्रंप चाहे जितने टैरिफ लगा लें, भारत की खेती और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री अब इतनी मजबूत हो चुकी है कि वो हर चुनौती का सामना कर सकती है। हम न सिर्फ अपना पेट भर रहे हैं, बल्कि दुनिया को भी खिला रहे हैं। यही है नई भारत की ताकत!
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**FAQs:-
1. इस साल भारत कितना खाद्यान्न पैदा करेगा?
→ 33 करोड़ टन से ज्यादा।
2. ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी क्या है?
→ वो भारत से आयात होने वाले सामान पर ज्यादा टैक्स लगा सकते हैं।
3. फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में कितना FDI आया है?
→ पिछले 10 साल में 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा।
4. भारत कितना प्रोसेस्ड फूड एक्सपोर्ट करता है?
→ कुल कृषि निर्यात में इसकी हिस्सेदारी 24% है।
5. 2047 तक यह सेक्टर कितना बड़ा होगा?
→ 2150 अरब डॉलर तक!
डिस्क्लेमर:- यह आर्टिकल सिर्फ जानकारी के लिए है। इसमें दिए गए आंकड़े और अनुमान बदल सकते हैं। कोई भी निर्णय लेने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। लेखक या प्रकाशक किसी भी नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।