मक्के की खेती में खरपतवारनाशी (herbicides) का प्रयोग खरपतवारों को नियंत्रित करने और फसल की अच्छी पैदावार सुनिश्चित करने के लिए महत्त्वपूर्ण है। चयनात्मक शाकनाशी वांछित खरपतवार को लक्षित करते हैं, जिससे मक्के के पौधों (Maize Crops) को नुकसान कम होता है। क्योकि इसमें समय महत्वपूर्ण है ।
खरपतवार के बीज के अंकुरण से पहले प्री इमर्जेन्स खरपतवारनाशक (pre-emergence herbicides) का उपयोग किया जाता है, और उगे हुए खरपतवारों के नियंत्रण के लिए पोस्ट इमर्जेन्स खरपतवारनाशक (post-emergence herbicides) का उपयोग किया जाता है। सावधानीपूर्वक शाकनाशी चयन और अनुप्रयोग तकनीकें मक्का फसल (Maize Crop) को नुकसान नहीं पहुँचाती बल्कि फसल की स्वस्थ विकास को बढ़ावा दे सकते हैं और कृषि उत्पादकता को बढ़ा सकते हैं।
खरपतवार होने से मक्का की फसल पर बहुत गहरा असर पड़ता है। कभी कभी ज्यादा खरपतवार होने से मक्का की फसल(Maize Crop) में 20 से 50% तक की कमी आ जाती है। जिन भाइयों ने अभी तक सफाई नहीं की है, प्लीज सफाई कर लीजिए। तो किसान भाइयों सबसे पहले हम कुछ साधारण बातें जान लेते हैं।
घासनाशक (Herbicides) दवा को स्प्रे करने के लिए सावधानियाँ :-
वैसे किसान भाइयों किसी भी घास नाशक दवा को स्प्रे करने के लिए पानी की मात्रा कम नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह आपने पानी की मात्रा कम कर दी।
तो पहली बात तो यह कि यदि आपके खेत में ज्यादा खरपतवार हैं तो सभी जगह आप अच्छे से स्प्रे नहीं कर पाएंगे जिससे कहीं कहीं खरपतवार रह जाते हैं जो मरते नहीं हैं।
दूसरी बात यह है कि कम पानी का घोल बनाने से घोल का जो कंसंट्रेशन होता है वह ज्यादा हो जाता है जो फसल को नुकसान पहुंचाता है।
कम पानी के साथ स्प्रे करने के कारण कभी कभी फसल काफी ज्यादा पीली पड़ जाती है। पीली पड़ने के साथ साथ पौधा भी गिरने लगता है या एक तरफ को झुक जाता है। किसान भाइयों यदि किसी के खेत में ऐसी दिक्कत आती है, तो आपको सबसे पहले अपने खेत में निराई करनी पड़ेगी और मक्के की जड़ों पर मिट्टी चढ़ानी पड़ेगी। उनको सीधा करना पड़ेगा, तब जाकर आपकी फसल सीधे बढ़ पाएगी।
इन सभी समस्याओं से बचने के लिए आप खरपतवार नाशक दवा डालते समय आपको ध्यान रखना पड़ेगा कि दवा की सही मात्रा डालें। सही मात्रा का घोल बनाएं और सही समय पर खरपतवार नाशक दवा का स्प्रे करें।
मक्का की फसल में खरपतवारनाशक (Herbicides) कब डालें ?
तो अब बात करते हैं कि मक्का की फसल में खरपतवार नाशक दवा कब डालनी चाहिए। तो भई यहां पर हम दो दवाइयां आपको बताने वाले हैं जो मक्का फसल पर खरपतवार नियंत्रण के लिए सबसे अच्छी कारगर हो सकती हैं। इसको उपयोग करने का सही समय जो होता है वो दो बार आप कर सकते हैं।
- पहली बार जो छिड़काव बुआई के 48 घंटे के अंदर करना होता है.
- और दूसरी बार जो बुआई के 20 दिन बाद करना होता है.
मक्का फसल पर खरपतवार नाशक छिड़काव करते समय ध्यान रखें कि छिड़काव के लिए फ़्लैट नोजल का ही प्रयोग करना चाहिए। यह अधिक प्रभावशाली होता है.और जब आप दवा को खेत में डालेंगे,तो 8 से 10 दिन बाद आपको अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे.जिससे आपकी घास मरती हुई दिखेगी।
किसान भाइयों अगर आप बुआई के तुरंत बाद इनका छिड़काव कर देंगे तो आपको दोबारा छिड़काव करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन अगर कुछ खरपतवार फिर भी उग आते हैं तो आप बुआई के 20 दिन बाद दोबारा इसका छिड़काव कर सकते हैं। या फिर अगर आप बुआई के समय या बुआई के बाद छिड़काव नहीं कर सकते तो बुआई के 20 दिन बाद भी छिड़काव कर सकते हैं. जिससे मक्के के खेत से खरपतवारों पर आसानी से नियंत्रण हो जाएगा.
