Agriculture Farming 2025:धान की खेती में दोगुनी पैदावार के लिए ये खाद अपनाये |

Use of PSB culture in farming: भारत में धान की खेती किसानों की आजीविका का आधार है, लेकिन बढ़ती लागत और मिट्टी की घटती उर्वरता ने किसानों के लिए चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। रासायनिक खादों जैसे DAP (डाई-अमोनियम फॉस्फेट) पर निर्भरता न केवल खर्चीली है, बल्कि मिट्टी और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाती है। लेकिन अब छत्तीसगढ़ के कृषि वैज्ञानिकों ने एक ऐसी जैविक तकनीक विकसित की है, जो धान की पैदावार को दोगुना-तिगुना कर सकती है।

Agriculture Farming 2025

यह तकनीक है पीएसबी(फॉस्फोरस सॉल्यूबिलाइजिंग बैक्टीरिया), जो मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों को पौधों के लिए उपलब्ध कराता है। इस ब्लॉग में हम इस नवाचार के बारे में विस्तार से जानेंगे, और समझेंगे कि यह किसानों के लिए क्यों गेमचेंजर है।

PSB क्या है और यह कैसे काम करता है?

फॉस्फोरस सॉल्यूबिलाइजिंग बैक्टीरिया (PSB) एक जैविक खाद है, जिसमें विशेष बैक्टीरिया होते हैं जो मिट्टी में मौजूद फॉस्फोरस को घुलनशील बनाते हैं। रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों, विशेष रूप से डॉ. दिनेश पांडे और उनकी टीम, ने इस तकनीक को विकसित किया है। यह बैक्टीरिया मिट्टी में मौजूद फॉस्फेट को तोड़कर उसे पौधों के लिए आसानी से अवशोषित करने योग्य बनाता है।

आमतौर पर, जब किसान DAP या अन्य फॉस्फेटिक खाद डालते हैं, तो इसका केवल 25-30% हिस्सा ही पौधों को मिल पाता है। बाकी खाद मिट्टी में बेकार हो जाती है, जिससे किसानों का पैसा तो बर्बाद होता ही है, साथ ही मिट्टी की उर्वरता भी कम होती है। लेकिन PSB इस समस्या का समाधान करता है। यह न केवल फॉस्फोरस की उपलब्धता बढ़ाता है, बल्कि मिट्टी की जैविक संरचना को भी बेहतर बनाता है।

पीएसबी के प्रमुख लाभ:

  • कम लागत: रासायनिक खादों की तुलना में PSB सस्ता है और इसे एक बार उपयोग करने पर लंबे समय तक फायदा मिलता है।
  • मिट्टी की सेहत: यह मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।
  • बंपर पैदावार: वैज्ञानिकों के अनुसार, PSB के उपयोग से धान की पैदावार दोगुनी से तिगुनी हो सकती है।
  • पर्यावरण के लिए सुरक्षित: रासायनिक खादों के दुष्प्रभावों को कम करता है, जैसे जल प्रदूषण और मिट्टी का क्षरण।

PSB का उपयोग कैसे करें?

किसानों के लिए PSB का उपयोग करना बेहद आसान है। इसे खेत की अंतिम जुताई के समय मिट्टी में मिलाया जाता है। यहाँ एक सामान्य प्रक्रिया है:

  1. खेत की तैयारी: खेत की अंतिम जुताई से पहले सुनिश्चित करें कि मिट्टी में नमी हो।
  2. पीएसबी की मात्रा: प्रति एकड़ 5-10 किलोग्राम *PSB को गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट के साथ मिलाएं।
  3. मिट्टी में मिलाना: इस मिश्रण को खेत में समान रूप से बिखेरें और हल्की जुताई करें ताकि यह मिट्टी में अच्छे से मिल जाए।
  4. रोपाई: इसके बाद धान की रोपाई सामान्य तरीके से करें।

वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि PSB को जैविक खादों जैसे गोबर या वर्मीकम्पोस्ट के साथ मिलाकर उपयोग करने से इसका प्रभाव और बढ़ जाता है। यह तकनीक छत्तीसगढ़ के कई किसानों द्वारा आजमाई जा चुकी है और इसके परिणाम किसानों को अच्छा मिला हैं।

PSB की तुलना अन्य जैविक खादों से

PSB की तुलना अन्य जैविक खादों जैसे *राइजोबियम, **एजोटोबैक्टर, और *माइकोराइजा से की जा सकती है। ये सभी बैक्टीरिया-आधारित जैविक खादें हैं, लेकिन इसकी कार्यशैली अलग है:

  • राइजोबियम: यह नाइट्रोजन को फिक्स करने में मदद करता है और मुख्य रूप से दलहनी फसलों (जैसे चना, मटर) के लिए उपयोगी है।
  • एजोटोबैक्टर: यह भी नाइट्रोजन फिक्सेशन में मदद करता है, लेकिन इसे धान और गेहूं जैसी फसलों में उपयोग किया जाता है।
  • माइकोराइजा: यह जड़ों के साथ सहजीवन बनाकर पौधों को फॉस्फोरस और अन्य पोषक तत्व प्रदान करता है।
  • PSB: फॉस्फोरस को घुलनशील बनाने में माहिर है, जो धान जैसी फसलों के लिए बेहद जरूरी है।

इसलिए पीएसबी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह फॉस्फोरस की कमी को पूरा करता है, जो भारत की मिट्टी में आमतौर पर पाया जाता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अनुसार, देश की 60% से अधिक मिट्टी में फॉस्फोरस की कमी है, जिसे रासायनिक खादों से पूरा करना महंगा और हानिकारक है। लेकिन पीएसबी इस कमी को जैविक और किफायती तरीके से पूरा करता है।

Agriculture Farming PSB क्यों है जरुरी हैं ?

रासायनिक खादों की कीमतें पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी हैं। उदाहरण के लिए, DAP की एक बोरी (50 किलोग्राम) की कीमत 2025 में लगभग 1,350-1,500 रुपये है। एक एकड़ धान की खेती के लिए औसतन 2-3 बोरी DAP की जरूरत पड़ती है, जिसका खर्च 3,000-4,500 रुपये होता है। इसके विपरीत, PSB की लागत प्रति एकड़ 500-700 रुपये है, जो इसे किफायती बनाता है।

PSB* एक पर्यावरण-अनुकूल विकल्प है, जो मिट्टी के सूक्ष्मजीवों को बढ़ावा देता है और दीर्घकालिक उर्वरता को बनाए रखता है।यह मिट्टी में सक्रिय रहता है और अगली फसलों के लिए भी पोषक तत्व उपलब्ध कराता है। इससे किसानों को बार-बार खाद डालने की जरूरत कम होती है।

छत्तीसगढ़ के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने PSB का कई वर्षों तक परीक्षण किया है। उनके शोध के अनुसार, जिन खेतों में PSB का उपयोग किया गया, वहां धान की पैदावार में 20-30% की वृद्धि देखी गई।

वैसे पीएसबी टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं। भारत सरकार की प्राकृतिक खेती (Natural Farming) और जैविक खेती को बढ़ावा देने की योजनाओं के तहत पीएसबी को बड़े पैमाने पर अपनाया जा सकता है।

उदाहरण के लिए, केंद्र सरकार की परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) और राष्ट्रीय जैविक खेती मिशन में पीएसबी जैसे जैविक खादों को शामिल किया गया है।
इसलिए जहां धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है, वहां भी पीएसबी को अपनाने की संभावना है।

अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें और इस नई तकनीक का लाभ उठाएं।

स्रोत: इस लेख में दी गई जानकारी इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर, और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के सामान्य दिशानिर्देशों पर आधारित है।

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