लेकिन छिड़काव के बाद पांच घंटे तक बारिश नहीं होनी चाहिए. इसके लिए यह सुनिश्चित कर लें कि मौसम साफ हो और बारिश की कोई संभावना न हो.
खरपतवार नाशक एट्राजिन 50% WP का उपयोग :-
मक्के की फसल पर चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए आप एट्राजिन 50% WP शाकनाशी का 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं और इसका उपयोग करने का सही समय यह है कि आप इसे दो बार कर सकते हैं। पहली बार छिड़काव बुआई के 48 घंटे के अंदर करना है और दूसरी बार बुआई के 20 दिन बाद करना है और छिड़काव करते समय ध्यान रखें कि छिड़काव के लिए कटे हुए नोजल का ही प्रयोग करना चाहिए. जो अधिक प्रभावशाली है.
खरपतवार नाशक टेम्बोट्रियोन 34.4% डब्ल्यू/42% एससी का उपयोग :-
किसान भाइयों अब बात करते हैं दूसरी दवा की जिसका आपने नाम भी बहुत सुना होगा। हम बात कर रहे हैं टेम्बोट्रियोन 34.4% डब्ल्यू/42% एससी (बाजार नाम लॉडिस) यह बहुत ज्यादा प्रचलित है और बहुत ज्यादा इफेक्टिव भी है। बस इसको डालने का सही तरीका, सही समय यह पता आपको पता होना चाहिए।
तो आप इससे भी बहुत अच्छा रिजल्ट ले पाएंगे। इस खरपतवारनाशक को मक्का फसल उगने के 15 दिन बाद ही उपयोग किया जाता है। आप मक्का जब बुवाई करेंगे उसके 15 दिन के बाद आप इसका उपयोग कर सकते हैं। जब खरपतवार 2 से 4 पत्ती की अवस्था में हो तभी आप इसको स्प्रे कर दीजिए तो बहुत अच्छा रिजल्ट मिलता है। इसको स्प्रे करते समय खेत में नमी अच्छी होनी चाहिए। इसका उपयोग के लिए घोल किस तरह बनाना होता है और यह भी आपको अच्छे से पता होना चाहिए।
तो घोल बनाने के लिए खरपतवारनाशक लॉडिस115 मिलीलीटर बॉटल में आती है। इसके पैकेट के अंदर दो डिब्बी रहती है। एक में 115 मिली लॉडिस और दूसरे में 400 ग्राम एट्राजिन होती है। अब 115 मिली लॉडिस को छह लीटर पानी में घोल लीजिए और दूसरा पैकेट एट्राजिन अलग से छह लीटर पानी में खोलना है। यानी दो आपने अलग अलग घोल बनाना हैं। अब दोनों घोल को एक बड़े बर्तन मिला लेना है।
आपका 12 लीटर बन गया घोल उसमें 400 एमएल का लाउड एक्टिवेटर की बोतल होती है उसको उसी बड़े बर्तन में डाल देना है और अच्छे से मिला लेना है। अब आपका घोल लगभग 13 लीटर बन जाएगा। अब किसान भाइयों इस घोल का एक लीटर प्रति टंकी के हिसाब से उपयोग सकते हैं।
इस तरीके से आपकी यह घोल 13 टंकी बनेगी। तो आप 15 लीटर की स्प्रेयर टंकी में एक एक लीटर घोल डालकर टंकी को पानी से भर दीजिए। ध्यान रखें थोड़ा सा टंकी को खाली रखना पड़ता है। टंकी में आप 13 -14 लीटर पानी भरिये। किसान भाइयों यह इसके डालने का तरीका है। अगर आप इस तरीके से डालते हैं तो हम 100% गारंटी के साथ कह सकते हैं कि आपके खरपतवार बिल्कुल एकदम साफ हो जाएं।
खेत से कोई भी खरपतवार बचेगा ही नहीं। इसमें जो लाऊड होता है वह खरपतवारों को उगने नहीं देता है और एट्राजिन जो होता है वह उगे हुए खरपतवारों को नष्ट कर देता है। तो किसान भाइयों यदि आप इस तरीके से विधिवत सारे कार्य करेंगे तो 100% रिजल्ट आपको मिलेगा।